'पुरानी साइकिल, नया धोखा', नेपाल-बिहार बॉर्डर पर जलाईं गईं चीन साइकिलें
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'पुरानी साइकिल, नया धोखा', नेपाल-बिहार बॉर्डर पर जलाईं गईं चीन साइकिलें

Motihari Latest News: विश्लेषकों का कहना हैं कि चीन नेपाल के मधेश क्षेत्र में अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए सहायता कार्यक्रम चला रहा है, लेकिन ये कार्यक्रम सम्मानजनक और वास्तविक विकास के लिए नहीं हुए, तो इसका उल्टा असर होगा और चीन विरोधी भावनाएं बढ़ेंगी. 

नेपाल-बिहार बॉर्डर पर जलाई गईं चीन साइकिलें

Motihari News: नेपाल के बीरगंज में चीनी सहायता के नाम पर पुरानी और घटिया गुणवत्ता वाली साइकिलें वितरित किए जाने के विरोध में राष्ट्रीय विद्यार्थी परिषद, बीरगंज ने लक्ष्मणवा (प्रतिमा) चौक पर प्रदर्शन किया और चीनी साइकिलें जलाकर विरोध जताया. प्रदर्शनकारियों ने नारे लगाए. 'चीन की चालाकी अब नहीं चलेगी, मधेस को सम्मान चाहिए!' और 'पुरानी साइकिल, नया धोखा, चीन, हमें बेवकूफ बनाना बंद करो!' 

विद्यार्थी परिषद के नेताओं ने आरोप लगाया कि चीन ने मधेस के विद्यार्थियों का अपमान करने के लिए इस तरह की निम्नस्तरीय सामग्री सहायता के रूप में भेजी है. एक छात्र नेता ने कहा कि हमें झूठा दान नहीं, बल्कि सच्ची नीयत चाहिए. चीन ने मधेस को बेइज्जत करने के लिए कबाड़ भेजा है. प्रदर्शन के दौरान छात्रों ने कहा की मधेस को दान के नाम पर कबाड़ नहीं, बल्कि सम्मान चाहिए. गुस्साए प्रदर्शनकारियों ने वितरित की गई कुछ घटिया साइकिलों को मौके पर ही आग के हवाले कर दिया. प्रदर्शन में स्थानीय नागरिक भी शामिल हुए. 

उन्होंने आरोप लगाया कि चीनी सरकार की तरफ से 'सहायता' के नाम पर फेंकी गई सामग्री भेजना मधेस विरोधी मानसिकता को दर्शाता है. प्रदर्शनकारियों ने चेतावनी दी कि अगर इस तरह की अपमानजनक गतिविधियां दोहराई गईं, तो वे उग्र आंदोलन करेंगे. यह पहली बार नहीं है जब मधेस में साइकिल वितरण को लेकर विवाद हुआ हो. साल 2078 में प्रदेश-2 सरकार के 'बेटी पढ़ाओ, बेटी बचाओ' अभियान के तहत वितरित साइकिलो में भी अनियमितता हुई थी. 

इस ताजा घटना में विद्यार्थी नेताओं का कहना हैं कि चीन ने सहायता के नाम पर मधेस को घटिया और बेकार साइकिलें देकर अपमानित किया है. विश्लेषकों का कहना हैं कि चीन नेपाल के मधेश क्षेत्र में अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए सहायता कार्यक्रम चला रहा है, लेकिन ये कार्यक्रम सम्मानजनक और वास्तविक विकास के लिए नहीं हुए, तो इसका उल्टा असर होगा और चीन विरोधी भावनाएं बढ़ेंगी. 

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स्थानीय छात्र समूहों ने चीनी सहायता को 'फेक डोनेशन' बताते हुए इसका कड़ा विरोध किया और मधेस के लिए वास्तविक विकास की मांग की. उन्होंने सरकार से भी आग्रह किया कि वह 'विदेशी हस्तक्षेप के बजाय नागरिकों के सम्मान और आवश्यकताओं पर ध्यान केंद्रित करे.'

इनपुट: पंकज कुमार

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