Rahul Gandhi: लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष और पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने कांग्रेस पार्टी पर ही सवाल उठाते हुए बड़ी बहस को जन्म दे दिया है. उन्होंने कहा है कि कांग्रेस पार्टी पिछले 10-15 वर्षों से दलितों के लिए वो काम नहीं कर पा रही जो उसको करना चाहिए था.
Trending Photos
Rahul Gandhi On Dalits: कांग्रेस के सीनियर नेता राहुल गांधी ने गुरुवार को कहा कि पिछले 10-15 सालों में कांग्रेस ने दलितों और पिछड़े वर्गों के लिए पर्याप्त काम नहीं किया है. उन्होंने कहा कि उन्हें यह कबूल करने में कोई हिचकिचाहट नहीं है कि पार्टी वंचित वर्गों के ज़रिए उनकी दादी और पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के समय में दिखाए गए विश्वास को बनाए रखने लायक नहीं है.
दलितों के प्रभावशाली लोगों और बुद्धिजीवियों के एक सम्मेलन को संबोधित करते हुए गांधी ने गुरुवार को कहा कि दलितों और पिछड़े वर्गों की मुक्ति का एक नया चरण आकार लेना शुरू कर रहा है. मैं कह सकता हूं कि कांग्रेस ने पिछले 10-15 सालों में वह नहीं किया जो उसे करना चाहिए था. अगर मैं यह नहीं कहता… तो मैं आपसे झूठ बोलूंगा और मुझे झूठ बोलना पसंद नहीं है. यही हकीकत है. अगर कांग्रेस पार्टी ने दलितों, पिछड़ों और अति पिछड़ों का विश्वास बनाए रखा होता तो आरएसएस कभी सत्ता में नहीं आता.'
राहुल गांधी ने आगे कहा,'इंदिरा गांधी के समय में (दलितों और पिछड़े वर्गों का) पूरा विश्वास बनाए रखा गया था. दलितों, आदिवासियों, अल्पसंख्यकों, अति पिछड़ों को पता था कि इंदिरा गांधी उनके लिए लड़ेंगी और मर जाएंगी, लेकिन 1990 के दशक से आत्मविश्वास में गिरावट आ रही है और मैं इसे देख सकता हूं.' राहुल गांधी ने कहा कि उनका यह सच कबूल करना उन्हें नुकसान पहुंचा सकती है लेकिन वे प्रतिक्रिया से डरते नहीं हैं.
इसी दौरान भीड़ में से किसी ने पूर्व प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव का नाम चिल्लाया, यह इशारा करते हुए कि उनके कार्यकाल में आत्मविश्वास कम हुआ था. इस पर गांधी ने जवाब दिया कि,'मैं नाम नहीं लूंगा, लेकिन यह वास्तविकता है और कांग्रेस पार्टी को वास्तविकता को स्वीकार करना होगा.' इसका मुकाबला करने के लिए, गांधी ने कहा कि कांग्रेस को पार्टी में आंतरिक क्रांति लानी होगी.'
गांधी ने तब दावा किया कि मौजूदा ढांचे में दलितों और ओबीसी के लिए कोई अवसर नहीं हैं, जिस पर उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा और आरएसएस ने कब्जा कर लिया है. उन्होंने कहा कि वंचित वर्गों को सिर्फ प्रतिनिधित्व की नहीं बल्कि सत्ता की जरूरत है. उन्होंने कहा,'उन्हें संस्थानों, शैक्षणिक संस्थानों, कॉरपोरेट इंडिया और न्यायपालिका हिस्सेदारी चाहिए. सत्ता में हिस्सेदारी और प्रतिनिधित्व में बहुत अंतर है.'
चुनाव जीतने के लिए संघर्ष कर रही पार्टी ने लगातार तीन लोकसभा चुनाव हारे हैं और अब सिर्फ तीन राज्यों में सत्ता तक सीमित है. गांधी पिछले कुछ समय से मुस्लिम-दलित-पिछड़े समर्थन आधार बनाने की कड़ी कोशिश कर रहे हैं. मोहब्बत की दुकान, जाति जनगणना और रिजर्वेशन पर 50 फीसद की सीमा हटाने की मांग के ज़रिए से नफरत और ध्रुवीकरण की राजनीति के खिलाफ आवाज उठाकर फिर से लोगों के ज़हन में जगह बनाने की कोशिश लगे हुए हैं.