Madhubani Latest News: पुष्प वाटिका में माता सीता फूल तोड़ने और पूजा करने पहुंचती थी. गुरु विश्वामित्र जी के साथ राम-लक्ष्मण जब फुलहर आए तो उन्हें फूल तोड़ने के लिए बाग तड़ाक पुष्पवाटिका भेजा गया था, उसी समय सीता जी भी अपनी सहेलियों के साथ वहां आई हुई थीं.
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Madhubani News: मधुबनी के फुलहर गांव स्थित त्रेतायुग रामायण कालीन ऐतिहासिक स्थल फुलहर गिरिजा स्थान का कायाकल्प होगा. बिहार सरकार ने पर्यटक स्थल घोषित कर 31 करोड़ साढ़े तेरह लाख रुपए स्वीकृति दी. बताया जा रहा है कि फुलहर के बाग तड़ाग पुष्पवाटिका में सीता-राम की पहली मुलाकात हुई थी. परिसर में आज भी तीनों लोक के बाण; तीर, कमान विराजमान हैं.
दरअसल, मधुबनी जिले के भारत-नेपाल सीमा क्षेत्र में स्थित हरलाखी प्रखंड का फुलहर गिरिजा स्थान रामायण काल से विराजमान है. यह स्थान नेपाल के प्रसिद्ध धार्मिक स्थल जनकपुर धाम से जुड़ा हुआ है. किंवदंती है कि यह वही पावन स्थल है जहां माता सीता और प्रभु श्रीराम की पहली मुलाकात हुई थी. पुष्प वाटिका में माता सीता फूल तोड़ने और पूजा करने पहुंचती थी. गुरु विश्वामित्र जी के साथ राम-लक्ष्मण जब फुलहर आए तो उन्हें फूल तोड़ने के लिए बाग तड़ाक पुष्पवाटिका भेजा गया था, उसी समय सीता जी भी अपनी सहेलियों के साथ वहां आई हुई थीं.
पुजारी की माने तो सीता की सहेलियों ने राम के तरकश में रखे तीनों लोक भ्रमण करने वाले बाण को देखने की इच्छा जताई. सीता जी ने अपनी दिव्य शक्ति से वह बाण वहीं रख लिया, जो रामायण काल से आज तक वहीं विराजमान है. फुलहर गिरिजा स्थान मिथिला के राजा जनक की कुलदेवी का मंदिर था. माता सीता प्रतिदिन जनकपुर से आकर बाग तड़ाग तालाब में स्नान करती और पुष्पवाटिका से फूल तोड़कर मां गिरिजा की पूजा करती थीं.
महाकवि तुलसीदास ने रामचरितमानस में भी फुलहर गिरिजा स्थान और बाग तड़ाग पुष्पवाटिका का उल्लेख किया है. प्रति वर्ष यहां परिक्रमा का आयोजन होता है, जिसमें लाखों श्रद्धालु भाग लेते हैं. इस वर्ष परिक्रमा 2 मार्च को आयोजित की जाएगी. भारत और नेपाल दोनों देशों के श्रद्धालु यहां नियमित रूप से दर्शन करने आते हैं.
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बीते महीने जनवरी में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार प्रगति यात्रा के दौरान मधुबनी पहुंचे थे और फुलहर स्थान को पर्यटक स्थल घोषित किया. बिहार सरकार ने 31 करोड़ 13 लाख 55 हजार रुपए की राशि स्वीकृत की है. इस धनराशि से बाग तड़ाग पुष्पवाटिका से लेकर माता गिरिजा की पावन धरती तक का आधुनिकीकरण किया जाएगा.
इनपुट: इन्दु भूषण
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