Pratapragh News: प्रतापगढ़ जिले में अफीम की फसल पर चीरा लगाकर अफीम निकालने का काम शुरू कर दिया गया है. किसानों ने इसके लिए शुभ मुहूर्त में विधि-विधान के साथ मां कालका की पूजा अर्चना की और अफीम डोडो पर चीरा लगाया. अफीम की यह फसल इलाके में काले सोने के नाम से जानी जाती है.
प्रतापगढ़ में अरनोद सहित अधिकांश गांवों में यौवन पर आई अफीम की फसल में किसानों ने चीरा लगाकर अफीम निकालने का कार्य शुरू किया. इसके पहले शुभ मुहूर्त में विधि-विधान से मां कालका की पूजा अर्चना की गई. किसानों का मानना है कि फसल पकने के बाद पौधे पर लगने वाले डोडे में दूध की अच्छी आवक हो एवं सुख समृद्धि प्राप्त हो इसी को लेकर यह पूजा अर्चना की जाती है. पूजा अर्चना के बाद ही लुवाई चिराई का कार्य शुरू किया जाता है जिसे स्थानीय भाषा में नाणा भी कहते हैं.
सुबह किसान अपने घरों से पूजा अर्चना का सामान लेकर खेतों में पहुंचे. यहां फसल की क्यारे की पाल पर नवदुर्गा की स्थापना की तथा रोली बांधकर तेल का दीपक, अगरबत्ती लगाकर मां कालका की पूजा-अर्चना कर नारियल चढ़ाया. उसके बाद अफीम के पांच पौधों पर रौली बांधकर डोडों पर चीरा लवकर मां कालका से अच्छी पैदावार होने की मन्नत मांगी. अफीम के डोडे की किसान विशेष प्रकार के औजार से चिराई करते हैं. उसके बाद छरपले में अफीम का दूध जो इन डोडो से निकलता है एकत्रित किया जाता है.
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