Pitru Paksha 2024: यह माना जाता है कि पितृपक्ष के 16 दिनों की अवधि के दौरान सभी पूर्वज अपने परिजनों को आशीर्वाद देने के लिए पृथ्वी पर आते हैं. उन्हें प्रसन्न करने के लिए तर्पण, श्राद्ध और पिंडदान किया जाता है.
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Dholpur News: तीर्थराज मचकुंड के साथ अन्य जलाशयों में बड़ी संख्या में लोगों ने पितरों को तर्पण किया. श्राद्ध पक्ष के पहले दिन सुबह से ही तीर्थराज मचकुंड के साथ बामनी नदी, पार्वती नदी पर बड़ी संख्या में लोग पहुंचे, जहां मौजूद पंडितों ने विधि-विधान से तर्पण कराया.
मचकुंड के महंत कृष्णदास ने बताया कि हिंदू संस्कृति में श्राद्ध पक्ष बनाया है, जो भाद्र मास शुक्ल पक्ष पूर्णिमा से शुरू होता है और अश्विन मास की अमावस्या तक चलता है. दिन की विभिन्न तिथियों में पूर्वजों को प्रतिदिन जल तर्पण करते हुए गुजरे हुए पूर्वजों की पुण्यतिथि वाले दिन श्राद्ध करने का प्रावधान है. इसी को लेकर मंगलवार से शुरू हुए श्राद्ध पक्ष में जलाशयों और नदियों के किनारे परिवार के लोग पहुंचकर पूर्वजों को जल तर्पण कर रहे हैं.
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तीर्थराज मचकुंड पर जल तर्पण को लेकर मंहत ने बताया कि हिंदू संस्कृति में श्राद्ध पक्ष का विशेष प्रावधान है. ऐसे में प्रत्येक हिंदू परिवार को अपने पूर्वजों का श्राद्ध करना चाहिए और उन्हें जल्द तर्पण अवश्य करना चाहिए. उन्होंने बताया कि यदि नदी किनारे तर्पण करने में परेशानी हो तो घर पर भी जल तर्पण किया जा सकता है. श्राद्ध पक्ष के दिन तीर्थराज मचकुंड के साथ विभिन्न जलाशयों पर बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने तर्पण किया.
पितृपक्ष के दौरान ध्यान रखने योग्य बातें
यह माना जाता है कि पितृपक्ष के 16 दिनों की अवधि के दौरान सभी पूर्वज अपने परिजनों को आशीर्वाद देने के लिए पृथ्वी पर आते हैं. उन्हें प्रसन्न करने के लिए तर्पण, श्राद्ध और पिंडदान किया जाता है. इन अनुष्ठानों को करना इसलिए भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि इससे किसी व्यक्ति के पूर्वजों को उनके इष्ट लोकों को पार करने में मदद मिलती है. वहीं, जो लोग अपने पूर्वजों का पिंडदान नहीं करते हैं, उन्हें पितृ ऋण और पितृदोष सहना पड़ता है इसलिए श्राद्धपक्ष के दौरान यदि आप अपने पितरों का श्राद्ध कर रहे हैं तो इन बातों के बारे में खास ध्यान रखना चाहिए.
डिस्क्लेमर- ये लेख सामान्य जानकारी और लोगों द्वारा बताई गई कहानियों पर आधारित है, इसकी ज़ी मीडिया पुष्टि नहीं करता है.
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