Kota News: अनूठा परम्परा, इस समाज में पैरों तले रौंदा जाता है रावण
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Kota News: अनूठा परम्परा, इस समाज में पैरों तले रौंदा जाता है रावण

Kota latest News: कोटा में जेठी समाज का भी एक अपना अनूठा परम्परा है, जिसको वह 150 साल से भी अधिक समय से आज तक निभाते आ रहे हैं. इस परम्परा के तहत अखाड़े की मिट्टी का रावण बना कर उस पर ज्वारे उगाए जाते हैं. जिसे नवरात्रों पर बनया जाता है और विजयदशमी पर पैरों तले रौंदा जाता है.

फाइल फोटो

Kota News: राजस्थान के कोटा का दशहरा पूरे देश में अपनी ख्याती के लिए प्रसिद्ध माना जाता है. और यहां लाखों लोग रावण दहन देखने आते हैं. वहीं दूसरी और कोटा में जेठी समाज का भी एक अपना अनूठा परम्परा है, जिसको वह 150 साल से भी अधिक समय से आज तक निभाते आ रहे हैं. इस परम्परा के तहत अखाड़े की मिट्टी का रावण बना कर उस पर ज्वारे उगाए जाते हैं. जिसे नवरात्रों पर बनया जाता है और विजयदशमी पर पैरों तले रौंदा जाता है.

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जेठी समाज के अरूण जेठी ने बताया कि नवरात्र के दिन मिट्टी का रावण बनाया जाता है. और 9 दिन तक उस  मिट्टी के रावण पर ज्वारे उगाए जाते हैं. उसके बाद माता के दरवाजे 9 दिन तक बंद हो जाते हैं. माता की पूजा-अर्चना केवल पुजारी को करने की अनुमति होती है. बकी श्रद्धालु लोग एक छोटी सी खिड़की से दर्शन करते हैं. इस परम्परा में अखाड़े की माटी से रावण का ऊंचा सा टीला बनाया जाता है. और दशहरे के दिन सुबह रावण से कुश्ती लड़कर उसे पैरों तले रौंदा जाता है.

और अंत में अखाड़े की माटी से बने रावण को पैरों से कुचलकर बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक मनाते हैं. दशहरे के दिन सुबह रावण से कुश्ती लड़कर उसे पैरों तले रौंदा जाता है. ज्वारों को बुजुर्ग एक-दूसरे को वितरित करते हैं. और लोग इस दिन बड़े-बूढ़ों का आशीर्वाद लेते हैं.

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आपको बता दें कि कोटा में जेठी समाज के तीन मंदिर हैं. जिसमें से एक किशोरपुरा और दों नांता में स्थित है. इसके साथ-साथ नातां में एक बड़ा अखाड़ और एक छोटा अखाड़ा भी है. किशोरपुरा व नांता स्थित तीनों अखाड़े पर नवरात्र में विशेष आयोजन होते हैं. जिसमें  देवी की महिमा के 11 भजन विशेष रूप में गाए जाते हैं, और फिर बाद देर रात तक गरबा और डांडिया खेला जाता है. दशहरे के दिन सुबह रावण के ऊपर से ज्वारे उखार कर  माता को चढाए जाते हैं और उसके बाद कुश्ती लड़कर उसे पैरों तले रौंद दिया जाता है. 

जेठी समाज के इतिहास की बात करें तो कोटा में उनके करीब 120 परिवार में 500 सदस्य है. जेठी गुजराती ब्राह्मण हैं, जो गुजरात के विभिन्न क्षेत्रों से आए हैं. और इनकी कुल देवी लिम्बा माता है.  कोटा के पूर्व महाराजा उम्मेद सिंह ने इन समाज के लोगों को यहां बसाया था,राजा को कुश्ती दंगल का शौक था. कोटा राज परिवार में जेठियों का काम केवल कुश्ती लडना था और वह दूसरा कोई काम नहीं करते थे.

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