Muslim Caretaker in Hindu Mandir: उत्तर प्रदेश के बहराइच में कुछ दिनों पहले साम्प्रदायिक नारों के बाद भड़की हिंसा में एक नौजवान की मौत और सैकड़ों लोग गिरफ्तार हुए थे. उसी बहराइच में एक हनुमान मंदिर में मोहम्मद अली नाम का शख्स पिछले 18 सालों से मंदिर का सेवादार है.
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बहराइच: उत्तर प्रदेश के मस्जिदों और मजारों के नीचे मंदिर के अवशेष खोजने का सिलसिला लगातार जारी है. मंदिरों पर कथित कब्ज़े के लिए मुसलमान निशाने पर हैं. अभी कुछ दिनों पहले ही मंदिर- मस्जिद विवाद की वजह से कई मुसलमानों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ गया, वहीँ सैकड़ों लोग अभी भी पुलिस की हिरासत में है. इसी बीच उत्तर प्रदेश के बहराइच जिले से सांप्रदायिक सद्भाव की एक दिल को छू लेने वाली तस्वीर सामने आई है. ये वही बहराइच है, जहाँ कुछ दिनों पहले सांप्रदायिक हिंसा में एक नौजवान की मौत हो गयी थी, और सौ से ज्यादा लोगों को पुलिस ने गिरफ्तार किया था. इसी बहराइच में मोहम्मद अली नाम का एक मुस्लिम नैजवान एक हिंदू मंदिर का प्रबंधन करने वाले ट्रस्ट का पिछले 18 सालों से सदर रहते हुए मंदिर की देखभाल कर रहा है.
मुसलमान होकर हनुमान में आस्था
बहराइच जिला मुख्यालय से महज 27 किलोमीटर दूर जैतापुर बाजार में मातेश्वरी माता घुरदेवी का मंदिर है. इस मंदिर की ज़िम्मेदारी पिछले 18 सालों से एक मुसलमान के हवाले है. वो भी एक आदर्श मुसलमान, जो रोज़ बिला नागा नमाज़ पढता है. रमजान के रोज़े रखता है, और जिसकी इस्लाम में पूरी आस्था है. इस्लामी परंपराओं का पालन करते हुए, 58 वर्षीय मोहम्मद अली घुरदेवी और भगवान हनुमान की पूजा के लिए भी खुद को समर्पित कर दिया है.
इस तरह मंदिर में बढ़ी आस्था
अपनी इस दोहरी आस्था और भूमिका पर अली ने अपने बचपन के एक महत्वपूर्ण घटना को याद करते हैं कहा, "जब मैं 7 साल का था, तब मुझे ल्यूकोडर्मा की बीमारी हो गई थी, जिससे मेरी आंखें सफेद हो गई थीं. जब तक मेरी मां मुझे घूरदेवी मंदिर नहीं ले गईं, तब तक हर तरह का इलाज नाकाम रहा." उन्होंने आगे कहा कि उनका मानना है कि मंदिर के "पवित्र पिंडी से पानी लगाने" से हमारी यह बीमारी ठीक हो गई. इस बात ने मंदिर से उन्हें जुड़ने के लिए प्रेरित किया. 2007 में अली सक्रिय रूप से मंदिर के खिदमत के काम में जुट गए थे. उन्होंने बताया कि इससे पहले उन्हें एक दिन रात में एक ख्वाब आया जिसमें उन्हें कोई देवी की मंदिर की देखभाल करने के लिए कह रहा था.
मंदिर समिति के सद्र के तौर पर अली का नाम
अली के मंदिर से जुड़ने के पहले मंदिर ठीक हालत में नहीं था, अली ने इसका निर्माण कराया. अली ने बताया, "इस साल अकेले मंदिर के विकास के लिए 2.7 लाख रुपये जुटाए गए हैं." अवामी तआवुन और सरकारी मदद ने भी इस मंदिर की तरक्की में मदद की है. मंदिर की तामीर और रखरखाव के लिए 30.40 लाख रुपये से ज्यादा का खर्च आया है. हाल ही में, जयपुर से 2.5 लाख रुपये में मंगाई गई 5.5 फीट की हनुमान मूर्ति की पांच रोजा समारोह के दौरान प्राण प्रतिष्ठा की गई, जिसमें हजारों लोग शामिल हुए. प्रोग्राम के निमंत्रण कार्ड में मंदिर समिति के सद्र के तौर पर अली का नाम छापा गया था, जबकि मकामी भाजपा विधायक सुरेश्वर सिंह इस प्रोग्राम में मुख्य अतिथि के तौर पर शामिल हुए थे.
मंदिर धार्मिक पर्यटन स्थल में शामिल
बहराइच जिले के पर्यटन अधिकारी मनीष श्रीवास्तव ने दो साल पहले मंदिर को धार्मिक पर्यटन पहल में शामिल किए जाने की तस्दीक की थी, जिससे इसका दर्जा और बढ़ गया है. अब इस मंदिर का प्रभाव धार्मिक सीमाओं से परे है, जो मुस्लिम महिलाओं को आकर्षित करता है. वह हिंदू भक्तों के साथ प्रार्थना में शामिल होती हैं. अली ने कहा, "मैं हिंदू और मुस्लिम दोनों धर्मों का सम्मान करता हूं. मंदिर की सेवा करना मेरी भक्ति और सांप्रदायिक एकता के प्रति मेरी प्रतिबद्धता को पूरा करता है."