Pratapgarh News: राजस्थान के प्रतापगढ़ जिले में भारतीय जनता पार्टी ने महावीर सिंह कृष्णावत को नया जिला अध्यक्ष नियुक्त किया है. महावीर सिंह कृष्णावत की नियुक्ति के बाद भाजपा कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों में खुशी की लहर है.
Trending Photos
Pratapgarh News: राजस्थान के प्रतापगढ़ जिले में भारतीय जनता पार्टी के जिला अध्यक्ष पद को लेकर जारी सस्पेंस आखिरकार खत्म हो गया. पार्टी नेतृत्व ने महावीर सिंह कृष्णावत को नया जिला अध्यक्ष नियुक्त किया है. प्रदेश नेतृत्व ने टेक्स्ट मैसेज के जरिए जिला निर्वाचन अधिकारी हेमराज मीणा को इस संबंध में सूचना दी, जिसके बाद भाजपा जिला कार्यालय पर इसकी औपचारिक घोषणा की गई.
महावीर सिंह कृष्णावत की नियुक्ति की खबर मिलते ही भाजपा कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों में खुशी की लहर दौड़ गई. पार्टी कार्यालय में उन्हें फूलमालाओं से सम्मानित किया गया और मुंह मीठा कराकर बधाई दी गई.
कार्यकर्ताओं ने इसे संगठन के लिए सकारात्मक कदम बताया और विश्वास जताया कि कृष्णावत के नेतृत्व में भाजपा और अधिक मजबूत होगी. कृष्णावत लंबे समय से भाजपा से जुड़े हुए हैं और संगठन में विभिन्न पदों पर सक्रिय भूमिका निभा चुके हैं. वे पूर्व में छोटी सादड़ी पंचायत समिति के उप प्रधान भी रह चुके हैं. उनके संगठनात्मक अनुभव को देखते हुए पार्टी ने उन्हें यह जिम्मेदारी सौंपी है.
जिलाध्यक्ष बनने के बाद कृष्णावत ने कहा कि वे पार्टी की नीतियों को जन-जन तक पहुंचाने का काम करेंगे और संगठन को मजबूत बनाने के लिए कार्यकर्ताओं को संगठित करेंगे. उन्होंने प्रदेश और केंद्रीय नेतृत्व का आभार जताते हुए कहा कि वे सबको साथ लेकर चलने की नीति पर काम करेंगे. भाजपा की इस नई नियुक्ति से जिले की राजनीति में नया उत्साह देखा जा रहा है.
बता दें कि भाजपा के जिला अध्यक्ष पद को लेकर पिछले कुछ दिनों से असमंजस की स्थिति बनी हुई थी. पहले यह घोषणा होनी थी, लेकिन आपसी मतभेदों और विवादों के चलते इसे टाल दिया गया था. पार्टी के सांसद, विधायक, मंत्री और अन्य पदाधिकारियों के बीच किसी एक नाम पर सहमति नहीं बन पाई थी,जिसके कारण मामला लटका हुआ था. भाजपा के जिला मीडिया प्रभारी गोपाल धाभाई ने बताया कि इस पद के लिए भाजपा ने पांच नामों का एक पैनल तैयार किया था. इसमें प्रेमसिंह झाला, गजेंद्र चंडालिया, महावीर सिंह कृष्णावत, नरेंद्र गिरी गोस्वामी और गिरीश बाठी के नाम शामिल थे, लेकिन पार्टी में गहन मंथन के बाद भी किसी एक नाम पर सहमति नहीं बन पाई थी.