हाथों की मेंहदी, गले की ताबीज; कैसे खुला मौत का राज? ठाणे पुलिस ने सुलझाई हत्या की गुत्थी
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हाथों की मेंहदी, गले की ताबीज; कैसे खुला मौत का राज? ठाणे पुलिस ने सुलझाई हत्या की गुत्थी

Maharashtra News: महाराष्ट्र की ठाणे पुलिस ने एक हत्या की एक गुत्थी को सुलझाया है. जिसका राज सुनकर आप हैरान हो जाएंगे. पूरा मामला साल 2019 का है. 

हाथों की मेंहदी, गले की ताबीज; कैसे खुला मौत का राज? ठाणे पुलिस ने सुलझाई हत्या की गुत्थी

Maharashtra News: महाराष्ट्र की ठाणे पुलिस ने हत्या की एक गुत्थी को सुलझाया है. जिसने हर किसी को हैरान कर दिया. ये मामला काफी ज्यादा उलझा हुआ था लेकिन पुलिस ने मुर्गे के पंख, एक ताबीज और महिला के हाथों पर लगी मेहंदी के जरिए मामले की तह तक पहुंच गई है. पुलिस ने 8 जुलाई, 2019 को आरोपी को गिरफ्तार किया था. जिसका राज अब जाकर खुला है. जानें पूरा मामला. 

क्या था मामला
जून 2019 में महाराष्ट्र के कल्याण तालुका में एक नाले के पास एक महिला का आंशिक रूप से जला हुआ शव एक बोरे में मिला था. उसे एक गंदे बोरे में फेंक दिया गया था, जिसके अंदर मुर्गे के पंख थे. पुलिस ने तब देखा कि महिला की कमर पर बंगाली शिलालेखों वाला एक चौकोर ताबीज था. उसके हाथों पर मेहंदी भी लगी थी. इसके बाद पुलिस ने इलाके में चिकन की दुकानों की जांच की और इलाके में बंगाली बोलने वालों या बांग्लादेशी प्रवासियों की तलाश की. 

पुलिस को पता चला कि मेंहदी के डिजाइन और ताबीज का संबंध बांग्लादेश से था और स्थानीय लोगों से मिली जानकारी के आधार पर पुलिस 33 वर्षीय जेन-आलम (आलम) शेख तक पहुंची, जिसकी टिटवाला के पास बनेली गांव में चिकन की दुकान थी. जब पुलिस की एक टीम ने इलाके का दौरा किया, तो स्थानीय लोगों ने बताया कि शेख को महिला के साथ देखा गया था, जिसकी पहचान मोनी कुमार के रूप में की गई है और कथित तौर पर वह उसके साथ रिश्ते में था. स्थानीय लोगों ने यह भी कहा कि आलम को उस साल 22 जून को अपनी चिकन की दुकान बंद करने के बाद से आसपास नहीं देखा गया था.

पुलिस ने फिर आलम के फोन नंबर को ट्रैक किया, जिससे पता चला कि वह कुछ दिन पहले ठाणे जिले में था, लेकिन पश्चिम बंगाल चला गया था. इसके बाद पुलिस की एक टीम पश्चिम बंगाल के लिए रवाना हुई, जहां स्थानीय पुलिस की मदद से उन्होंने आलम को बीरभूम जिले के एक गांव से पकड़ा और 8 जुलाई, 2019 को उसे गिरफ्तार कर लिया. 

पुलिस के अनुसार, आलम कुमार के साथ रिलेशनशिप में थी और उसने उसे दो साल में छोटी-छोटी किश्तों में 2.5 लाख रुपए उधार दिए थे. जब उसने पैसे मांगे, तो कुमार ने कथित तौर पर पैसे लौटाने से इनकार कर दिया और अपने परिवार को उनके रिश्ते के बारे में बताने की धमकी दी.

पुलिस ने कहा कि इससे आलम नाराज हो गया और उसने कथित तौर पर अपने चचेरे भाई मनीरुद्दीन आबू शेख की मदद से कुमार की हत्या करने का फैसला किया. पुलिस ने कहा कि वे कथित तौर पर खडावली गांव में कुमार के घर गए और मफलर/दुपट्टे से उसका गला घोंट दिया. इसके बाद आलम और उसके चचेरे भाई ने कथित तौर पर कुमार के शव को चिकन की दुकान से उठाए गए बोरे में लपेटा, उसे एक सुनसान जगह पर ले गए, आग लगा दी और फिर 22 जून, 2019 को राया मोरी पुल के पास नाले में फेंक दिया.

आलम ने उन सिम कार्ड को फेंक दिया था जिनका इस्तेमाल उसने रेलवे पुल के नीचे एक नदी में किया था. लेकिन कॉल डेटा रिकॉर्ड से पता चला कि दोनों अक्सर एक-दूसरे से बात करते थे. पुलिस ने आलम से एक मफलर/दुपट्टा जब्त किया जिसका कथित तौर पर कुमार की हत्या में इस्तेमाल किया गया था. पुलिस ने एक मेमोरी कार्ड भी जब्त किया जिसमें आरोपी और मृतक की एक साथ तस्वीर थी.

आलम पर भारतीय दंड संहिता के तहत हत्या और सबूतों को गायब करने के आरोप में मामला दर्ज किया गया था. 9 सितंबर, 2020 को, अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश एस डी भगत ने कहा कि “परिस्थितियों की श्रृंखला प्रथम दृष्टया आरोपी की दोषी दर्शाती है और कथित अपराध में उसकी मिलीभगत को स्थापित करती है. मामले में उसकी “सहभागिता” का हवाला देते हुए आलम की जमानत याचिका खारिज कर दी.

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