Cancer Risk: कैंसर एक बड़ी बीमारी है और दुनिया भर की मौतों का दूसरा सबसे अहम कारण भी. खराब लाइफस्टाइल के साथ-साथ और किस समय खाना खा रहे हैं, इससे भी कैंसर बढ़ने का खतरा रहता है. आइए जानते हैं क्या.
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Cancer Risk: दुनिया भर में हो रही मौतों का दूसरा प्रमुख कारण कैंसर है. पुरुषों में कुछ सबसे आम कैंसर में फेफड़ों के प्रोस्टेट, कोलोरेक्टल, पेट और लिवर कैंसर शामिल हैं, जबकि महिलाओं में स्तन, कोलोरेक्टल, फेफड़े, गर्भाशय ग्रीवा और थायरॉयड कैंसर होने का खतरा अधिक होता है. यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि जब कैंसर के खतरे को कम करने की बात आती है तो हमारी लाइफस्टाइल का एक अभिन्न हिस्सा होता है. लेकिन इसके अलावा हम दिन में किस समय खाना खाते हैं, ये भी एक कैंसर का फैक्टर हो सकता है.
बार्सिलोना इंस्टीट्यूट फॉर ग्लोबल हेल्थ के शोधकर्ताओं के एक अध्ययन के अनुसार, खाने का समय यह भी निर्धारित कर सकता है कि उसे कैंसर होने का खतरा अधिक है. अध्ययन में यह पाया गया कि जो लोग नियमित रूप से रात 9 बजे के बाद खाते हैं या बेड पर जाने और खाना खाने के बीच दो घंटे का अंतराल नहीं छोड़ते हैं, उन्हें कैंसर होने का अधिक खतरा होता है.
ऐसा क्यों होता है?
सर्कैडियन बायोलॉजिकल घड़ी नींद-जागने के चक्र को निर्धारित और नियंत्रित करती है, जिसे सर्कैडियन रिदम के रूप में भी जाना जाता है. यदि आपकी बॉडी क्लॉक ठीक से काम कर रही है और ठीक से चलती है (रात के 9 बजे या उसके बाद तक), तो आपका शरीर सोने के लिए तैयार नहीं होना चाहिए और न अधिक सक्रिय होना चाहिए, जो खाने से हो सकता है. यह तब सर्कैडियन रिदम को बाधित कर सकता है और नींद, भूख और तनाव को प्रभावित कर सकता है.
नींद की भूमिका
जैसा कि चर्चा की गई है, बॉडी क्लॉक 24 घंटे के चक्र का अनुसरण करता है, जो हमारे जागने पर, हमारी भूख, हमारे शरीर के तापमान और हमारे मूड को नियंत्रित करता है. इसमें किसी भी व्यवधान को कैंसर के बढ़ते जोखिम से जोड़ा गया है.
कैंसर के अन्य फैक्टर
डब्ल्यूएचओ के अनुसार, तंबाकू का उपयोग, शराब का सेवन, अनहेल्दी डाइट, शारीरिक निष्क्रियता और वायु प्रदूषण कैंसर के रिस्क फैक्टर हैं. कुछ संक्रमणों के कारण भी कैंसर के खतरे को बढ़ा सकता है. कैंसर एजेंसी का कहना है कि वैश्विक स्तर पर 2018 में निदान किए गए कैंसर के लगभग 13% कैंसरजन्य संक्रमणों के लिए जिम्मेदार थे, जिनमें हेलिकोबैक्टर पाइलोरी, मानव पेपिलोमावायरस (एचपीवी), हेपेटाइटिस बी वायरस, हेपेटाइटिस सी वायरस और एपस्टीन-बार वायरस (2) शामिल हैं.
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