IAS Saumya Jha: राजस्थान के समरावता गांव में हुई एक घटना के मुख्य आरोपी नरेश मीणा की जमानत हाई कोर्ट ने खारिज कर दी है. इस मामले में अजमेर संभागीय आयुक्त महेश चंद्र शर्मा ने टोंक में जनसुनवाई की थी, लेकिन ग्रामीणों ने इसमें भाग नहीं लिया और गांव में ही जांच की मांग की है.
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Tonk News: राजस्थान में समरावता मामला इन दिनों काफी चर्चा में है. हाल ही में हाई कोर्ट ने थप्पड़ कांड के मुख्य आरोपी नरेश मीणा की जमानत याचिका खारिज कर दी. इस बीच, सरकार के निर्देश पर अजमेर संभागीय आयुक्त महेश चंद्र शर्मा टोंक पहुंचे और प्रशासनिक जांच की. हालांकि, समरावता के ग्रामीण इस सुनवाई में शामिल नहीं हुए.
आयुक्त महेश चंद्र शर्मा ने कलेक्टर सौम्या झा और एसपी के साथ सर्किट हाउस में बैठक की, लेकिन ग्रामीण अनुपस्थित रहे. बाद में आयुक्त ने अधिकारियों के बयान दर्ज किए और उनसे फीडबैक लिया.ग्रामीणों की मांग थी कि आयुक्त जांच के लिए समरावता गांव में आएं. यह मामला राजस्थान में एक बड़ा मुद्दा बन गया है, और लोगों की निगाहें इस पर हैं.
समरावता कांड को लेकर बीते दिनों से काफी हलचल मची हुई है. इस मामले की जांच के लिए अजमेर संभागीय आयुक्त महेश चंद्र शर्मा शुक्रवार को टोंक पहुंचे और सर्किट हाउस में सुनवाई की. उनके साथ अजमेर रेंज के डीआईजी ओम प्रकाश भी मौजूद थे. संभागीय आयुक्त ने दोपहर 11 से 2 बजे तक समरावता मामले में सुनवाई की और इस दौरान उन्होंने सभी अधिकारियों और कर्मचारियों से फीडबैक लिया और उनके बयान दर्ज किए. यह सुनवाई टोंक सर्किट हाउस में हुई, लेकिन ग्रामीणों ने इसमें भाग नहीं लिया और गांव में जांच की मांग की है.
समरावता के नाराज ग्रामीणों ने सुनवाई में शामिल होने से इनकार कर दिया है. उनका मानना है कि जांच अधिकारी गांव में आकर जांच करेंगे, तभी वे सुनवाई में हिस्सा लेंगे. टोंक सरपंच संघ के अध्यक्ष मुकेश मीणा ने बताया कि संभागीय आयुक्त ने जनसुनवाई टोंक सर्किट हाउस में रखी थी, लेकिन ग्रामीणों ने इसमें शामिल होने से इनकार कर दिया है. संभागीय आयुक्त ने जनसुनवाई के बाद मीडिया से बातचीत की और बताया कि उन्होंने इस मामले से जुड़े सभी अधिकारियों और पुलिस अधिकारियों के बयान लिए हैं और उनसे घटनाक्रम की पूरी जानकारी ली है. उन्होंने कहा कि आज की सुनवाई में समरावता गांव से कोई ग्रामीण नहीं आया है, लेकिन अगली बार वह समरावता जाएंगे और मौका देखेंगे.
संभागीय आयुक्त ने ग्रामीणों से अपील की है कि जो भी व्यक्ति, पक्षकार, पीड़ित अपना पक्ष, साक्ष्य या सबूत प्रस्तुत करना चाहते हैं, वह सुनवाई में उपस्थित होकर अपना लिखित शपथ पत्र भी प्रस्तुत कर सकते हैं.