Ratan Tata Ford Revenge: 'तुम कुछ नहीं जानते', जब फोर्ड चेयरमैन ने किया रतन टाटा का अपमान, फिर ऐसे लिया था बदला
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Ratan Tata Ford Revenge: 'तुम कुछ नहीं जानते', जब फोर्ड चेयरमैन ने किया रतन टाटा का अपमान, फिर ऐसे लिया था बदला

Tata Group Networth: टाटा ने जगुआर और लैंड रोवर को न सिर्फ खरीदा बल्कि उसे बेहद कामयाब वेंचर भी बनाया. खरीदने के कुछ ही साल बाद ये सौदा फायदेमंद साबित हुआ और ये टाटा मोटर्स की सबसे ज्यादा बिकने वाली कारों में से एक बन गई. 

Ratan Tata Ford Revenge: 'तुम कुछ नहीं जानते', जब फोर्ड चेयरमैन ने किया रतन टाटा का अपमान, फिर ऐसे लिया था बदला

Ratan Tata Biography: सफलता बदला लेने का सबसे अच्छा तरीका है. अगर आप निराशा से कोई सबक लेकर खुद के लिए सफलता के रास्ते खोलना चाहते हैं तो रतन टाटा से प्रेरणा ले सकते हैं. भारत में ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री में क्रांति लाने का श्रेय रतन टाटा को जाता है. उन्होंने 90 के दशक में टाटा इंडिका लॉन्च की थी. इसे शुरुआत में ऐतिहासिक उपलब्धि के तौर पर देखा गया लेकिन उससे शुरुआत में वैसे नतीजे नहीं मिले, जैसी उम्मीद थी. ये रतन टाटा का ड्रीम प्रोजेक्ट था लेकिन कार शुरुआत में मार्केट में पकड़ बनाने में कामयाब नहीं हो पाई और बिक्री बेहद कम थी. कम बिक्री के कारण टाटा मोटर्स ने अपना कार डिविजन बेचने का फैसला किया. 

साल 1999 में टाटा समूह कार बिजनेस फोर्ड को बेचना चाहता था. रतन टाटा अपनी टीम के साथ डेट्रॉइट गए और फोर्ड के चेयरमैन बिल फोर्ड से मिले. दोनों के बीच मीटिंग करीब 3 घंटे चली लेकिन रतन टाटा का बिल फोर्ड ने बहुत अपमान किया. दोनों के बीच क्या बातचीत हुई, इसका एक वीडियो कारोबारी हर्ष गोएनका ने शेयर किया है.

क्या है वीडियो में

बिल फोर्ड ने रतन टाटा से कहा-तुम कुछ नहीं जानते. तुमने पैसेंजर कार डिविजन क्यों शुरू की? हम तुम्हारा कार डिविजन खरीदकर तुम पर बड़ा अहसान कर रहे हैं. इस अपमान के बाद रतन टाटा का पारा चढ़ गया. उसी रात उन्होंने तय किया कि वह कार बिजनेस नहीं बेचेंगे और वह अपनी टीम के साथ फ्लाइट से मुंबई आ गए. उन्होंने पूरा ध्यान टाटा मोटर्स पर लगाया. कहते हैं ना असफलता सबसे बड़ी प्रेरणा होती है. 

9 साल बाद वक्त बदला और दौर रतन टाटा का आया. 2008 तक टाटा की कारें मार्केट में छा चुकी थीं. साल 1999 में अमेरिका में हुए अपमान का बदला लेने का वक्त आ चुका था. फोर्ड के हाल बुरे चल रहे थे. कारें बिक नहीं रही थीं. 2008 में रतन टाटा ने 2.3 बिलियन डॉलर में फोर्ड को उसकी जगुआर और लैंड रोवर सीरीज की कारों का बिजनेस खरीदने का ऑफर दिया.  

रतन टाटा ने नहीं किया अपमान

फोर्ड चेयरमैन ने रतन टाटा का शुक्रिया अदा करते हुए कहा, 'आपने जगुआर और लैंड रोवर कारों का बिजनेस खरीदकर बड़ा अहसान किया है.' चाहते तो रतन टाटा फोर्ड चेयरमैन का अपमान कर सकते थे लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया. टाटा ने जगुआर और लैंड रोवर को न सिर्फ खरीदा बल्कि उसे बेहद कामयाब वेंचर भी बनाया. खरीदने के कुछ ही साल बाद ये सौदा फायदेमंद साबित हुआ और ये टाटा मोटर्स की सबसे ज्यादा बिकने वाली कारों में से एक बन गई. 

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