maharashtras economy: साक्षरता के मामले में केरल 96.2% के साथ अव्वल है. हिमाचल और उत्तराखंड भी इस मामले में तेजी से आगे बढ़ रहे हैं. मिजोरम में सबसे ज्यादा मिजोरम में 84.5% जंगल हैं. यहां हम आपको अलग-अलग राज्यों से जुड़े कुछ रोचक जानकारी बता रहे हैं-
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Delhi Per Capital Income: देश के अलग-अलग राज्यों में इकोनॉमी को लेकर काफी असमानता देखने को मिलती है. प्रति व्यक्ति आय के मामले में दिल्ली, सिक्किम और गोवा सबसे आगे हैं. इन राज्यों की पर कैपिटा इनकम साउथ अफ्रीका के बराबर है. उत्तर प्रदेश की हालत दुनिया के सबसे सबसे गरीब देशों में शामिल सोमालिया और रवांडा के जैसी है. महाराष्ट्र की इकोनॉमी पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान को पीछे छोड़ देती है. साक्षरता के मामले में केरल 96.2% के साथ अव्वल है. हिमाचल और उत्तराखंड भी इस मामले में तेजी से आगे बढ़ रहे हैं. मिजोरम में सबसे ज्यादा मिजोरम में 84.5% जंगल हैं. यहां हम आपको अलग-अलग राज्यों से जुड़े कुछ रोचक जानकारी बता रहे हैं-
सबसे ज्यादा जंगल
क्षेत्रफल के हिसाब से देश का सबसे बड़े राज्य राजस्थान में महज 5% वन क्षेत्र है. यह आंकड़ा पंजाब (3.7%) और हरियाणा (3.6%) की तुलना में भी कम है. उत्तर प्रदेश में वन क्षेत्र 6.2% और गुजरात में 7.6% है. दूसरी ओर पूर्वोत्तर भारत के राज्यों में वन क्षेत्र का प्रतिशत काफी ज्यादा है. मिजोरम (84.5%), अरुणाचल प्रदेश (79.3%), मेघालय (76%), मणिपुर (74.3%) और नागालैंड (73.9%) में वन क्षेत्र का प्रतिशत 70% से अधिक है. एरिया के हिसाब से देश के सबसे बड़े राज्य राजस्थान में केवल पांच फीसदी जंगल है. पंजाब और हरियाणा की स्थिति के उससे ज्यादा बदतर है.
दिल्ली में सबसे ज्यादा मोबाइल
दिल्ली में हर आदमी के पास औसतन तीन मोबाइल हैं. बिहार इस मामले में सबसे पीछे है, यहां हर 100 लोगों के पास 57.3 मोबाइल हैं. मध्य प्रदेश और यूपी की हालत गरीब देशों की तरह है. दिल्ली के बाद सबसे ज्यादा मोबाइल केरल की जनता के पास हैं. इन राज्यों में 100 लोगों पर 121.56 मोबाइल हैं. इसके बाद पंजाब, हिमाचल प्रदेश और कर्नाटक का नंबर आता है.
बिहार अभी भी सबसे गरीब राज्यों में से एक
1980 से 1984 तक पंजाब, देश के बड़े राज्यों में सबसे अमीर था. हरियाणा की प्रति व्यक्ति आय, पंजाब की तुलना में 86% थी. 2020-2022 में हरियाणा भारत का सबसे समृद्ध राज्य बन गया है. पंजाब की प्रति व्यक्ति आय अब हरियाणा की 63% ही रह गई है. बिहार की प्रति व्यक्ति आय हरियाणा के 20% के बराबर है. पिछले 40 सालों में देश के सबसे अमीर राज्यों की रैंकिंग में बदलाव आया है. हरियाणा ने आर्थिक विकास में तेजी दिखाई है, जबकि पंजाब पीछे रह गया है. बिहार अभी भी सबसे गरीब राज्यों में से एक है.
दिल्ली की प्रति व्यक्ति आय साउथ अफ्रीका के बराबर
सिक्किम, गोवा और दिल्ली की प्रति व्यक्ति आय साउथ अफ्रीका के बराबर है. जिससे यह साफ है कि ये भारत के सबसे समृद्ध क्षेत्रों में से एक हैं. बिहार और यूपी की की प्रति व्यक्ति आय रवांडा और सोमालिया जैसे कम आय वाले देशों के बराबर है. इससे गरीबी और आर्थिक पिछड़ेपन उजागर होता है.
महाराष्ट्र की इकोनॉमी पाकिस्तान से बड़ी
महाराष्ट्र की इकोनॉमी पाकिस्तान से बड़ी है. महाराष्ट्र की अर्थव्यवस्था का आकार 439 अरब डॉलर है, वहीं पाकिस्तान की इकॉनमी 338 अरब डॉलर है. जीडीपी के साइज के हिसाब से महाराष्ट्र के बाद तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश, कर्नाटक और गुजरात का नंबर है. वहीं पूर्वोत्तर राज्य मिजोरम की जीडीपी सबसे कम 0.3 लाख करोड़ रुपये है.
