mp news-भारत में नदियों का इतिहास काफी पुराना रहा है, इन नदियों को लेकर कई सारी मान्यताएं भी हैं. कई नदियों को धार्मिक मान्यताओं के अनुसार पवित्र माना जाता है, ऐसी ही मध्यप्रदेश की पवित्र नदियों में से एक तापी नदी है. इस नदी का इतिहास भी दूसरी नदियों की तरह पुराना है. नर्मदा के अलावा सिर्फ ये एक नदी ऐसी है जो उल्टी दिशा में बहती है.
तापी नदी जिसे ताप्ती नदी के नाम से भी जाना जाता है. इस नदी का उद्गम बैतूल जिले के मुलताई के नादर कुंड से होता है. नदी की लंबाई 724 किलोमीटर है और यह तीन अलग-अलग राज्यों- महाराष्ट्र, गुजरात और मध्य प्रदेश से होकर बहती है. तापी नदी अंत में अरब सागर में मिलती है.
यह नदी 30 हजार वर्ग के क्षेत्र में बहती है. पौराणिक कथाओं के अनुसार, तापी नाम भगवान सूर्य और देवी छाया की बेटी, तापी से लिया गया है. तापी नदी बैतूल जिले में अपना उद्गम शुरू करती है और फिर सतपुड़ा पहाड़ियों के बीच, खानदेश के पठार के पार, सूरत के मैदानों से बहती है.
नदी का उपयोग सिंचाई कारणों से भी भारी मात्रा में किया जाता है. तापी नदी बाघ, शेर, भालू जैसे कई जंगली और विदेशी जानवरों के लिए प्राकृतिक आवास भी है. तापी नदी के किनारे सात अलग-अलग कुंड बने हुए हैं, जिनकों लेकर कई धार्मिक मान्यताएं है.
सूर्य कुंड को लेकर कहा जाता है कि यहां भगवान सूर्य ने स्वंय स्नान किया था. वहीं ताप्ती कुंड को लेकर कहा जाता है, सूर्य के तेज प्रकोप से पशु पक्षी नर किन्नर देव दानव आदि की रक्षा करने हेतु ताप्ती माता की पसीने के तीन बूंदें के रूप में आकाश धरती और फिर पाताल पहुंची. तब ही एक बूंद इस कुण्ड में पहुंची और बहती हुई आगे नदी रूप बन गई.
तापी को दोनों किनारों पर कई सहायक नदियां मिलती हैं और लगभग 14 महत्वपूर्ण सहायक नदियां हैं. हालांकि, तापी नदी के बाएं किनारे पर मौजूद जल निकासी प्रणाली नदी के दाहिने किनारे के क्षेत्र की तुलना में ज्यादा है.
मध्यप्रदेश से निकलने वाली यह नदी 80 प्रतिशत सफर महाराष्ट्र में पूरी करती है. महाराष्ट्र के बाद पश्चिम की तरफ स्थानांतिरत होते हुए गुजरात की तरफ आगे बढ़ जाती है.
तापी नदी की एक महत्वपूर्ण विशेषता यह है कि नदी अन्य भारतीय नदियों से अलग हो जाती है क्योंकि यह खंभात की खाड़ी में गिरती है. इस नदी के आसपास उच्च गुणवत्ता वाली और समृद्ध उपजाऊ मिट्टी है, जो कृषि गतिविधियों के बहुत ही उपयुक्त है.
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