Govt School removes Malala Yousafzai photo following protests : झारखंड के रामगढ़ जिले के सरकारी स्कूल में शिक्षा कार्यकर्ता और नोबेल शांति पुरस्कार विजेता मलाला यूसुफजई की तस्वीर लगाने पर स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने उसे पाकिस्तानी बताते हुए कहा कि उससे हमें शांति का पाठ पढ़ने की जरूरत नहीं है.
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रामगढ़ः झारखंड के रामगढ़ जिले के एक सरकारी स्कूल में पाकिस्तानी महिला शिक्षा कार्यकर्ता और नोबेल शांति पुरस्कार विजेता मलाला यूसुफजई की तस्वीर लगाने पर बवाल मच गया. भारी विरोध के बाद उस तस्वीर को स्कूल से हटा दिया गया है. स्कूल में ये तस्वीर छात्राओं को प्रेरित करने के लिए लगाई गई थी. शैक्षणिक संस्थान के प्रबंधन द्वारा 2014 में नोबेल शांति पुरस्कार जीतने वाली मलाला यूसुफजई की तस्वीर लगाने के बाद पंचायत प्रतिनिधियों और स्थानीय लोगों ने स्कूल के सामने प्रदर्शन किया.
रामगढ़ जिले के मांडू ब्लॉक के अंतर्गत कुजू पश्चिम पंचायत के मुखिया (ग्राम प्रधान) जय कुमार ओझा ने कहा कि यह विश्व स्तर पर सभी को पता है कि पाकिस्तान भारत के खिलाफ राज्य प्रायोजित उग्रवाद का समर्थन करता है. हमारे देश ने सीमा पार आतंकवाद के लिए भारी कीमत चुकाई है. इसलिए, पाकिस्तानी कार्यकर्ता से शांति का सबक लेने की कोई जरूरत नहीं है.
कोल बेल्ट कुजू में गवर्नमेंट पब्लिक स्कूल के हेड मास्टर रवींद्र प्रसाद ने कहा कि उन्होंने पाकिस्तानी महिला शिक्षा कार्यकर्ता की तस्वीर प्रदर्शित करने की इजाजत दी थी. एक शिक्षक ने उनसे मलाला के महिला शिक्षा के संघर्ष के लिए छात्राओं को प्रेरित करने के सुझाव के साथ संपर्क किया था. मलाला को मानवाधिकारों की वकालत के लिए जाना जाता है, विशेष रूप से अपनी मातृभूमि स्वात में महिलाओं और बच्चों की शिक्षा के लिए, जहां पाकिस्तानी तालिबान ने कई बार लड़कियों के स्कूल जाने पर प्रतिबंध लगा दिया था. प्रधानाध्यापक ने कहा, “विरोध और विवाद बढ़ने के बाद हमने स्कूल से मलाला की तस्वीर हटा दी है."
गौरतलब है कि मलाल खुद कभी महिला शिक्षा विरोधी तालिबान लड़कों के हमले की शिकार हुई थी. तालिबान न मलाला के स्कूल में आग लगाकर उसे नष्ट कर दिया था और उसे गोली मार दी थी. इस हमले में बहुत मुश्किल से उसकी जान बची थी. बाद में मलाला ने बड़ी होकर महिला और लड़कियों की शिक्षा के लिए काम किया. वह कई वैश्विक संस्थानों की ब्रांड अम्बेस्डर रह चुकी हैं और उससे जुड़ी हुई हैं. 2014 में मलाल को भारतीय नागरिक और बचपन बचाओ आंदोलन के नेता कैलाश सत्यार्थी के साथ संयुक्त तौर पर नोबेल शांति पुरस्कार से नवाजा गया था. नोबेल शांति पुरस्कार मिलने के बाद वैश्विक स्तर पर मलाला की पहचान एक शिक्षा कार्यकर्ता के तौर पर बन गई है.
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