Delhi Governance: दिल्ली में सरकारी किसी की भी हो लेकिन ये 5 पावर सेंट्रल गवर्मेंट के पास ही रहती हैं.
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Delhi CM Powers: दिल्ली में सीएम की पावरों को लेकर अलग अलग मुख्यमंत्रियों ने सवाल उठा हैं और ज्यादा पावर्स की डिमांड की है. अब दिल्ली में बीजेपी की सरकार बन गई है. आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि दिल्ली की सीएम के पास वो कौन सी 5 पावर हैं जो नहीं होंगी. वहीं दूसरे राज्यों के पास यह पावर होती हैं.
लॉ-एंड ऑर्डर पर अधिकार नहीं
दिल्ली में लॉ-एंड ऑर्डर बनाए रखने की जिम्मेदारी सेंट्रल गवर्मेंट की होती है. दिल्ली सरकार किसी भी तरह के सुरक्षा बलों को तैनात करने या हटाने का फैसला नहीं कर सकती है.
पुलिस पर कंट्रोल नहीं
दिल्ली पुलिस केंद्र सरकार के गृह मंत्रालय के तहत आती है. इसका मतलब है कि दिल्ली की कानून व्यवस्था और अपराध नियंत्रण पर दिल्ली सरकार का कोई सीधा कंट्रोल नहीं है. मतलब अगर दिल्ली में कुछ होता है तो सीएम पुलिस को सीधे आदेश नहीं दे सकती हैं.
हर काम में राज्यपाल (LG) की मंजूरी जरूरी
दिल्ली में उपराज्यपाल (LG) की भूमिका बहुत अहम होती है. दिल्ली सरकार कोई भी कानून या नीति बनाती है, तो उसे लागू करने से पहले LG की मंजूरी लेनी पड़ती है. कुछ मामलों में तो LG के पास वीटो पावर भी होती है, यानी वो किसी कानून को पास होने से रोक सकते हैं, और उस मामले को केंद्र सरकार को भेज सकते हैं. दूसरे राज्यों में ऐसा नहीं होता, वहां राज्यपाल की भूमिका इतनी महत्वपूर्ण नहीं होती.
जमीन पर कंट्रोल नहीं
दिल्ली में जमीन से जुड़े सभी मामलों का मैनेजमेंट केंद्र सरकार का शहरी विकास मंत्रालय देखता है. इसका मतलब है कि दिल्ली सरकार अपनी मर्जी से रियल एस्टेट या सरकारी जमीन के बारे में कोई फैसला नहीं ले सकती. उन्हें केंद्र सरकार से इजाजत लेनी होती है.
म्यूनिसिपल कॉर्पोरेशन (MCD) पर पूरा कंट्रोल नहीं
दिल्ली में नगर निगम (MCD) एक अलग संस्था है और यह केंद्र सरकार के अधीन काम करता है. इसका मतलब है कि दिल्ली सरकार का शहर की सेवाओं, जैसे कि सफाई और सड़क की मरम्मत आदि पर सीमित प्रभाव होता है.