पश्चिम बंगाल में कहर बरपाने वाले तूफान ने देश के सबसे बड़े पुस्तक बाजार को भी तहस-नहस कर दिया है.
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कोलकाता: पश्चिम बंगाल में कहर बरपाने वाले तूफान ने देश के सबसे बड़े पुस्तक बाजार को भी तहस-नहस कर दिया है. आज ये बाजार फिर से खुल तो गया लेकिन चारों तरफ तबाही का मंजर ही दिखता है. ‘बोई पारा’ के नाम से लोकप्रिय कोलकाता (Kolkata) का कॉलेज स्ट्रीट (College Street) दुर्लभ पुस्तकों का घर है. यहां छोटे-बड़े बुक स्टोर से लेकर आपको सड़क किनारे किताबें बेचने वाले भी मिल जाएंगे. लेकिन फिलहाल यहां का नजारा काफी खौफजदा है. ‘खौफजदा’ इस लिहाज से कि सड़कों पर किताबें बिखरीं पड़ी हैं, विक्रेता हवा में उड़ते पन्नों को पकड़ने की कोशिश कर रहे हैं, यह जानते हुए भी कि अब इसका कोई फायदा नहीं. उनके लिए यह दोहरी मार है, जिससे उभर पाना निकट भविष्य में संभव नहीं होगा.
लॉकडाउन के चलते पिछले दो महीनों से देश का यह सबसे बड़ा पुस्तक बाजार बंद था. अभी हाल ही में राज्य सरकार ने इसे खोलने की अनुमति दी थी. विक्रेता खुश थे कि ‘ज्ञान’ के सौदे से उनके रोजी-रोटी चल पाएगी, लेकिन चक्रवात ‘अम्फन’ (Amphan) ने उनकी खुशियों को एक ही झटके में गम में तब्दील कर दिया. 1971 से यहां अपनी दुकान चला रहे सुरेन बानिक (Suren Banik) ने कभी ऐसी तबाही नहीं देखी. आज जब वह अपनी दुकान पहुंचे तो सड़क पर बिखरी पड़ी किताबें देखकर उनकी आंखें भर आईं.
सुरेन ने कहा, ‘मैंने अपने जीवन में कभी ऐसी तबाही नहीं देखी. मैं यहां 50 से अधिक वर्षों से किताबें बेच रहा हूं. हवा इतनी तेज थी कि मेरी दुकान से किताबें उड़ गईं. सड़क पर आपको जो किताबें बिखरीं नजर आ रही हैं, वो मेरी और पास की दुकान की हैं. किताबें पूरी तरह से तबाह हो चुकी हैं, हम उन्हें अब नहीं बेच सकते. इस तूफान में मुझे 50,000 रुपये का नुकसान हुआ है. इस स्थिति से निकलने में कम से कम दो साल लगेंगे’.
पिछले बुधवार को, जब चक्रवात अम्फन ने पश्चिम बंगाल में प्रवेश किया, तो इसने राज्य भर में तबाही मचाई. 86 लोगों को तूफान के चलते अपनी जान गंवानी पड़ी है. चूंकि शहर में परिवहन सेवाएं उपलब्ध नहीं थीं, इसलिए पुस्तक विक्रेता सही समय पर अपनी दुकानों तक नहीं पहुंच सके. यदि उनके लिए दुकान पहुंचना संभव होता तो शायद उन्हें कम नुकसान उठाना पड़ता. एक दिन बाद जब वह कॉलेज स्ट्रीट पहुंचे, तब तक बहुत देर हो चुकी थी. सड़कों पर बिखरीं पड़ी किताबें पूरी तरह भीग चुकी थीं, उनके पन्ने फटे हुए थे.
मोलो गुहा (Moloy Guha) पर दोहरी मार पड़ी है. तूफान में न केवल उनकी किताबें बर्बाद हुईं बल्कि दुकान भी क्षतिग्रस्त हो गई है. उन्होंने कहा, ‘मेरी दुकान पर पेड़ गिर गया, जिसके चलते उसकी छत पूरी तरह से टूट गई है. इसके अलावा, बुक का स्टॉक भी बर्बाद हो गया है. समझ नहीं आ रहा है कि अब मैं क्या करूंगा’. पुस्तक विक्रेताओं ने अब सरकार से मदद की गुहार लगाई है. देखने वााली बात यह है कि क्या सरकार देश के सबसे बड़े किताब बाजार के विक्रेताओं की मदद के लिए आगे आती है या नहीं? कॉलेज स्ट्रीट के बारे में कहा जाता है कि जो किताब आपको कहीं नहीं मिलेगी, वो यहां जरूर मिल जायेगी.