ASER Report 2024: कोविड-19 के दौरान सरकारी स्कूलों में नामांकन में बढ़ोतरी हुई थी, जो अब लगभग 2018 के स्तर पर लौट आई है. एएसईआर 2024 के मुताबिक 6-14 साल के बच्चों में नामांकित छात्रों का अनुपात 2022 के 72.9% से घटकर 66.8% हो गया है.
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Government School Enrollment Decline: कोविड-19 महामारी के दौरान सरकारी स्कूलों में नामांकन में जो बढ़ोतरी हुई थी, वह अब घटकर प्री-पेंडेमिक लेवल पर पहुंच गई है. वार्षिक शिक्षा स्थिति रिपोर्ट (ASER) 2024 के अनुसार, ग्रामीण भारत में सरकारी और निजी स्कूलों के बीच एक बार फिर प्रतिस्पर्धा बढ़ गई है. महामारी के दौरान प्रभावित हुई बच्चों की पढ़ाई अब न केवल पटरी पर लौट रही है, बल्कि कुछ राज्यों में यह महामारी के पहले के स्तर से भी बेहतर हो गई है. इस रिपोर्ट ने शिक्षा के क्षेत्र में डिजिटल साक्षरता और बच्चों के सीखने के स्तर पर भी रोशनी डाली है.
निजी स्कूलों में बढ़ रहा है झुकाव
रिपोर्ट में पाया गया कि ग्रामीण क्षेत्रों में निजी स्कूलों में नामांकन लगातार बढ़ रहा है. 2006 में यह अनुपात 18.7% था, जो 2018 में 30.8% पर स्थिर हुआ. हालांकि, महामारी के दौरान आर्थिक कारणों से कई परिवारों ने सरकारी स्कूलों का रुख किया, लेकिन अब जब स्थिति सामान्य हो रही है, तो निजी स्कूलों की ओर फिर से झुकाव बढ़ रहा है.
पढ़ाई में सुधार और सीखने की क्षमता में वृद्धि
रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया है कि महामारी के दौरान बच्चों की लिखने-पढ़ने की क्षमता पर जो असर पड़ा था, उससे वे अब उबर चुके हैं. कुछ राज्यों ने तो महामारी-पूर्व के स्तर से भी बेहतर प्रदर्शन किया है. उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश और तमिलनाडु जैसे राज्यों में विशेष सुधार देखा गया है.
डिजिटल साक्षरता पर जोर
इस रिपोर्ट में पहली बार डिजिटल साक्षरता को भी शामिल किया गया. 14-16 साल के बच्चों में 82.2% ने बताया कि वे स्मार्टफोन का इस्तेमाल करना जानते हैं. इनमें से केवल 57% ने इसे शैक्षणिक उद्देश्यों के लिए इस्तेमाल किया, जबकि 76% ने सोशल मीडिया पर समय बिताया. यह डिजिटल साक्षरता में सुधार की दिशा में एक महत्वपूर्ण संकेत है.
कम उम्र में स्कूल जाने वाले बच्चों की संख्या घटी
रिपोर्ट में बताया गया है कि पहली कक्षा में पांच साल या उससे कम उम्र के बच्चों का अनुपात 2018 में 25.6% से घटकर 2024 में 16.7% हो गया है. यह एक सकारात्मक संकेत है कि अब अधिक उम्र के बच्चे स्कूलों में प्रवेश कर रहे हैं, जो उनकी पढ़ाई में स्थिरता और बेहतर परिणाम की ओर इशारा करता है.
महामारी के बाद की शिक्षा का नया दौर
रिपोर्ट बताती है कि महामारी के बाद शिक्षा क्षेत्र में कई बदलाव हुए हैं. राज्यों ने अपने स्तर पर सुधार किए हैं और कई नीतिगत प्रयास भी देखे गए हैं. यह भी स्पष्ट है कि निजी और सरकारी स्कूलों के बीच प्रतिस्पर्धा बढ़ रही है.