पुरुषों के लिए चिंता की खबर: पहाड़ों पर ट्रैकिंग से फर्टिलिटी पर पड़ता बुरा असर, रिसर्च में हुआ खुलासा
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पुरुषों के लिए चिंता की खबर: पहाड़ों पर ट्रैकिंग से फर्टिलिटी पर पड़ता बुरा असर, रिसर्च में हुआ खुलासा

यह रिसर्च उन पुरुषों के लिए एक महत्वपूर्ण चेतावनी है, जो नियमित रूप से ट्रैकिंग करते हैं या ऊंचाई वाले इलाकों में लंबे समय तक रहते हैं. आइए जानते हैं, आखिर कैसे ऊंचाई और फर्टिलिटी का यह कनेक्शन आपकी सेहत पर असर डालता है.

पुरुषों के लिए चिंता की खबर: पहाड़ों पर ट्रैकिंग से फर्टिलिटी पर पड़ता बुरा असर, रिसर्च में हुआ खुलासा

अगर आपको पहाड़ों पर ट्रैकिंग का शौक है, तो यह खबर आपकी सेहत को लेकर चिंता बढ़ा सकती है. हाल ही में हुई एक रिसर्च में खुलासा हुआ है कि ऊंचाई वाले इलाकों में ट्रैकिंग करने से पुरुषों की फर्टिलिटी पर नकारात्मक असर पड़ सकता है. विशेषज्ञों का कहना है कि पहाड़ों की कठिन परिस्थितियां, जैसे कम ऑक्सीजन, ठंडा तापमान और शारीरिक थकावट, पुरुषों के स्पर्म काउंट और क्वालिटी पर बुरा प्रभाव डाल सकती हैं. 

जर्नल नेचर रिव्यूज यूरोलॉजी में प्रकाशित हुए रिसर्च में खुलासा हुआ है कि ज्यादा ऊंचाई पर ट्रैकिंग और अन्य एक्टिविटी पुरुषों की प्रजनन क्षमता (fertility) पर गलत प्रभाव डाल सकती हैं. रिसर्च में आगे बताया गया है कि 'टेस्टिस हाइपोक्सिया' (अंडकोष में ऑक्सीजन की कमी) पिछले 50 वर्षों में पुरुषों की फर्टिलिटी में गिरावट का एक महत्वपूर्ण फैक्टर हो सकता है.

क्या है टेस्टिस हाइपोक्सिया?
टेस्टिस हाइपोक्सिया का मतलब है कि अंडकोष को पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन नहीं मिल रही है. इसका कारण कई पुरानी बीमारियां हो सकती हैं, जैसे स्लीप एपनिया और वेरीकोसेल. अध्ययन की प्रमुख लेखिका और यूनिवर्सिटी ऑफ न्यूकैसल (ऑस्ट्रेलिया) की रिप्रोडक्टिव बायोलॉजिस्ट डॉ. टेसा लॉर्ड ने बताया कि वेरीकोसेल (जो अंडकोष थैली में नसों का बढ़ना है) पुरुषों की फर्टिलिटी कम करने वाले मामलों में लगभग 45 प्रतिशत में पाया जाता है.

ऊंचाई और स्लीप एपनिया का असर
ऊंचाई वाले क्षेत्रों में ट्रैकिंग करने से अंडकोष में ऑक्सीजन की कमी होती है, जिससे स्पर्म की क्वालिटी और संख्या पर नेगेटिव प्रभाव पड़ता है. हालांकि, इसका असर अस्थायी होता है और समुद्र तल पर लौटने के कुछ महीनों बाद सामान्य हो सकता है. स्लीप एपनिया भी टेस्टिस हाइपोक्सिया का कारण बनता है. यह समस्या मोटापे के बढ़ते मामलों के साथ आम होती जा रही है.

फर्टिलिटी और बच्चों पर प्रभाव
डॉ. लॉर्ड ने कहा कि टेस्टिस हाइपोक्सिया का प्रभाव केवल स्पर्म तक सीमित नहीं है. यह भ्रूण के विकास और अगली पीढ़ी की फर्टिलिटी पर भी असर डाल सकता है. रिसर्च में बताया गया है कि पिता के टेस्टिस हाइपोक्सिया के कारण पैदा हुए बच्चों में विकास संबंधी समस्याएं हो सकती हैं, और उनकी फर्टिलिटी भी प्रभावित हो सकती है.

क्या करें?
पुरुषों को अपनी फर्टिलिटी की देखभाल के लिए नियमित हेल्थ चेकअप करवानी चाहिए. वेरीकोसेल और स्लीप एपनिया जैसी स्थितियों के इलाज पर ध्यान देना चाहिए और ऊंचाई वाले क्षेत्रों में जाने से पहले सावधान रहना चाहिए.

Disclaimer: प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मकसद से लिखी गई है. हमने इसको लिखने में सामान्य जानकारियों की मदद ली है. आप कहीं भी कुछ भी अपनी सेहत से जुड़ा पढ़ें तो उसे अपनाने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.

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