Bilapur News: छत्तीसगढ़ आज भी अपनी पुरानी संस्कृति और परंपराओं का पालन करता है. चाहे खाने की बात हो या जानवरों की, छत्तीसगढ़ की संस्कृति हर जगह दिखाई देती है. आज भी बिलासपुर गांव में एक परंपरा है जहांपशुओं की आंखों पर पट्टी बांध दी जाती है. यहां के किसान जब भी अपने पशुओं को एक जगह से दूसरी जगह ले जाते हैं तो उनकी आंखों पर पट्टी बांध देते हैं. ऐसा करने के पीछे एक कहानी है.
छत्तीसगढ़ में आज भी अपने सबसे पुराने रीति-रिवाजों और परंपराओं का पालन किया जाता है, जिसका जीता जागता उदाहरण बिलासपुर के किसान हैं. आज भी यहां के किसान जब अपने पशुओं को एक जगह से दूसरी जगह ले जाते हैं तो उनकी आंखों पर पट्टी बांध देते हैं.
कहा जाता है कि यह परंपरा आज से नहीं बल्कि कई सालों से चली आ रही है. यहां का हर किसान सालों से इस नियम का पालन करता आ रहा है. आंखों पर पट्टी बांधने के पीछे एक दिलचस्प वजह है.
दरअसल, यहां के किसान अपने जानवरों की आंखों पर पट्टी बांध देते हैं ताकि वे अपने पुराने मालिक के घर वापस जाने की कोशिश न कर सकें. ऐसा इसलिए क्योंकि पालतू जानवरों में अपनी पुरानी जगह पहचानने की बहुत मजबूत क्षमता होती है. वे अपने पुराने मालिक और जगह दोनों को आसानी से भूल नहीं पाते.
जब भी कोई किसान अपने पशुओं को किसी दूसरे किसान को बेचता है तो वे पशु अपने पुराने मालिक के स्थान पर जाने का प्रयास करते हैं, जिससे उन्हें अपने नए स्थान पर ढलने का समय मिल जाता है.
गांव के एक किसान का कहना है कि यह परंपरा बहुत कारगर है. ऐसा करने से जानवर जल्दी से अपनी नई जगह के हिसाब से ढल जाते हैं. पहले के समय में गाड़ियां और घोड़े कम होते थे इसलिए किसान अपने मवेशियों को आंखों पर पट्टी बांधकर पैदल ही एक गांव से दूसरे गांव ले जाते थे.
आज के आधुनिक युग में भी इस परंपरा का बखूबी पालन किया जा रहा है. सड़कों पर गाड़ियां चलने लगी हैं, तब भी गांव के किसान इस परंपरा का पालन करना नहीं भूले हैं.
इस तरीके से पशुओं को नए स्थान पर सुरक्षित और शांत महसूस कराने में मदद करती है तथा उनके व्यवहार को नियंत्रित करने में भी कारगर साबित होती है.
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