Rajdhani Express: राजधानी एक्सप्रेस जो कभी भारत की तेज़ ट्रेनों का सपना हुआ करती थी, समय के साथ स्पीड के मामले में ज्यादा प्रोग्रेस नहीं कर पाई.
राजधानी एक्सप्रेस भारत की उन चुनिंदा ट्रेनों में शामिल है जिनकी औसत रफ्तार सबसे ज्यादा है. मार्च 1969 में भारतीय रेलवे ने राजधानी एक्सप्रेस लॉन्च की थी. हावड़ा-दिल्ली रूट पर चलने वाली देश की पहली हाई-स्पीड ट्रेन थी.
देश की पहली राजधानी एक्सप्रेस अपने समय में लक्जरी और रफ्तार की रानी मानी जाती थी. इस ट्रेन ने ट्रैवल का समय अन्य ट्रेनों की तुलना में काफी कम कर दिया और देश को तेज गति वाली ट्रेनों का सपना दिखाया.
हालांकि, इसके 50 साल बाद भी दुनिया की सबसे तेज ट्रेन की बराबरी करने का सपना अधूरा है. जापान की शिंकानसेन और फ्रांस की टीजीवी जैसी ट्रेनें 300 किमी/घंटे से अधिक की गति से दौड़ती हैं.
1973 में हावड़ा-दिल्ली राजधानी एक्सप्रेस ने यह सफर 17 घंटे 20 मिनट में पूरा किया था, जिसकी अधिकतम गति 120 किमी/घंटा थी. आज 2025 में यह सफर 17 घंटे 15 मिनट में होता है, जबकि अधिकतम गति बढ़कर 130 किमी/घंटा हो चुकी है. फिर भी औसत गति 84 किमी/घंटा पर रुकी हुई है.
हालांकि, मुंबई-दिल्ली रूट पर चलने वाली राजधानी एक्सप्रेस की यात्रा समय में कमी आई है. मुंबई-दिल्ली राजधानी एक्सप्रेस ने 1975 में 19 घंटे 5 मिनट में यात्रा पूरी की थी. आज यह समय घटकर 15 घंटे 32 मिनट हो गया है. हालांकि, औसत गति 89 किमी/घंटा ही है, जो यूरोप की लोकल ट्रेनों की गति से भी कम है.
वहीं, दिल्ली-चेन्नई राजधानी एक्सप्रेस की औसत स्पीड कम ही हो गई है. साल 1993 में चेन्नई-दिल्ली राजधानी एक्सप्रेस की शुरुआत हुई थी. लेकिन समय के साथ इसकी स्पीड और कम ही हो गई है. 1995 में यह दूरी 28 घंटे 15 मिनट में पूरी होती थी, जबकि 2025 में यह समय बढ़कर 28 घंटे 35 मिनट हो गया है.
इससे स्पष्ट है कि राजधानी एक्सप्रेस जो कभी भारत की तेज़ ट्रेनों का सपना हुआ करती थी, समय के साथ स्पीड के मामले में ज्यादा प्रोग्रेस नहीं कर पाई. यह भारतीय रेलवे की कंस्ट्रक्टिव चैलेंजेज और सुधार की धीमी गति को दर्शाता है. क्या वंदे भारत जैसी नई ट्रेनें इस इस रफ्तार को बदल पाएंगी, यह देखना बाकी है.
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