पॉक्सो कोर्ट में मुकदमों के शीघ्र निस्तारण के लिए पीआईएल पेश
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पॉक्सो कोर्ट में मुकदमों के शीघ्र निस्तारण के लिए पीआईएल पेश

 

 

प्रदेश में पॉक्सो के पेंडिंग मामलों को देखते हुए 150 से भी ज्यादा पॉक्सो कोर्ट खोलने की जरूरत है, वहीं कई पॉक्सो कोर्ट में तो नाबालिगों के अलावा बालिगों के मामलों को भी सुनवाई के लिए भेजा गया है.

प्रतीकात्मक तस्वीर

Jaipur: प्रदेश में पॉक्सो अदालतों में मुकदमों की त्वरित सुनवाई नहीं होने को लेकर हाईकोर्ट में जनहित याचिका पेश की गई है. कुणाल रावत की ओर से पेश इस जनहित याचिका में मुख्य सचिव, प्रमुख विधि सचिव व हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल को पक्षकार बनाया है. पीआईएल में कहा गया है कि प्रदेश में 12 साल से कम उम्र की बच्चियों सहित नाबालिगों के साथ दुष्कर्म मामले लगातार बढ़ रहें हैं. नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़ों पर गौर करें तो राजस्थान प्रदेश में दुष्कर्म के अपराध सर्वाधिक हुए हैं, पिछले दो साल के दौरान ही 11307 नाबालिगों के साथ दुष्कर्म हुआ हैं.  इन सभी केसों की सुनवाई के लिए मौजूदा पॉक्सो कोर्ट की संख्या बहुत कम हैं. 

प्रदेश में पॉक्सो के पेंडिंग मामलों को देखते हुए 150 से भी ज्यादा पॉक्सो कोर्ट खोलने की जरूरत है, वहीं कई पॉक्सो कोर्ट में तो नाबालिगों के अलावा बालिगों के मामलों को भी सुनवाई के लिए भेजा गया है, इससे नाबालिग पीड़िताओं को न्याय मिलने में भी देरी हो रही हैं. पॉक्सो कोर्ट में भी आधारभूत सुविधाओं की कमी हैं जिसके चलते पीड़िताओं के अधिकारों का उल्लंघन भी हो रहा है. वहीं राज्य सरकार ने कई नई पॉक्सो कोर्ट खोली हैं, लेकिन उनका क्षेत्राधिकार ही तय नहीं हो पाया हैं, इसके अलावा बच्चों में विधिक शिक्षा का भी अभाव हैं और उन्हें सही व गलत की जानकारी नहीं हैं, इसलिए उन्हें अपराधों के संबंध में भी जानकारी दी जाए ताकि वे सतर्क रह सकें. कुणाल रावत की पीआईएल पर सप्ताह के अंत में सुनवाई हो सकती है.

Reporter - Mahesh Pareek

 

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