History of Popular Front of India: देश में इस्लामिक कट्टरपन को बढ़ाने में यूं तो कई संगठन लगे हुए हैं लेकिन इनमें PFI का नाम सबसे आगे है. क्या आप जानते हैं कि इस संगठन का जन्म कैसे हुआ और यह किस खतरनाक मिशन पर काम कर रहा है.
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History of Popular Front of India: हमारे देश में एक शब्द काफ़ी इस्तेमाल होता है और वो शब्द है Brainwash. ये शब्द पुलिस भी इस्तेमाल करती है, नेता भी इस्तेमाल करते हैं और राजनीतिक पार्टियां भी इसके नाम पर सियासत करती हैं. दुनिया में Brainwash शब्द का पहली बार परिचय 1950 के दशक में हुआ था. उस दौर में Brainwash का अर्थ होता था, अपने मस्तिष्क को साफ करना. यानी आपके मस्तिष्क में जो बुरे और नकारात्मक विचार हैं, उन्हें बाहर कर देना.
समय के साथ इस शब्द के मायने बदलते गए और आज ये शब्द तब इस्तेमाल होता है, जब कोई व्यक्ति दूसरे व्यक्ति के विचारों को प्रभावित कर अपनी सोच से ढाल लेता है. यानी अब Brain की Washing मस्तिष्क में नफरत का डेटा फीड करने के लिए होती है और इस्लामिक कट्टरवाद का ये पूरा मॉडल इसी Brain Wash के सिद्धांत पर टिका है.
मुस्लिम युवाओं का ब्रेनवाश कर रहा PFI
अब सवाल ये है कि ये Brain Wash करता कौन है? अगर इस मामले में देखें तो आरोप Popular Front of India यानी PFI नाम के संगठन पर है. PFI वही संगठन है, जिसका नाम दिल्ली में दंगे भड़काने, शाहीन बाग के आन्दोलन को फंडिंग करने, केरल में राजनीतिक हत्याओं की योजना बनाने और जबरन धर्म परिवर्तन के भी कई मामलों में सामने आ चुका है.
इस संगठन की स्थापना वर्ष 2006 में केरल में हुई थी. उस समय दक्षिण भारत के तीन मुस्लिम संगठनों का विलय करके PFI नाम का ये संगठन बना था. ये संगठन थे.. National Development Front यानी NDF. ये संगठन केरल का था. Forum for Dignity, ये मुस्लिम संगठन कर्नाटक का था और तीसरा संगठन था MNP, जो तमिल नाडु का मुस्लिम संगठन था.
दंगों और राजनीतिक हत्याओं के लिए कुख्यात
हालांकि ऐसे भी आरोप लगते हैं कि कई आतकंवादी गतिविधियों में जब SIMI नाम के संगठन का नाम सामने आया और इस पर भारत में प्रतिबंध लगा दिया गया, तब इसके विकल्प के रूप में PFI बना और SIMI के लोग इसमें शामिल हो गए. शुरुआत से ही PFI पर साम्प्रदायिक दंगों को भड़काने और नफरत का माहौल तैयार करने के आरोप लगते रहे हैं. वर्ष 2014 में केरल हाई कोर्ट में राज्य सरकार की ओर से जमा किए गए एक हलफनामे के अनुसार, PFI के कार्यकर्ता केरल में हुई 27 राजनीतिक हत्याओं के लिए ज़िम्मेदार थे. जबकि इसी हलफनामे में केरल सरकार ने ये भी बताया था कि PFI केरल में हुई 106 साम्प्रदायिक घटनाओं में किसी ना किसी रूप में शामिल था.
प्रोफेसर का काट दिया था हाथ
इसके अलावा वर्ष 2015 में PFI के 13 कार्यकर्ताओं को उम्रकैद की सजा हुई थी. आपको पता है ये सजा किस केस में हुई थी? ये मामला भी पैगम्बर मोहम्मद साहब के कथित अपमान से जुड़ा था. उस समय केरल के एक कॉलेज में एक प्रोफेसर द्वारा प्रश्न पत्र तैयार किया गया था, जिसमें एक जगह पैगम्बर मोहम्मद साहब का जिक्र हुआ था. इसे PFI के लोगों ने धार्मिक अपमान का मुद्दा बना दिया और तनाव इतना बढ़ गया कि प्रोफेसर के उस हाथ को ही काट दिया गया, जिससे उसने प्रश्न पत्र में पैगम्बर मोहम्मद साहब का जिक्र किया था.
उत्तर भारत में तेजी से किया विस्तार
ये संगठन पहले केवल दक्षिण भारत तक सीमित था. लेकिन पिछले कुछ सालों में इसका विस्तार उत्तर भारत में भी तेजी से हुआ है. अब ये संगठन दिल्ली में भी उतना ही मजबूत है, जितना केरल में है. पिछले ही महीने ED ने PFI से संबंधित 22 Bank Accounts को Freeze कर दिया था, जिनमें 68 लाख रुपये जमा थे. ED के अनुसार, PFI से संबंधित इन Bank Accounts में 60 करोड़ से ज्यादा की रकम जमा हुई थी, जिसमें से 30 करोड़ रुपये कैश के रूप में जमा हुए थे. यानी इस संगठन का जो बैंक बैलेंस है, वो एक बड़ी कम्पनी के जैसा है.
यही वजह है कि निज़ामाबाद में कराटे के नाम पर जो सिर काटने का पाठ पढ़ाया जा रहा था, उसमें PFI का नाम सामने आया है और उसके चार लोगों की गिरफ़्तारी भी इसमें अब तक हो चुकी है.
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