संसद में बुधवार यानि 13 दिसंबर को चार प्रदर्शनकारियों ने सदन के अंदर और परिसर में 'कलर्ड स्मोक' छोड़ा था और नारेबाज़ी की थी. इस मामले में अब तक सात लोगों की गिरफ्तारी हो चुकी है लेकिन छठी गिरफ़्तारी के बाद सोशल मीडिया पर ललित झा की काफी चर्चा हो रही है. दरअसल ललित झा को इस घटना का 'मास्टरमाइंड' बताया जा रहा है. ललित झा ने गुरुवार को खुद पुलिस स्टेशन जा कर सरेंडर किया था.
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बुधवार यानि 13 दिसंबर को जब लोकसभा में शून्यकाल चल रहा था तब ही विज़िटर गैलरी से दो व्यक्ति, हॉल में कूद गए और एक छोटे कैंट से पीले रंग का धुआं उड़ाने लगे. इसके साथ साथ उन दोनों व्यक्ति ने कई नारे भी लगाए. इसके बाद ये प्रदर्शनकारी जब स्पीकर की कुर्सी तक जाने की कोशिश कर रहे थे तभी सांसदों ने इन्हें धर दबोचा. जब संसद के अंदर इन दोनों ने प्रदर्शन किया ठीक उसी वक्त परिसर के बाहर भी दो प्रदर्शनकारियों ने लगभग ऐसी ही हरकत की थी. उन्होंने भी पीले रंग का धुआं छोड़ा और ‘तानाशाही बंद करो’ के नारे लगाए. इन चारों की गिरफ्तारी प्रदर्शन के दौरान ही हो गई थी लेकिन इसके बाद इस साजिश के मास्टरमाइंड ने 14 दिसंबर की देर रात को खुद सरेंडर कर दिया.
कौन है ललित झा
ललित झा मूल रुप से बिहार के रहने वाले हैं और टीचर के तौर पर कोलकाता में कार्यरत हैं. ललित की उम्र 32 साल है. इसके अलावा ललित नीलाक्ष आइच नाम की एक एनजीओ में जनरल सेक्रेटरी हैं. बुधवार को प्रदर्शनकारियों ने संसद परिसर में जब स्मोक छोड़ा तो ललित ने इसका वीडियो बना कर नीलाक्ष आइच के संस्थापक को मैसेज किया कि वे लोग सुरक्षित हैं. ललित झा के पिता कोलकाता के बड़ा बाजार इलाके में वॉचमैन की नौकरी करते थे. ललित कोलकाता के बड़ा बाज़ार इलाके में स्थानीय बच्चों को पढ़ाया करते थे. इसके बाद ललित दो साल पहले उत्तर 24 परगना के बागुईआटी चले गए थे. ललित झा को लेकर दिए गए बयान में पुलिस ने बताया कि ललित स्वतंत्रता सेनानी भगत सिंह से प्रेरित थे.
सरेंडर से पहले मिटा दिए टेक्निकल सबूत
सरेंडर करने से पहले गुरुवार की सुबह ललित झा ने सभी तरह के टेक्निकल सबूत मिटा दिए. हांलाकि पुलिस का कहना है कि जिस दिन ये प्रदर्शन हुआ था उस दिन ललित भी संसद में मौजूद थे लेकिन किसी तरह वहां से बच निकले. गुरुवार की सुबह ललित झा ने फोन सहित सारे टेक्निकल सबूत नष्ट कर दिए. इसके बाद ही ललित झा सरेंडर करने को निकल गए.
कोर्ट में अब तक क्या हुआ
इस मामले में पुलिस ने यूएपीए की धाराओं के तहत एफ़आईआर दर्ज की है.गुरुवार को पटियाला हाउस कोर्ट ने अभियुक्तों को सात दिन की पुलिस हिरासत में भेजा है.अभियुक्तों की पुलिस हिरासत में भेजने से पहले अदालत ने अभियुक्तों को एक वकील दिया क्योंकि उनकी पैरवी करने के लिए कोई वकील नहीं था.