Jitan Ram Manjhi: क्या पशुपति पारस वाली गलती कर रहे हैं जीतन राम मांझी? कहीं खामियाजा ना भुगतना पड़ जाए
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Jitan Ram Manjhi: क्या पशुपति पारस वाली गलती कर रहे हैं जीतन राम मांझी? कहीं खामियाजा ना भुगतना पड़ जाए

Bihar Politics: जीतन राम मांझी की तुलना पशुपति पारस से कर रहे हैं. प्रेशर पॉलिटिक्स में जो गलती कभी पशुपति पारस ने की थी, वही अब जीतन राम मांझी करने में लगे हैं.

जीतन राम मांझी-पशुपति पारस

Bihar Politics: बिहार की सियासी गलियारों में इन दिनों केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी काफी छाए हुए हैं. विधानसभा चुनाव से पहले एनडीए को लेकर उनके तेवर बदल गए हैं. अब वो फुल बगावत वाले मूड में हैं. मंगलवार (21 जनवरी) उन्होंने एक ऐसी बात कह दी, जिससे पटना से लेकर दिल्ली तक खलबली मच गई. दरअसल, उन्होंने एनडीए पर उनकी हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (HAM) पार्टी की उपेक्षा करने का आरोप लगाते हुए मोदी कैबिनेट से इस्तीफे तक की धमकी दे दी. हालांकि, बाद में उन्हें अपनी गलती का एहसास हुआ और उन्होंने कहा कि उनकी एनडीए से कोई नाराजगी नहीं है. मीडिया से बात करते हुए उन्होंने कहा कि मुझे जो इतना बड़ा पद पीएम नरेंद्र मोदी ने दिया है, वह कोई मामूली बात नहीं है. दिल्ली चुनाव में मैं पूरी तरह से एनडीए के पक्ष में हूं.

मांझी ने भले ही प्रेशर पॉलिटिक्स में ये सब किया हो, लेकिन 'कमान से निकला तीर' की तरह उनके मुंह से निकली बात वापस नहीं ली जा सकती. उनके इस बयान को लेकर सियासी गलियारों में चर्चाओं का बाजार हो गया है. सियासी जानकार अब जीतन राम मांझी की तुलना पशुपति पारस से कर रहे हैं. लोगों का कहना है कि जो गलती कभी पशुपति पारस ने की थी, वही अब जीतन राम मांझी करने में लगे हैं. बता दें कि लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी और जेडीयू पर प्रेशर बनाने के लिए पशुपति पारस ने मोदी सरकार से इस्तीफा दे दिया था. इसका नतीजा ये हुआ कि एनडीए में उनको बिल्कुल इग्नोर कर दिया गया. लोकसभा चुनाव में उनको एक भी सीट नहीं मिली. यहां तक पटना में उनके सरकारी बंगले को भी वापस लेकर चिराग पासवान को दे दिया गया.

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सियासत के जानकारों का कहना है कि अगर जीतन राम मांझी भी केंद्रीय मंत्री के पद से इस्तीफा दे देते हैं, तो इससे मोदी सरकार को कोई खास फर्क नहीं पड़ेगा. वहीं मांझी को एनडीए में साइड किया जा सकता है. मांझी को एनडीए से बाहर करके मुकेश सहनी की रीएंट्री कराई जा सकती है या फिर मांझी को मिलने वाली सीटें किसी अन्य सहयोगी को दी जा सकती हैं. वैसे भी लोकसभा चुनाव में एनडीए से जो गलतियां हुई उसे विधानसभा में नहीं दोहराया जाएगा. सूत्रों का कहना है कि उस चुनाव में लोजपा, हम और उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी ने सीट बंटवारे को लेकर जो ड्रामा किया, उससे गलत मैसेज गया था. इस बार जिसने नाराजगी जताई, उसे बाहर का रास्ता दिखा दिया जाएगा.

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