पत्नी की सहमति के बिना अननेचुरल सेक्स अपराध नहीं... हाईकोर्ट ने 8 साल पुराने मामले में पति को किया बरी
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पत्नी की सहमति के बिना अननेचुरल सेक्स अपराध नहीं... हाईकोर्ट ने 8 साल पुराने मामले में पति को किया बरी

High Court News: 8 साल पुराने मामले में छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने आरोपी को यह कहते हुए बरी कर दिया कि पत्नी के साथ सहमति या बिना सहमति से बनाए गए सेक्सुअल रिलेशन के लिए रेप या अननेचुरल सेक्स का मामला दर्ज नहीं किया जा सकता.

पत्नी की सहमति के बिना अननेचुरल सेक्स अपराध नहीं... हाईकोर्ट ने 8 साल पुराने मामले में पति को किया बरी

Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने सोमवार को एक अहम फैसला सुनाया है. कोर्ट ने इस फैसले में कहा कि पति द्वारा पत्नी के साथ जबरन बनाया गया शारीरिक संबंध रेप की श्रेणी में नहीं आता है. अदालत ने एक मुकदमे की सुनवाई के दौरान फैसला सुनाया कि पति पर अपनी पत्नी के साथ सहमति या बिना सहमति से बनाए गए यौन संबंधों के लिए रेप या अननेचुरल सेक्स का मामला दर्ज नहीं किया जा सकता.

क्या कहा हाईकोर्ट ने?
न्यायमूर्ति नरेंद्र कुमार व्यास की एकल पीठ ने यह फैसला सुनाया. उन्होंने कहा कि भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 376 और 377 के तहत किसी पति को अपनी पत्नी के साथ सेक्सुअल रिलेशन बनाने पर दोषी नहीं ठहराया जा सकता, अगर पत्नी की उम्र 15 साल से ज्यादा है. Live Law' की रिपोर्ट के मुताबिक, अदालत ने यह भी कहा कि अगर पत्नी की सहमति न भी हो, तो भी यह रेप की श्रेणी में नहीं आता. 

जानिए क्या था पूरा मामला?
दरअसल, यह पूरा मामला 11 दिसंबर 2017 का है. एक शख्स ने अपनी पत्नी के साथ उसकी सहमति के बिना अप्राकृतिक यौन संबंध बनाने का आरोप लगाया था. इस घटना के बाद पत्नी को इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा था.  हालांकि, बाद में महिला की मौत हो गई थी. लेकिन डॉक्टरों ने पुष्टि की थी कि महिला की मौत पेरिटोनिटिस और Rectal Perforation की वजह से हुई थी. इस मामले में ट्रायल कोर्ट ने पति को 10 साल की सजा सुनाई थी. अब हाईकोर्ट ने यह कहते हुए उसे बरी कर दिया कि शादी के बाद होने वाले सेक्सुअल रिलेशन रेप की श्रेणी में नहीं आते. अगर पत्नी की उम्र 15 ज्यादा हो.

पीठ ने कहा, 'यह साफ है कि अगर पत्नी की उम्र 15 वर्ष से कम नहीं है, तो पति द्वारा अपनी पत्नी के साथ बनाए गए संबंध को इन परिस्थितियों में रेप नहीं कहा जा सकता है, क्योंकि अप्राकृतिक काम के लिए पत्नी की सहमति के अभाव का महत्व खत्म हो जाता है, इसलिए, इस अदालत का मानना ​​है कि अपीलकर्ता के खिलाफ आईपीसी की धारा 376 और 377 के तहत अपराध नहीं बनता है.'

कोर्ट का तर्क
अदालत ने अपने फैसले में कहा कि शादी के बाद बनाए गए यौन संबंधों को रेप नहीं माना जा सकता, भले ही पत्नी की सहमति न हो. इसके अलावा, अप्राकृतिक यौन संबंध को भी अपराध नहीं माना जा सकता.

 

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