Jaane Jaan Film Review: आज करीना कपूर का जन्मदिन (Kareena Kapoor Birthday) है और उन्होंने ओटीटी डेब्यू के साथ नई शुरुआत की है. फिल्म जाने जान को उन्हीं के नाम पर प्रमोट किया गया. लेकिन जयदीप अहलावत बाजी मार ले जाते हैं. नेटफ्लिक्स (Netflix) पर आई यह फिल्म आप देखना चाहते हैं, तो दो घंटे निकालने से पहले यह रिव्यू पढ़ लें...
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Jaane Jaan Movie Review: आप उम्मीद से शुरू करें और निराशा पर बात खत्म हो, तो सामने वाली टीम पर संदेह होना वाजिब है. निर्देशक सुजॉय घोष (Sujoy Ghosh) की फिल्म जाने जान (Jaane Jaan) में यही होता है. जयदीप अहलावत को छोड़ दें, तो निर्देशक समेत करीना कपूर (Kareena Kapoor) और विजय वर्मा (Vijay Varma) की यह फिल्म अंत आते-आते बुरी तरह फिसल जाती है. जापानी उपन्यास द डिवोशन ऑफ सस्पेक्ट एक्स पर यह फिल्म बनने की बीते कई बरसों से चर्चा थी. लेकिन जब फिल्म आई तो नाम बड़े और दर्शन छोटे कहावत खुद-ब-खुद याद आ गई. कहानी जैसी फिल्म बनाने वाले सुजॉय घोष हर नई फिल्म के साथ उतर पर दिखते हैं. करीना कपूर यहां किसी भी स्तर पर प्रभावित करने में नाकाम रहती हैं.
जयदीप जबर्दस्त
जाने जान की अगर कोई जान है, तो वह हैं जयदीप अहलावत (Jaideep Ahalawat). निर्देशक और साथी कलाकारों की तमाम कमजोरियों के बीच वह अपना झंडा गाड़ते हैं. अनाकर्षक व्यक्ति, जीनियस गणित अध्यापक और एक खामोश प्रेमी के रूप में जयदीप का यह किरदार याद रखा जाएगा. किरदार के किसी भी पक्ष को उन्होंने अपनी तरफ से ढीला नहीं पड़ने दिया. सस्पेक्ट एक्स के रूप में वह कहानी केंद्र में हैं और वही इसे गतिमान रखते हैं. जबकि करीना का किरदार कुछ सीमित बातों के दायरे में बंधा रहता है. हालांकि इस किरदार में परतें हैं, मगर करीना उन परतों के साथ खुद को ढालने में नाकाम नजर आती हैं. वह सपाट ढंग से अभिनय करती हैं और प्रभाव पैदा करने में नाकाम रहती हैं.
गणित और तर्क
विजय वर्मा एक्टर से ‘बॉलीवुड हीरो’ (Bollywood Hero) बनने की तरफ बढ़ रहे हैं. ऐसा करते हुए कई एक्टर लड़खड़ाए हैं. यह खतरा विजय वर्मा के सामने भी है. करीना की तरफ उनका नकली रोमांटिक झुकाव कहानी में कोई रंग नहीं भरता. तय है कि जयदीप अहलावत को छोड़ दें, तो करीना और विजय वर्मा की कास्टिंग फिल्म को कमजोर बनाती है. वहीं सौरभ सचदेवा अपनी छोटी-सी भूमिका में जमे हैं. जाने जान में गणित और तर्क की बातें हैं. इस कसौटी पर निर्देशक सुजॉय घोष अपनी फिल्म को कसने में नाकाम रहे. गणित और तर्क में तमाम फार्मूलों से जोड़-घटाव के बाद अंतिम निष्कर्ष महत्वपूर्ण होता है. जाने जान में अंतिम निष्कर्ष ही फ्लॉप साबित होता है. यह चकित करने वाली बात है कि जो कहानी उपन्यास के रूप में बीस लाख ज्यादा प्रतियां बिकने की बात करती है, सुजॉय की फिल्म के रूप में वह निराश करती है.
कथा-पटकथा
जाने जान की कहानी पश्चिम बंगाल में हिमालय की ताराई वाले पहाड़ी इलाके में बसे कलिमपोंग में विस्तार लेती है. माया डिसूजा (करीना कपूर) यहां एक रेस्तरांनुमा भोजन सेंटर चलाती है. वह 12 साल की बेटी की सिंगल मदर है. माया का पड़ोसी है नरेन (जयदीप अहलावत). गणित का जीनियस टीचर. अचानक 13-14 साल बाद माया का पति उसे ढूंढते हुए पहुंच जाता है. यहीं माया के हाथों वह घर में मारा जाता है. नरेन इस हत्या को छुपाने में माया और उसकी बेटी की मदद करता है. तभी मुंबई (Mumbai) से एक पुलिस अफसर करन (विजय वर्मा) भी माया के पति की तलाश में आता है. उसे लाश मिलती है और माया उसके लिए मुख्य संदिग्ध है! क्या बच पाएगी माया और क्या रोल होगा इसमें जीनियस नरेन काॽ क्या करन दोनों का पर्दाफाश करने में कामयाब होगाॽ कहानी में क्या उतार-चढ़ाव आएंगेॽ सवालों के स्तर पर तो बातें अच्छी लगती है, लेकिन पटकथा और संवाद के स्तर पर मामला सपाट है.
दृश्यम की डोर
वास्तव में इसी उपन्यास के सूत्रों को लेकर कुछ साल पहले मलयालम में दृश्यम बनी थी, जिसकी हिंदी रीमेक में अजय देवगन (Ajay Devgn) नजर आए थे. फिर पिछले साल दृश्यम की सीक्वल भी बनी. सच यह है कि कहानियों के समान सूत्र के बावजूद जाने जान किसी भी स्तर पर दृश्यम के नजदीक भी नहीं पहुंचती. दृश्यम लाश के गायब होने का सिरा बेहद रोचक ढंग से दर्शकों के सामने लाती है, जबकि जाने जान में इस सवाल का ही जवाब नहीं मिलता! बाकी और भी कुछ चीजें यहां अनसुलझी हैं. जहां तक नरेन के माया डिसूजा के प्रति खामोश प्रेम की बात है, तो वह कभी इतनी शिद्दत से नहीं उभरता कि देखने वाले को छू सके. माया के किरदार में ऐसा कुछ नजर नहीं आता कि उसकी बेबसी से दर्शक कनेक्ट हों. नेटफ्लिक्स (Netflix India) पर आई दो घंटे से अधिक की यह फिल्म देखने की एकमात्र वजह जयदीप अहलावत हैं. जहां तक करीना की बात है, तो वह इस जन्मदिन (Kareena Kapoor Birthday) से पहले ही पू जैसे किरदारों की उम्र के आगे आ चुकी हैं. जबकि माया जैसे रोल के लिए अभिनय में जो जरूरी निखार चाहिए, वह कम से कम इस फिल्म में नहीं दिखता.
निर्देशकः सुजॉय घोष
सितारे: करीना कपूर, जयदीप अहलावत, विजय वर्मा, सौरभ सचदेवा
रेटिंग**