PV Narasimha Rao Ki Kahani: जो देश के प्रधानमंत्री रहे, कांग्रेस से रहे फिर भी पीवी नरसिम्हा राव के साथ अच्छा सलूक क्यों नहीं हुआ? उनके निधन के बाद दिल्ली में ऐसा क्या हुआ था जो परिवार को अब भी अखरता है. अब भाजपा सरकार ने भारत रत्न देकर उन्हें सम्मान दिया है.
Trending Photos
Bharat Ratna PV Narasimha Rao Story: पूर्व प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव को भारत रत्न देने का ऐलान कर मोदी सरकार ने कांग्रेस को अजीब सी दुविधा में फंसा दिया है. विपक्षी दल होने के नाते वह सरकार की आलोचना करे या अपने नेता को सम्मान मिलने पर बीजेपी की तारीफ करे. वैसे भी राव की चर्चा अब भाजपा ज्यादा किया करती है. हां, जब भी आर्थिक सुधारों की बात आती है नरसिम्हा राव का जिक्र जरूर होता है लेकिन भाजपा आरोप लगाती रही है कि कांग्रेस ने राव के आखिरी दिनों में उनके साथ अच्छा बर्ताव नहीं किया. किताबों और नेताओं के बयानों में गांधी परिवार और राव के रिश्तों में जिस कड़वाहट की बात पता चलती है, उसकी वजह भी उन्हीं आर्थिक सुधारों में छिपी है.
राव और गांधी परिवार के रिश्ते
1991 में आर्थिक सुधारों के बाद प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव की लोकप्रियता तेजी से बढ़ रही थी. हर तरफ उनके चर्चे होते. उन्हें हीरो की तरह पेश किया जाता. हालांकि कहा जाता है कि कांग्रेस खासतौर से गांधी परिवार को राव को पूरा क्रेडिट दिया जाना अच्छा नहीं लगा. सोनिया गांधी के एक बयान की भी काफी चर्चा होती है जब उन्होंने आर्थिक सुधारों का कनेक्शन 1991 में राजीव गांधी के चुनावी घोषणा पत्र में किए वादों से जोड़ा था.
राव और अयोध्या की वो घटना
कांग्रेस के ज्यादातर लोग मानते हैं कि 1992 में अयोध्या में जो हुआ उसमें कहीं न कहीं राव की भी मिलीभगत थी. ऐसे में उस घटना में कांग्रेस पर भी सवाल उठते हैं. गांधी परिवार मानता है कि वह सत्ता में होता तो कभी ऐसा नहीं होता.
नरसिम्हा राव के साथ कांग्रेस ने कैसा सलूक किया थी, इस बारे में उनके पोते एनवी सुभाष ने 2019 में कहा था कि राव गांधी परिवार के वफादार थे. कई मुद्दों पर मार्गदर्शन करते थे लेकिन पार्टी ने उनकी अनदेखी की. इसके बाद उन्होंने राव के निधन के बाद का किस्सा सुनाया, जब पूर्व पीएम के शव को हैदराबाद ले जाने के लिए मजबूर किया गया. राव के पोते ने यह भी कहा था कि पूर्व पीएम ने अपने कार्यकाल के समय गांधी परिवार को कभी दरकिनार करने की कोशिश नहीं की. सरकार के फैसलों के बारे में उन्हें भी बताया जाता था.
राव के निधन पर उस रात क्या हुआ था
विनय सीतापति अपनी किताब 'दी हाफ लायन' में लिखते हैं- 'शरीर पर सफेद धोती और गोल्डन सिल्क कुर्ता था. दोपहर ढाई बजे शव दिल्ली एम्स से 9, मोतीलाल नेहरू मार्ग लाया गया. 23 दिसंबर 2004 को दिन में करीब 11 बजे भारत के पूर्व प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव का निधन हो चुका था. वह 1991 से 1996 तक देश के पीएम रहे. डॉक्टर ने बॉडी को अच्छे से सजाने के लिए कुछ समय लिया था. राव के घर सबसे पहले चंद्रास्वामी पहुंचे. राव के बेटे और बेटियां भी वहां मौजूद थे... इसके बाद राजनीति शुरू हुई. गृह मंत्री शिवराज पाटिल ने राव के छोटे बेटे प्रभाकर को सलाह दी कि शव का अंतिम संस्कार हैदराबाद में किया जाना चाहिए.
हालांकि परिवार दिल्ली में चाहता था. आखिर राव 30 साल से भी ज्यादा समय पहले आंध्र प्रदेश के सीएम रहे थे. बाद में तो वह कांग्रेस के महासचिव, केंद्रीय मंत्री और प्रधानमंत्री होते हुए दिल्ली में ही रहे. यह सुनकर शिवराज पाटिल नाराज होकर बोले- कोई नहीं आएगा.
तब सोनिया वहां आईं और...
पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी के एक और सहयोगी गुलामी नबी आजाद आए. उन्होंने भी परिवार से शव हैदराबाद ले जाने के लिए कहा. एक घंटे बाद प्रभाकर को उनके मोबाइल फोन पर आंध्र प्रदेश के कांग्रेस सीएम वाईएस राजशेखर रेड्डी का फोन आया. रेड्डी ने कहा- मैंने सुना. मैं अनंतपुर के पास हूं. शाम तक दिल्ली पहुंच जाऊंगा. हैदराबाद लेकर आओ. हम ग्रैंड फ्यूनरल करेंगे.
शाम 6.30 बजे सोनिया गांधी पहुंचीं. प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह पीछे आए. उनके साथ प्रणब मुखर्जी भी थे. तब तक राव के पार्थिव शरीर को फूलों से सजा दिया गया था. पीएम ने प्रभाकर से कहा- आप क्या चाहते हो? प्रभाकर ने कहा कि ये लोग कह रहे हैं कि हैदराबाद जाना चाहिए. यह (दिल्ली) उनकी कर्मभूमि है. आपको अपनी कैबिनेट के सहयोगियों को राजी करना चाहिए. सोनिया गांधी पास में खड़ी थीं.
दिल्ली में स्मारक चाहता था परिवार
इसके बाद पत्रकार संजय बारू आए. सोनिया के करीबी अहमद पटेल ने उनसे कहा कि आप परिवार को जानते हो. उन्हें शव हैदराबाद ले जाना चाहिए. क्या आप उन्हें मना सकते हो? उधर, रेड्डी दिल्ली पहुंच चुके थे. यह हमारी सरकार है, भरोसा रेखो. हम शानदार मेमोरियल बनवाएंगे... उन्होंने परिवार से कहा. राव की बेटी वाणी देवी ने कहा कि वाईएसआर ने परिवार को हैदराबाद शव ले जाने के लिए मनाने में बड़ी भूमिका निभाई. जबकि परिवार यह भरोसा चाहता था कि राव के लिए स्मारक (समाधि) दिल्ली में बनाया जाएगा.
रात में ही परिवार मनमोहन के पास गया
वहां मौजूद कांग्रेस नेताओं ने 'हां' कहा था, लेकिन राव के साथ हुए सलूक को ध्यान में रखते हुए परिवार डबल श्योर होना चाहता था. रात 9.30 बजे परिवार राव के करीबी साथी रहे मनमोहन सिंह के पास गया. मनमोहन नाइट ड्रेस में थे. उन्होंने सफेद कुर्ता- पायजामा पहना था. उनके सरकारी आवास रेस कोर्स रोड पर बात हो रही थी. जब शिवराज पाटिल ने उन्हें दिल्ली में मेमोरियल वाली मांग बतलाई तो मनमोहन ने जवाब दिया- कोई समस्या नहीं. हम करेंगे.
प्रभाकर ने बाद में बताया कि तब तक हमें महसूस हो चुका था कि सोनिया जी नहीं चाहती हैं कि उनके पिता का अंतिम संस्कार दिल्ली में हो. वह यह भी नहीं चाहती हैं कि दिल्ली में मेमोरियल बने... वह उन्हें एक ऑल इंडिया लीडर के तौर पर देखना नहीं चाहती हैं... उस समय दबाव था. हम राजी हो गए.
दूसरे दिन शव को कांग्रेस मुख्यालय में भी नहीं ले जाया गया जबकि पहले कई नेताओं के साथ ऐसा नहीं हुआ था. 30 मिनट अजीब तरह से रुके रहने के बाद पार्थिव शरीर दिल्ली एयरपोर्ट ले जाया गया... दिल्ली में जो कुछ हुआ वह मनमोहन सिंह को अच्छा नहीं लगा था.'
#WATCH | Delhi: Chaudhary Charan Singh, PV Narasimha Rao Garu and M S Swaminathan conferred with the Bharat Ratna.
Congress Parliamentary Party president Sonia Gandhi says, "I welcome it." pic.twitter.com/Sk61F8IZAY
— ANI (@ANI) February 9, 2024
अब दो दशक बाद जब लोकसभा चुनाव करीब है. मोदी सरकार के इस फैसले ने फिर से वो बातें हरी कर दी हैं. आज संसद परिसर में जब सोनिया गांधी से राव को भारत रत्न दिए जाने पर प्रतिक्रिया मांगी गई तो उन्होंने दबे स्वर में सिर्फ इतना कहा कि मैं इसका वेलकम करती हूं.
दोपहर 3 बजे तक राहुल गांधी या कांग्रेस के सोशल मीडिया एक्स हैंडल से राव को भारत रत्न सम्मान दिए जाने पर कोई ट्वीट भी नहीं था. हालांकि बीजेपी की तरफ से धुआंधार ट्वीट आ रहे हैं. आंध्र प्रदेश और तेलंगाना की राजनीति पर भी इस फैसले का असर पड़ सकता है. ये वैसे ही है जैसे एक कहावत कही जाती है कि गले की फांस न निगलते बने और न...