सबसे ज्यादा फैक्ट्री तमिलनाडु में
सबसे ज्यादा फैक्ट्री तमिलनाडु में 38,837 फैक्ट्री हैं. इसके बाद दूसरे नंबर पर गुजरात (28,479) और महाराष्ट्र (25,610) का है. मणिपुर (204) नगालैंड (190) और मेघालय (158) में सबसे कम फैक्ट्रियां हैं.
झारखंड में बिजली की किल्लत
झारखंड में कोयले का बड़ा भंडार है लेकिन बिजली के मामले में यह सबसे नीचे पांच राज्यों में है. पूर्वी और पूर्वोत्तर राज्यों में प्रति व्यक्ति बिजली की उपलब्धता 1,221 किलोवाट से कम है. गोवा में 3,197 यूनिट के साथ टॉप पर है. पंजाब (2,497) और हरियाणा (2,404) दूसरे और तीसरे नंबर पर हैं. वहीं त्रिपुरा (422 यूनिट), मणिपुर (375) और बिहार (373) सबसे नीचे हैं.
साक्षरता में कौन है सबसे आगे
केरल शिक्षा के क्षेत्र में सबसे आगे है, जहाँ 96.2% की साक्षरता दर के साथ यह राज्य शीर्ष पर है. हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड भी शिक्षा के मामले में तेज़ी से प्रगति कर रहे हैं. दुर्भाग्य से, आंध्र प्रदेश शिक्षा में पिछड़ रहा है, और इसकी साक्षरता दर बिहार और राजस्थान से भी कम है. दिल्ली और उत्तराखंड 88.7% की साक्षरता दर के साथ संयुक्त रूप से दूसरे स्थान पर हैं. बिहार में साक्षरता दर 70.9%, राजस्थान में 69.7% और आंध्र प्रदेश में 66.4% है.
एमपी में शिशु मृत्यु दर की स्थिति चिंताजनक
मध्य प्रदेश में शिशु मृत्यु दर की स्थिति अत्यंत चिंताजनक है. प्रति 1000 जीवित जन्मों पर 43 शिशु मृत्यु के साथ, यह अफगानिस्तान से भी बदतर है, जो 45 प्रति 1000 है. यह आंकड़ा दर्शाता है कि मध्य प्रदेश में शिशु स्वास्थ्य सेवाओं में भारी सुधार की आवश्यकता है. इसके विपरीत, मिजोरम, नागालैंड, गोवा, सिक्किम, मणिपुर और केरल जैसे राज्यों में शिशु मृत्यु दर 6 या उससे भी कम है. यह इन राज्यों को जर्मनी, अमेरिका और ब्रिटेन जैसे विकसित देशों के समकक्ष बनाता है. यह अंतर भारत में स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता में भारी असमानता को उजागर करता है.
महिला प्रजनन दर
भारत में प्रजनन दर राज्यवार भिन्न है. बिहार इस मामले में सबसे आगे है, जहाँ प्रति महिला औसतन तीन बच्चे पैदा होते हैं. मेघालय में यह 2.9, उत्तर प्रदेश में 2.4, झारखंड में 2.3 और मणिपुर में 2.2 बच्चे प्रति महिला है. इसके विपरीत, हिमाचल प्रदेश में प्रजनन दर 1.7, पश्चिम बंगाल, पंजाब और दिल्ली में 1.6 और जम्मू और कश्मीर में 1.4 बच्चे प्रति महिला है. राष्ट्रीय औसत 2.1 बच्चे प्रति महिला है, और 31 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में यह औसत से कम है. यह डेटा भारत में प्रजनन दर में भारी असमानता को दर्शाता है. उच्च प्रजनन दर वाले राज्यों में गरीबी, अशिक्षा और लैंगिक समानता की कमी जैसे कई कारक हो सकते हैं.
ज्यादा जीवित रहता है दिल्ली का व्यक्ति
दिल्ली में जीवन प्रत्याशा छत्तीसगढ़ की तुलना में 10 साल ज्यादा है. इसका मतलब है कि दिल्ली का औसत व्यक्ति छत्तीसगढ़ के औसत व्यक्ति की तुलना में 10 साल अधिक जीवित रहता है. दिल्ली में जीवन प्रत्याशा 75.8 वर्ष है, जो भारत में सबसे अधिक है. इसके बाद केरल (75 वर्ष) और जम्मू और कश्मीर (74.3 वर्ष) का स्थान है. मध्य प्रदेश (67.4 वर्ष), उत्तर प्रदेश (66 वर्ष) और छत्तीसगढ़ (65.1 वर्ष) जीवन प्रत्याशा के मामले में सबसे नीचे हैं.