बस्सी में डीएपी ही नहीं यूरिया की भी किल्लत, किसान हुए परेशान
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बस्सी में डीएपी ही नहीं यूरिया की भी किल्लत, किसान हुए परेशान

Bassi: प्रदेश की राजधानी जयपुर के ग्रामीण इलाके बस्सी चाकसू और जमवारामगढ़ इलाकों में रबी की फसलों की बुवाई चल रही है और इसके साथ ही डीएपी की मांग भी चल ही रही है और अब यूरिया की भी मांग होने लग गई है. 

किसान हुए परेशान

Bassi: प्रदेश की राजधानी जयपुर के ग्रामीण इलाके बस्सी चाकसू और जमवारामगढ़ इलाकों में रबी की फसलों की बुवाई चल रही है और इसके साथ ही डीएपी की मांग भी चल ही रही है और अब यूरिया की भी मांग होने लग गई है. हालांकि अब जिन किसानों की बुवाई नहीं हुई है, उनको डीएपी की जरूरत पड़ रही है और जिनके खेतों में बुवाई हो गई है, उनको यूरिया की जरूरत पड़ने लग गई है. 

क्रय-विक्रय सहकारी समितियों के गोदाम खाली है. गोदामों में ना तो डीएपी है और ना ही यूरिया है. ऐसे में किसानों के सामने डीएपी और यूरिया का संकट बरकरार है. जानकारी के अनुसार इस बार बस्सी के लिए 250 एमटी डीएपी मांगा था, जिसमें से अब तक मात्र 60 एमटी ही मिल पाया है. इसी प्रकार यूरिया भी 300 एमटी मांगा था, जिसमें से अभी तक कुछ भी नहीं मिला है.

इलाके में पिछले वर्ष भी खरीफ की फसलों की कटाई के वक्त अच्छी बारिश हुई थी, तो किसानों के खेतों में चना, सरसों, जौ और गेहूं की बम्पर पैदावार हुई थी. इस बार भी खरीफ की फसलों की कटाई के वक्त अच्छी बारिश होने से किसान अपने खेतों में चौतरफा बुवाई कर रहे हैं, लेकिन उनके सामने डीएपी और यूरिया का संकट आ रहा है. पिछले वर्ष के मुकाबले इस बार चना, सरसों, जौ और गेहूं का बीज भी पन्द्रह फीसदी महंगा मिल रहा है. ऐसे में किसान महंगा बीज खरीद कर अपने खेतों में बुवाई कर रहे हैं या बुवाई करने का मन बना रहे हैं, तो उनके सामने खाद का संकट आ रहा है.

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किसानों के सामने इस वर्ष ही नहीं बल्कि पिछले वर्ष भी यही स्थिति थी. किसानों को रबी की फसलों में बुवाई के लिए पहले तो डीएपी नहीं मिला था और रबी की फसलों में पानी देने के वक्त किसानों को यूरिया नहीं मिल पाया था. किसानों ने बड़ी मुश्किल से इधर-उधर से ब्लैक में खरीद कर काम चलाया था. बस्सी के लिए 250 एमटी डीएपी और 300 एमटी यूरिया मांगा गया है. डीएपी तो फिर भी थोड़ा बहुत मिला है, लेकिन यूरिया का अभी तक दाना भी नहीं मिला है. वे अधिकारियों से भी मिले हैं, लेकिन वहां एक ही जवाब मिलता है कि रैक लगेगी तब ही खाद मिलेगा.

Reporter: Amit Yadav

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