कोलेस्ट्रॉल शरीर के सही ढंग से काम करने में कोलेस्ट्रॉल अहम भूमिका निभाता है. यह हेल्दी सेल्स के निर्माण, आवश्यक हार्मोन्स के उत्पादन और विटामिन डी के संश्लेषण में मदद करता है.
Trending Photos
कोलेस्ट्रॉल शरीर के सही ढंग से काम करने में कोलेस्ट्रॉल अहम भूमिका निभाता है. यह हेल्दी सेल्स के निर्माण, आवश्यक हार्मोन्स के उत्पादन और विटामिन डी के संश्लेषण में मदद करता है. लेकिन जब इसका बैलेंस बिगड़ जाता है, तो यही कोलेस्ट्रॉल कई गंभीर बीमारियों का कारण बन सकता है. खासतौर पर, जब एलडीएल कोलेस्ट्रॉल (LDLC) (जिसे आमतौर पर 'बैड कोलेस्ट्रॉल' कहा जाता है) खून में बढ़ जाता है, तो दिल की बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है. भारत में करीब 31% लोग हाई कोलेस्ट्रॉल से पीड़ित हैं और हर साल 4.4 मिलियन यानी 7.8% मौतें इसकी वजह से होती हैं.
सबसे बड़ी चिंता की बात यह है कि हाई एलडीएलसी के कोई स्पष्ट लक्षण नहीं होते, इसलिए इसे ‘साइलेंट किलर’ कहा जाता है. जब तक कोई बड़ा स्वास्थ्य संकट न आए, तब तक यह आमतौर पर नजरअंदाज कर दिया जाता है, हाई एलडीएलसी के कारण एथेरोस्क्लेरोसिस नामक बीमारी हो सकती है, जिसमें कोलेस्ट्रॉल नसों में जमने लगता है और ब्लॉकेज बनाता है. इससे खून के फ्लो में रुकावट आती है, जो हार्ट अटैक, स्ट्रोक और दिल से जुड़ी अन्य गंभीर समस्याओं का कारण बन सकता है.
18 साल की उम्र से ही कराएं लिपिड प्रोफाइल टेस्ट
पहले यह माना जाता था कि हाई कोलेस्ट्रॉल सिर्फ 50 की उम्र के बाद होता है, लेकिन अब यह मिथक टूट चुका है. डॉक्टरों का मानना है कि 18 साल की उम्र से ही नियमित रूप से लिपिड प्रोफाइल टेस्ट कराना चाहिए. कोलेस्ट्रॉल का स्तर हर व्यक्ति के लिए अलग हो सकता है और यह उम्र, जेनेटिक और अन्य बीमारियों पर निर्भर करता है.
लाइफस्टाइल और दवाओं का पालन जरूरी
दिल्ली स्थित सर गंगाराम अस्पताल के सीनियर कंसल्टेंट कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. अश्वनी मेहता कहते हैं कि अधिकतर मरीजों को हाई कोलेस्ट्रॉल का अहसास ही नहीं होता, जिससे वे इसे गंभीरता से नहीं लेते. करीब 80% मरीज लाइफस्टाइल में सुधार या दवाओं के नियमित सेवन को लंबे समय तक जारी नहीं रख पाते.
हाई कोलेस्ट्रॉल को कंट्रोल करने के लिए केवल शुरुआती उत्साह काफी नहीं है, बल्कि लगातार प्रयास की जरूरत होती है।.दवाओं का नियमित सेवन बेहद जरूरी है, क्योंकि भारत में इसकी एडहेरेन्स (अनुशासन) दर सिर्फ 60% है. लिपिड-लोअरिंग दवाएं लिवर में कोलेस्ट्रॉल के उत्पादन को रोकती हैं या खून से इसे हटाने में मदद करती हैं. यदि किसी व्यक्ति को पहले से कोई दिल की बीमारी या अन्य गंभीर स्वास्थ्य समस्या है, तो दवाओं का सेवन अनिवार्य हो जाता है.
कैसे रखें कोलेस्ट्रॉल को कंट्रोल में?
* तली-भुनी चीजें, ट्रांस फैट और प्रोसेस्ड फूड से बचें. हरी सब्जियां, फल, नट्स और ओमेगा-3 से भरपूर चीजें खाएं.
* रोजाना कम से कम 30 मिनट की फिजिकल एक्टिविटी जरूरी है.
* धूम्रपान और शराब से बचें. ये कोलेस्ट्रॉल बैलेंस को बिगाड़ सकते हैं.
* हर छह महीने में लिपिड प्रोफाइल टेस्ट कराएं.
* दवा का नियमित सेवन. डॉक्टर की सलाह के बिना दवा न छोड़ें.
Disclaimer: प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मकसद से लिखी गई है. हमने इसको लिखने में सामान्य जानकारियों की मदद ली है. आप कहीं भी कुछ भी अपनी सेहत से जुड़ा पढ़ें तो उसे अपनाने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.