आतंकियों से रिश्ता रखने वाले 3 कर्मचारियों की बर्खास्तगी पर भड़कीं महबूबा, सरकार को सुना दी खरी-खोटी
Mehbooba Mufti attacks Omar Abdullah: जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने जेल में बंद एक पुलिसकर्मी समेत तीन सरकारी कर्मचारियों को आतंकवादियों से उनके कथित संबंधों को लेकर शनिवार को बर्खास्त कर दिया था.
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Mehbooba Mufti attacks Omar Abdullah: जम्मू-कश्मीर के उप-राज्यपाल मनोज सिन्हा ने आतंकवादियों से संबंध रखने वाले तीन सरकारी कर्मचारियों को बर्खास्त कर दिया था. इस मामले को लेकर राज्य में सियासत जारी है.राज्य के सीएम उमर अब्दुल्ला ने मनोज सिन्हा की कार्रवाई को सही ठहराया है। इसके बाद से राज्य की राजनीति गरमा गई है. इस मामले को लेकर जम्मू-कश्मीर की पूर्व सीएम और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) चीफ महबूबा मुफ्ती ने उमर अब्दुल्ला सरकार पर निशाना साधा है.
पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने मीडिया से कहा, "लोगों को उम्मीद थी कि जब सरकार बनेगी तो कर्मचारियों की बर्खास्तगी में कमी आएगी, लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ. जिन तीन अधिकारियों को बर्खास्त किया गया, उनमें से एक कांस्टेबल फिरदौस था, जो आतंकवादियों की गोली से घायल हो गया था और उसके शरीर पर 85 टांके लगे हैं."
सरकार पर महबूबा का हमला
महबूबा मुफ्ती ने मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला से पूछा कि क्या वह जम्मू-कश्मीर के विशेष दर्जे को खत्म करने वाले आर्टिकल 370 को हटाने पर मुहर लगाएंगे. उन्होंने कहा, "मैं सीएम उमर अब्दुल्ला से संसद में 2019 में लिए गए फैसले के बारे में पूछ रही हूं और क्या वह उस पर मुहर लगाने जा रहे हैं? अगर ऐसा होता है, तो आर्टिकल 370 और 35ए का हमारा मामला कमजोर पड़ जाएगा. जम्मू-कश्मीर में कुछ भी सामान्य नहीं है, कश्मीर के लोग चुप हैं, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि कश्मीर में सामान्य स्थिति है."
क्या है पूरा मामला
गौरतलब है कि जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने जेल में बंद एक पुलिसकर्मी सहित तीन सरकारी कर्मचारियों को आतंकवादियों से उनके कथित संबंधों को लेकर शनिवार को बर्खास्त कर दिया था. बर्खास्त किए गए कर्मचारियों में पुलिस कांस्टेबल फिरदौस अहमद भट, शिक्षक मोहम्मद अशरफ भट और वन विभाग में अर्दली निसार अहमद खान शामिल हैं.
उप-राज्यपाल से फैसले पर उमर अब्दुल्ला ने जताई थी सहमति
सरकारी कर्मचारियों की बर्खास्तगी पर सीएम उमर अब्दुल्ला ने कहा कि उपराज्यपाल मनोज सिन्हा का फैसला ठीक है. उमर अब्दुल्ला ने मीडिया से बात करते हुए कहा, "अगर उनके खिलाफ सबूत हैं और अगर उन्हें खुद को सही ठहराने का मौका दिया गया था, लेकिन वे ऐसा नहीं कर सके, तो यह ठीक है."