MS and Gut Bacteria Connection: गट माइक्रोबायोम, यानी- आंत में मौजूद सूक्ष्म जीव, मल्टीपल स्क्लेरोसिस (एमएस) नाम की एक बीमारी को बढ़ाने में जरूरी भूमिका निभाता है. यह एक ऑटोइम्यून बीमारी है, जो हमारे सेंट्रल नर्वस सिस्टम पर असर डालता है. एक स्टडी में यह बात सामने आई है, जिससे यह समझने में मदद मिल सकती है कि कुछ लोगों को यह बीमारी क्यों होती है?
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Impact of Gut Bacteria on MS: हमारी आंत में खरबों बैक्टीरिया और दूसरे माइक्रोऑर्गेनिज्म होते हैं, जिन्हें मिलाकर माइक्रोबायोम कहा जाता है. ये जीव हमारे डाइजेस्टिव सिस्टम में रहते हैं और हमारे हेल्थ पर असर डालते हैं. अमेरिका की येल यूनिवर्सिटी के रिसर्चर्स ने पाया कि एमएस के मरीजों की आंत में कुछ खास तरह के बैक्टीरिया की मात्रा सामान्य लोगों की तुलना में अलग होती है. साथ ही, इन मरीजों में "इम्युनोग्लोबुलिन ए (आईजीए)" नामक एंटीबॉडी से ढके बैक्टीरिया की संख्या भी कम पाई गई.
अमेरिका के रिसर्चर्स का दावा
रिसर्च की चीफ साइंटिस्ट, एसोसिएट प्रोफेसर एरिन लॉन्गब्रेक के अनुसार, "जब एमएस के मरीजों में आईजीए से ढके बैक्टीरिया कम होते हैं, तो यह दर्शाता है कि उनके शरीर और इंटेस्टाइन के जीवों के बीच बैलेंस बिगड़ गया है. संभव है कि इन्वरमेंटल रीजन से इंटेस्टाइन के बैक्टीरिया में बदलाव होता है, जिससे एमएस होने की संभावना बढ़ जाती है."
43 लोगों पर किया गया टेस्ट
यह स्टडी "न्यूरोलॉजी न्यूरोइम्यूनोलॉजी एंड न्यूरोइन्फ्लेमेशन" जर्नल में पब्लिश हुआ है. इसमें 43 ऐसे लोगों को शामिल किया गया, जिन्हें हाल ही में एमएस हुआ था और उन्होंने अभी तक कोई इलाज शुरू नहीं किया था. इनकी तुलना 42 स्वस्थ लोगों से की गई. उनके मल के सैंपल की जांच से पता चला कि एमएस (मल्टीपल स्केलेरोसिस) के मरीजों में 'फीकलिबैक्टीरियम' नामक बैक्टीरिया कम थे, जबकि बिना इलाज वाले एमएस मरीजों में 'मोनोग्लोबस' नामक बैक्टीरिया ज्यादा थे.
स्वस्थ लोगों से की गई तुलना
इन 43 मरीजों में से 19 को "बी-सेल डिप्लीशन थेरेपी" नामक इलाज दिया गया, जिससे शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली (इम्यून सिस्टम) की उन सेल्स को नष्ट किया जाता है, जो ऑटोइम्यून बीमारियों को बढ़ाती हैं. इलाज के छह महीने बाद, जब दोबारा इनके मल के नमूने लिए गए, तो इनके गट माइक्रोबायोम स्वस्थ लोगों की तरह हो गए.
प्रोफेसर लॉन्गब्रेक ने कहा कि इस स्टडी से यह समझने में मदद मिलती है कि यह दवा एमएस के इलाज में कैसे काम करती है. इसके जरिए यह भी जाना जा सकता है कि कुछ लोगों को एमएस क्यों होता है, जबकि अन्य लोग इससे सुरक्षित रहते हैं.
--आईएएनएस
Disclaimer: प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मकसद से लिखी गई है. हमें इसको लिखने में घरेलू नुस्खों और सामान्य जानकारियों की मदद ली है. आप कहीं भी कुछ भी अपनी सेहत से जुड़ा पढ़ें तो उसे अपनाने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.