हनुमानगढ़ के इस गांव में सड़क ना होने पर खाट में प्रसूता को अस्पताल ले जाने को मजबूर परिजन
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हनुमानगढ़ के इस गांव में सड़क ना होने पर खाट में प्रसूता को अस्पताल ले जाने को मजबूर परिजन

Hanumangarh News: राज्य सरकारें चाहे जमीनों को रास्ता देने के लिए लाख दावे करें, लेकिन हकीकत के धरातल पर सरकार के यह दावे किस तरह धूल धूसरित हो रहे हैं. यह देखना हो तो हनुमानगढ़ जिला मुख्यालय से महज 30 किलोमीटर दूर स्थित गांव पक्कासारणा का रुख करना होगा.

 

हनुमानगढ़ के इस गांव में सड़क ना होने पर खाट में प्रसूता को अस्पताल ले जाने को मजबूर परिजन

Hanumangarh: राज्य सरकारें चाहे जमीनों को रास्ता देने के लिए लाख दावे करें, लेकिन हकीकत के धरातल पर सरकार के यह दावे किस तरह धूल धूसरित हो रहे हैं. यह देखना हो तो हनुमानगढ़ जिला मुख्यालय से महज 30 किलोमीटर दूर स्थित गांव पक्कासारणा का रुख करना होगा. जिस गांव की सरपंच महिला और पंचायत समिति की महिला प्रधान भी इसी गांव से हैं, लेकिन फिर भी एक प्रसूता महिला बीती रात से अपने 3 दिन के मासूम को लेकर खेत में बनी ढाणी में जाने का रास्ता ना होने की वजह से बीच रास्ते झोपड़ी बनाकर बैठी है. बीती रात यहां बारिश भी हुई, लेकिन बारिश के अंदर ही पूरी रात या महिला अपने 3 दिन के मासूम को लेकर अस्थाई रूप से कागज डालकर बनाई गई झोपड़ी में बैठी रही. 

अभी भी यह महिला और उसका परिवार बीच रास्ते ही बैठा है. सोशल मीडिया के जरिए जैसे ही उक्त प्रकरण जिला स्तर के अधिकारियों तक पहुंचा. यहां हनुमानगढ़ उपखंड अधिकारी अवि गर्ग ने मौके पर पहुंचकर समस्या के समाधान का प्रयास किया. उपखंड अधिकारी यहां से अस्थाई रूप से रास्ता दिला कर इस परिवार को ढाणी में पहुंचाने का प्रयास करते रहे और सोमवार को जिला स्तर के अपने कार्यालय में बुलाकर दोनों पक्षों को आमने-सामने बैठाकर इसका मूल रास्ता निकालने की सहमति दी. लेकिन उक्त परिवार यह चाहता है कि इन्हें अभी प्रशासन लिखित में दे कि उन्हें आने-जाने के लिए पड़ोसी के खेत से रास्ता दिया जाएगा. 

जिसकी एवज में ही है परिवार कीमत या जगह देने को भी तैयार है. अभी भी मौके पर प्रसूता और उसका परिवार वहीं है. ग्राम पंचायत से पटवारी वीरेंद्र सिंह, ग्राम विकास अधिकारी ताराचंद मौके पर ही हैं. प्रकरण के अनुसार पक्का सहारना के 80 वर्षीय बुजुर्ग किशनलाल पुत्र शोकरण की चक 23 एलएलडब्ल्यू में 6 बीघा पुश्तैनी जमीन है.

यहां खेत में उनकी ढाणी बनी है. कृष्ण लाल के भगीरथ सुरेंद्र और इंद्राज तीन बेटे हैं. जिनमें से इंद्राज अपने माता-पिता, पत्नी और दो बच्चों के साथ यहीं रहता है. 3 दिन पहले इंद्राज की पत्नी सुमन ने एक लड़के को जन्म दिया है. 20 मार्च को प्रसव का दर्द होने के पर अस्पताल में भर्ती करवाने के लिए एंबुलेंस को फोन किया गया था. चूंकि ढाणी में जाने के लिए रास्ता नहीं है इसलिए एंबुलेंस तक प्रसूता को लाने के लिए एक चारपाई का सहारा लिया गया. जिसका वीडियो सोशल मीडिया पर काफी तेजी से वायरल हुआ. बीती रात भी एंबुलेंस इन्हें इसी जगह उतार कर रवाना हुई. जहां यह पूरी बरसात की रात में झोपड़ी बनाकर बैठे रहे. 

रात को सूचना मिलने पर सदर थाना से पुलिस भी यहां पहुंची थी और उन्हें जाने में जाने का निवेदन किया. लेकिन परिजनों ने स्थाई समाधान ना होने तक यहीं बैठे रहने का फैसला किया है. ढाणी में निवास करने वाले इंद्राज के माता गुड्डी देवी का कहना है कि प्रशासन उन्हें लिखित में रास्ता उपलब्ध करवाने के लिए लिख कर दें और आने-जाने का रास्ता स्वीकृत होने की जानकारी लिखकर दे तो ही वे ढाणी में प्रवेश करेंगे अन्यथा वे झोपड़ी के पास बनी डिग्गी में डूब कर आत्महत्या करने को मजबूर होंगे.

घटना की सूचना मिलने के बाद मौके पर पहुंचे एसडीएम डॉ अवि गर्ग ने बताया कि खेत के रास्ते को लेकर विवाद है, जिसको लेकर मामला रेवेन्यू कोर्ट अजमेर में विचाराधीन है. जहां तक बात महिला को रास्ते में बैठने को मजबूर होने की है, परिजनों ने यह गलत किया है, जबकि पंचायती रिकॉर्ड के अनुसार इनका एक घर गांव में भी है और इसके बावजूद ये लोग प्रसूता को लेकर यहां रास्ते पर बैठे हैं.

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