राहुल ने कहा, ‘उन्हें जाने दो’, आजाद ने आत्मकथा में बताया कैसे हुई हिमंत बिस्वा सरमा की कांग्रेस से विदाई
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राहुल ने कहा, ‘उन्हें जाने दो’, आजाद ने आत्मकथा में बताया कैसे हुई हिमंत बिस्वा सरमा की कांग्रेस से विदाई

Himanta Biswa Sarma: 2015 में कांग्रेस छोड़ने के बाद, हिमंत बिस्वा सरमा ने न केवल असम में कांग्रेस की हार सुनिश्चित की, बल्कि क्षेत्र से कांग्रेस को धीरे-धीरे खत्म करने के लिए क्षेत्रीय दलों के साथ गठबंधन करने की दिशा में भी काम किया.

राहुल ने कहा, ‘उन्हें जाने दो’, आजाद ने आत्मकथा में बताया कैसे हुई हिमंत बिस्वा सरमा की कांग्रेस से विदाई

Ghulam Nabi Azad Autobiography:  कांग्रेस का कभी पूरे पूर्वोत्तर पर शासन हुआ करता था लेकिन आज यह पार्टी इस क्षेत्र से लगभग बाहर हो चुकी  है. असम के मुख्यमंत्री हिमंत विस्वा सरमा को पूर्वोत्तर में बीजेपी की सफलता श्रेय दिया जाता है. हालांकि कभी वह कांग्रेस में हुआ करते थे. उनका कांग्रेस से जाना नॉर्थ ईस्ट में पार्टी के लिए बड़ा झटका साबित हुआ है.

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रहे गुलाम नबी आजाद ने सरमा के पार्टी से बाहर होने के किस्से का जिक्र अपनी आत्मकथा में किया है. आजाद ने अपनी आत्मकथा में लिखा कि राहुल गांधी को जब बताया गया कि हिमंत विस्वा सरमा को बहुसंख्यक विधायकों का समर्थन हासिल है. वह बगावत करने के साथ ही पार्टी छोड़ने जा रहे हैं तो कांग्रेस नेता का दो टूक जवाब था कि 'जाने दीजिए उन्हें .’

आजाद के मुताबिक राहुल गांधी ने हिमंत के मामले को सही ढंग से नहीं संभाला और सोनिया गांधी ने भी पार्टी अध्यक्ष के तौर पर हस्तक्षेप नहीं किया जबकि उनको इसका आभास था कि सरमा के पार्टी से चले जाने से क्या नुकसान होने वाला है.

आजाद ने किताब में लिखा है, 'मैंने इस बारे में सोनिया गांधी को सूचित किया, लेकिन दुर्भाग्यपूर्ण है कि तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष ने हस्तपेक्ष नहीं किया . इसके बजाय सोनिया गांधी ने मुझसे कहा कि हिमंत से कहो कि समस्या पैदा न करें.'

आजाद के मुताबिक, उन्हें यह नहीं पता कि राहुल ने यह खुद को मजबूत दिखाने के लिए किया था या फिर वह इस बात से अनभिज्ञ थे कि हिमंत के जाने का असम ही नहीं, बल्कि पूरे पूर्वोत्तर में दूरगामी असर होगा.'

बता दें 2015 में कांग्रेस छोड़ने के बाद, हिमंत बिस्वा सरमा ने न केवल असम में कांग्रेस की हार सुनिश्चित की, बल्कि क्षेत्र से कांग्रेस को धीरे-धीरे खत्म करने के लिए क्षेत्रीय दलों के साथ गठबंधन करने की दिशा में भी काम किया.

आजाद ने 2022 में पार्टी को अलविदा कह दिया था और अपनी खुद की पार्टी बनाई थी.

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