Zakir Hussain Buried: दुनियाभर में मशहूर तबला वादक जाकिस हुसैन का इंतकाल 16 दिसंबर 2024 को हुआ था. उन्हें 19 19 दिसंबर को सैन फ्रांसिस्को में सुपुर्द-ए-खाक कर दिया गया है. पूरी खबर पढ़ने के लिए नीचे स्क्रॉल करें.
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Zakir Hussain Buried: दुनियाभर में मशहूर तबला वादक जाकिस हुसैन को 19 दिसंबर को सैन फ्रांसिस्को में सुपुर्द-ए-खाक कर दिया गया है. मशहूर तालवादक ए. शिवमणि और दूसरे कलाकारों ने तबला वादक को ख़िराज-ए-अक़ीदत' देने के लिए अपने ड्रमों पर प्रदर्शन किया. जाकिर हुसैन फेफड़ों की बीमारी ‘इडियोपैथिक पल्मोनरी फाइब्रोसिस’ से पीड़ित थे. हालत बिगड़ने पर उन्हें 16 दिंसबर को सैन फ्रांसिस्को के एक अस्पताल के एक अस्पाताल में भर्ती किया गया था. जहां, उनकी मौत हो गई. अब उन्हें बृहस्पतिवार को सैन फ्रांसिस्को के फर्नवुड कब्रिस्तान में सुपुर्द-ए-खाक किया गया.
सैकड़ों फैंस हुए इकट्ठा
हुसैन के अंतिम संस्कार में उनके सैकड़ों फैंस उन्हें खिराज-ए-अकीदत देने के लिए इकट्ठा हुए थे. शिवमणि और कई दूसरे संगीतकारों ने उन्हें खिराज-ए-अकीदत देने के लिए थोड़ी दूरी पर ड्रम बजाया. शिवमणि ने न्यूज एजेंसी पीटीआई से कहा, ‘‘ताल ही ईश्वर है, वह (ताल) आप हैं जाकिर भाई. 1982 से लेकर अब तक के हमारे सफर में मैंने बहुत कुछ सीखा है. हर पल आप ताल में हमारे साथ होते हैं. जब भी मैं लय पकड़ता हूं, आप वहां होते हैं. हम आपसे प्यार करते हैं जाकिर भाई. आपकी यात्रा सुखद रहे. कृपया सभी उस्तादों को मेरा प्रणाम कहना.’’
मिल चुके हैं चार ग्रैमी अवार्ड
मशहूर तबला वादक अल्ला रक्खा के बेटे हुसैन ने इस वाद्य में क्रांति ला दी. हुसैन ने तबले की थाप को भारतीय शास्त्रीय संगीत की सीमाओं से निकालकर जैज और पश्चिमी शास्त्रीय संगीत तक पहुंचाया. भारत के मशहूर संगीतकारों में से एक हुसैन को छह दशक के करियर में चार ग्रैमी अवार्ड मिले. हुसैन के परिवार में पत्नी एंटोनिया मिन्नेकोला, बेटियां अनीसा कुरैशी और इजाबेला कुरैशी हैं.
जाकिर हुसैन को मिल चुके हैं अब तक इनते अवार्ड
जाकिर हुसैन को 1988 में ‘पद्मश्री’, 2002 में ‘पद्म भूषण’ और 2023 में ‘पद्म विभूषण’ से भी नवाजा गया था. अपने छह दशक के करियर में संगीतकार ने कई मशहूर इंटरनेशनल और भारतीय कलाकारों के साथ काम किया. साल 1973 के अपने एक संगीतमय कार्यक्रम में हुसैन, ब्रिटिश गिटारवादक जॉन मैकलॉघलिन, वायलिन वादक एल. शंकर और तालवादक टी. एच. ‘विक्कु’ विनायकराम के साथ मिलकर भारतीय शास्त्रीय संगीत और जैज का एक ऐसा ‘फ्यूजन’ रूप लेकर आए, जो अब तक अज्ञात था.