उत्तरकाशी की सुरंग के अंदर 17 दिनों से फसें सभी 41 श्रमिकों को मंगलवार शाम सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया. इसके तुरंत बाद ही श्रमिकों पर एक रेपिड फिजिकल टेस्ट परीक्षण किया गया, जिसमें से कुछ का ब्लड प्रेशर ज्यादा मिला.
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उत्तराखंड के उत्तरकाशी में स्थित सिलक्यारा-बरकोट सुरंग के अंदर 17 दिनों से फसें सभी 41 श्रमिकों को मंगलवार शाम सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया. श्रमिकों को एनडीआरएफ (NDRF) की टीम ने बाहर निकाला. इस दौरान उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर धामी मौके पर मौजूद रहे, जिन्होंने मजदूरों को माला पहनाकर उनका स्वागत किया.
मजदूरों को बाहर निकालने के लिए रेस्क्यू टीम ने 17 दिन तक रात-दिन लगातार कड़ी मेहनत की. टीम ने सुरंग में एक पाइप डाला और उस पाइप के माध्यम से एक-एक करके मजदूरों को बाहर निकाला. इसके तुरंत बाद ही श्रमिकों पर एक रेपिड फिजिकल टेस्ट परीक्षण किया गया, जिसमें से कुछ का ब्लड प्रेशर ज्यादा मिला.
श्रमिकों का बीपी क्यों हाई था?
टेस्ट करने वाले एक डॉक्टर ने कहा कि सभी श्रमिक फिट पाए गए, लेकिन उनमें से अधिकांश का ब्लड प्रेशर (बीपी) हाई रिकॉर्ड किया गया, जिसे एंग्जाइटी का कारण माना जा रहा है. आपको बता दें कि इतने लंबे समय तक एक ही जगह पर फंसे रहने से मजदूरों में चिंता और तनाव हो गया होगा, जिसके कारण उनका ब्लड प्रेशर ज्यादा बढ़ गया. बीपी बढ़ने के अन्य कारण ये भी हो सकते हैं जैसे-
गंदगी और धूल
सुरंग के अंदर गंदगी और धूल का स्तर अधिक रहा होगा. इससे मजदूरों को सांस लेने में परेशानी रही होगी, जिसके कारण उनका ब्लड प्रेशर बढ़ा हुआ मिला.
गर्मी और उमस
सुरंग के अंदर गर्मी और उमस अधिक रही होगी. इससे मजदूरों को पसीना अधिक आया होगा, जिससे उनके शरीर से पानी और इलेक्ट्रोलाइट्स निकल गए होंगे. इससे भी शायद उनका ब्लड प्रेशर बढ़ गया होगा.
अपर्याप्त भोजन और पानी
सुरंग के अंदर मजदूरों ने पर्याप्त भोजन और पानी नहीं पीया होगा. इससे उन्हें पोषण की कमी हो सकती है, जो ब्लड प्रेशर का कारण होता है.
इनमें से किसी भी कारण से मजदूरों का ब्लड प्रेशर हाई हो सकता है. हालांकि, यह कहना मुश्किल है कि वास्तव में इनमें से कौन सा कारण सबसे अधिक जिम्मेदार था. मजदूरों के ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करने के लिए उन्हें एंटी-हाइपरटेंसिव दवाएं दी गईं. इन दवाओं से उनके ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करने में मदद मिली और उन्हें कोई स्वास्थ्य समस्या नहीं हुई.