Namaz Break Ends: असम विधानसभा में 90 साल से चली आ रही 'नमाज़ ब्रेक' की व्यवस्था पर रोक !
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Namaz Break Ends: असम विधानसभा में 90 साल से चली आ रही 'नमाज़ ब्रेक' की व्यवस्था पर रोक !

Namaz Break Ends in Assam Assembly:असम विधानसभा में विधानसभा सत्र के दौरान 90 सालों से चली आ रही जुमे के दिन की 'नामज़ ब्रेक' व्यवस्था पर शुक्रवार को सदन ने स्थाई तौर पर रोक लगा दी है. इस फैसले से जहाँ मुस्लिम विधायक नाराज़ हैं, वहीँ मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने इस फैसले को औपनिवेशिक बोझ की एक और निशानी को ख़त्म करने जैसा बताया है. 

Namaz Break Ends: असम विधानसभा में 90 साल से चली आ रही 'नमाज़ ब्रेक' की व्यवस्था पर रोक !

Namaz Break Ends in Assam Assembly:असम विधानसभा में विधानसभा सत्र के दौरान 90 सालों से चली आ रही जुमे के दिन की 'नामज़ ब्रेक' व्यवस्था पर शुक्रवार को सदन ने स्थाई तौर पर रोक लगा दी है. इस फैसले से जहाँ मुस्लिम विधायक नाराज़ हैं, वहीँ मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने इस फैसले को औपनिवेशिक बोझ की एक और निशानी को ख़त्म करने जैसा बताया है. असम विधानसभा में पिछले 90 सालों से चली आ रही 'नमाज़ ब्रेक' की पुरानी परंपरा को शुक्रवार को सदन ने खत्म कर दिया है. ब्रेक खत्म करने का फैसला पिछले साल अगस्त में सदन के आखिरी सत्र में ही ले लिया गया था, लेकिन इसे इसी सत्र से लागू किया गया है.  असम विधानसभा में लागू इस सहूलियत के तहत मुस्लिम विधायकों को जुमे की 'नमाज' अदा करने के लिए दो घंटे का ब्रेक दिया जाता था. यानी इस दौरान सदन की कार्यवाही नहीं होती थी. विपक्ष ने सदन के इस फैसले पर सख्त ऐतराज़ जताते हुए इस बहुसंख्यकों की मनमानी बताया है.

गौरतलब है कि लगभग 90 साल पुरानी प्रथा को बंद करने का फैसला पिछले साल अगस्त में विधान सभा स्पीकर की सदारत वाली सदन की नियम समिति द्वारा लिया गया था. स्पीकर  बिस्वजीत दैमारी ने "संविधान की धर्मनिरपेक्ष प्रकृति का हवाला देते हुए यह प्रस्ताव दिया था कि असम विधानसभा को किसी भी अन्य दिन की तरह शुक्रवार को अपनी कार्यवाही का संचालन करना चाहिए. इस प्रस्ताव को समिति के सामने रखा गया और सर्वसम्मति से पास कर दिया गया. 

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औपनिवेशिक बोझ के एक और निशानी को ख़त्म करने जैसा : मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा
विधानसभा के इस फैसले के बाद मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने इस फैसले का इस्तकबाल करते हुए कहा, "यह मुस्लिम लीग के सैयद सादुल्ला द्वारा 1937 में शुरू की गई प्रथा थी, और इस प्रावधान को बंद करने का फैसला "उत्पादकता को प्राथमिकता देता है और औपनिवेशिक बोझ की एक और निशानी को ख़त्म करने जैसा है." 

एआईयूडीएफ और कांग्रेस ने किया विरोध 
सरकार के इस पर नाराज़गी जताते हुए एआईयूडीएफ के विधायक रफीकुल इस्लाम ने कहा कि यह संख्या बल की बुनियाद पर थोपा गया फैसला है. इस्लाम ने कहा, "विधानसभा में करीब 30 मुस्लिम विधायक हैं. हमने इस कदम के खिलाफ अपना रुख साफ़ कर दिया है. लेकिन भाजपा पास बहुमत है, और वे उसी के आधार पर इस फैसले को वो थोप रहे हैं."  विपक्ष के नेता कांग्रेस के देबब्रत सैकिया ने कहा, " सदन में मुस्लिम विधायकों के लिए शुक्रवार को पास में 'नमाज' अदा करने का प्रावधान किया जा सकता है. आज, मेरी पार्टी के कई साथी और AIUDF विधायक सदन में कई महत्वपूर्ण चर्चा से चूक गए, क्योंकि वे 'नमाज' पढ़ने चले गए थे. चूंकि यह सिर्फ शुक्रवार के लिए एक खास सामूहिक नमाज़ की ज़रूरत है, इसलिए मुझे लगता है कि इसके लिए निकट भविष्य में कोई प्रावधान किया जा सकता है." 

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