Supreme Court On Farmers Protest: सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से सवाल किया कि आपका क्लाइंट (केंद्र सरकार) यह बयान क्यों नहीं दे सकता कि हम किसानों की शिकायतों पर चर्चा करने के लिए तैयार हैं?
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Supreme Court News: सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को केंद्र सरकार से पूछा कि वह यह क्यों नहीं कह सकती कि उसके दरवाजे आंदोलनरत किसानों के लिए खुले हैं. SC ने कहा कि केंद्र ऐसा बयान क्यों नहीं दे सकता कि वह फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की कानूनी गारंटी सहित विभिन्न मांगों को लेकर प्रदर्शन कर रहे किसानों की उचित शिकायतों पर विचार करेगा. जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस उज्जल भुइयां की बेंच ने इसके अलावा केंद्र से किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल की ओर से दायर नई याचिका पर जवाब देने को कहा. याचिका में कृषि कानूनों को निरस्त किए जाने के बाद 2021 में प्रदर्शनकारी किसानों को फसलों पर एमएसपी की कानूनी गारंटी सहित अन्य मांगों के कार्यान्वयन के लिए केंद्र सरकार को निर्देश देने का अनुरोध किया गया है.
सुप्रीम कोर्ट का केंद्र सरकार से सवाल
बेंच ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से पूछा, 'आपका मुवक्किल यह बयान क्यों नहीं दे सकता कि वह वास्तविक मांगों पर विचार करेगा और हम किसानों की शिकायतों पर चर्चा करने के लिए तैयार हैं, हमारे दरवाजे खुले हैं? केंद्र सरकार बयान क्यों नहीं दे सकती?' इस पर मेहता ने कहा, 'शायद अदालत को विभिन्न कारकों की जानकारी नहीं है, इसलिए अभी हम खुद को एक व्यक्ति के स्वास्थ्य के मुद्दे तक सीमित रख रहे हैं. केंद्र सरकार प्रत्येक किसान के प्रति चिंतित है.'
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टकराव की तरफ न बढ़ें, डल्लेवाल को नसीहत
डल्लेवाल की ओर से नई याचिका दायर करने वाली याचिकाकर्ता गुनिंदर कौर गिल से कहा गया कि वे टकराव वाला रुख न अपनाएं, क्योंकि अदालत ने ऐसे विभिन्न मुद्दों से निपटने के लिए उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता में एक उच्चस्तरीय समिति गठित की है. बेंच ने कहा, 'आप प्रस्ताव के अनुपालन के लिए कह रही हैं. हम प्रस्ताव के अनुपालन के लिए कैसे निर्देश दे सकते हैं? आपको रिकॉर्ड पर कुछ और लाना होगा. हम इस पर नोटिस जारी कर रहे हैं. लेकिन कुछ सोचिए. टकराव की ओर न बढ़ें... कृपया टकराव के बारे में न सोचें.'
गिल ने कहा कि यह मुद्दा 2021 में हल हो गया था, जब गारंटी के लिए एक प्रस्ताव अपनाया गया था. उन्होंने कहा, 'मामला पहले ही गारंटी में सुलझ चुका था. प्रस्ताव की आखिरी दो-तीन पंक्तियों से यह स्पष्ट हो जाता है कि यह केंद्र सरकार की ओर से गारंटी थी... यह एक प्रतिबद्धता और वादा था, जिसके आधार पर किसानों ने अपना आंदोलन वापस ले लिया. अब, वे (केंद्र) पीछे नहीं हट सकते.' गिल ने कहा कि इन मुद्दों को सुलझाने के लिए एक के बाद एक समितियां गठित की जा रही हैं.
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हमें कमेटी पर पूरा भरोसा: सुप्रीम कोर्ट
SC ने कहा कि उसे समिति पर 'पूरा भरोसा' है, जिसकी अध्यक्षता एक पूर्व जज कर रहे हैं, जिनकी जड़ें एक तरह से पंजाब और हरियाणा दोनों के कृषि क्षेत्र में हैं. जस्टिस सूर्यकांत ने कहा, 'हमने पंजाब और हरियाणा के विशेषज्ञों को शामिल किया है, जो कृषिविद्, अर्थशास्त्री और प्रोफेसर हैं. वे सभी विद्वान, तटस्थ लोग हैं और उनके नाम दोनों पक्षों से आए हैं. अब जब समिति बन गई है, तो आप एक मंच के जरिये बातचीत क्यों नहीं कर रहे हैं? हम किसानों से सीधे बातचीत नहीं कर सकते. संभवतः केंद्र सरकार, चाहे अच्छे या बुरे कारण कुछ भी हों, निर्णय लेना उसका काम है.'
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बेंच ने याचिका की एक प्रति उच्चाधिकार प्राप्त समिति के सदस्य सचिव को देने का निर्देश दिया, जो तीन जनवरी को प्रदर्शनकारी किसानों और अन्य हितधारकों के साथ बातचीत कर सकती है. सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और समिति से डल्लेवाल की ओर से दायर नई याचिका पर 10 दिन के भीतर जवाब दाखिल करने को कहा. डल्लेवाल केंद्र सरकार पर किसानों की विभिन्न मांगों को स्वीकार करने का दबाव बनाने के लिए 26 नवंबर से पंजाब और हरियाणा के बीच खनौरी सीमा पर अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर हैं. (भाषा इनपुट)