आखिर क्यों होता है इंडियन Army, Navy और Air Force के सैल्यूट में अंतर? खास है वजह
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आखिर क्यों होता है इंडियन Army, Navy और Air Force के सैल्यूट में अंतर? खास है वजह

Army, Navy and Air Force Salute: आज गणतंत्र दिवस 2025 के मौके पर आर्मी, नेवी और एयरफोर्स के चीफ एक साथ सामने आए और राष्टपति को सम्मान देते हुए हैं तीनों सेनाओं के चीफ ने उन्हें सैल्यूट किया. इस दौरान तीनों सेनाओं के सैल्यूट में अंतर देखने को मिला. क्या आप जानते हैं कि आखिर तीनों सेनाओं के सैल्यूट में अंतर क्यों है.

आखिर क्यों होता है इंडियन Army, Navy और Air Force के सैल्यूट में अंतर? खास है वजह

Difference Between Army, Navy and Air Force Salute: भारतीय सशस्त्र बलों—आर्मी, नेवी और एयरफोर्स—के सैल्यूट न केवल उनके अनुशासन और परंपरा का प्रतीक हैं, बल्कि उनके कार्यक्षेत्र और संस्कृति का भी प्रतिबिंब हैं. हर बल का सैल्यूट अलग होता है और इसके पीछे ऐतिहासिक, प्रतीकात्मक और कार्यात्मक कारण होते हैं.

1. भारतीय सेना (Army): हथेली आगे की ओर
भारतीय सेना के जवान हथेली को बाहर की ओर करके सैल्यूट करते हैं. यह सैल्यूट ईमानदारी, निष्ठा और सम्मान का प्रतीक है. इसका उद्देश्य यह दिखाना है कि उनके हाथ खाली हैं और उनके इरादे साफ और मित्रवत हैं. ऐतिहासिक रूप से, यह सैल्यूट इस बात का प्रमाण था कि सैनिक के पास कोई हथियार नहीं है, और यह सम्मान देने का एक तरीका था.

2. भारतीय नौसेना (Navy): हथेली नीचे की ओर
भारतीय नौसेना का सैल्यूट हथेली को नीचे की ओर करके किया जाता है. यह परंपरा ब्रिटिश नेवी से आई है. ऐसा माना जाता है कि पुराने समय में नाविकों के हाथ अक्सर तेल और ग्रीस से गंदे होते थे, और हथेली दिखाना असभ्यता माना जाता था. इसके अलावा, यह सैल्यूट विनम्रता और अनुशासन का प्रतीक है, जो समुद्री परंपराओं का हिस्सा है.

3. भारतीय वायुसेना (Air Force): हथेली 45 डिग्री पर
भारतीय वायुसेना का सैल्यूट सबसे अलग है, जिसमें हथेली को 45 डिग्री के कोण पर रखा जाता है. यह सैल्यूट तेज़ी, सटीकता और पेशेवरता का प्रतीक है, जो वायुसेना के कामकाज की विशेषता है. इसे इस तरह से डिजाइन किया गया है कि यह आधुनिकता और सटीकता को दर्शाता है.

सैल्यूट के पीछे समानता
सैल्यूट, चाहे किसी भी बल का हो, उसका उद्देश्य सम्मान देना और बंधुत्व की भावना को दर्शाना है. यह उन मूल्यों का प्रतिनिधित्व करता है जो इन बलों की नींव हैं—ईमानदारी, अनुशासन और कर्तव्य.

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