Egypt on Israel: नेतन्याहू पहले ही ट्रंप के गाजा प्लान का समर्थन कर चुके हैं जिसे अमेरिकी राष्ट्रपति ने मंगलवार (4 जनवरी) को उनके साथ एक संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान पेश किया. अब नेतन्याहू ने बड़ा बयान दिया है.
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Egypt on Israel: इजराइल और अमेरिका मिलकर फिलिस्तीन के खिलाफ अपनी सीक्रेट योजना बना रहे हैं. अमेरिका फिलिस्तीन और गाजा पर कब्जा करना चाहता है. इसका खुलासा तब हुआ जब 6 फरवरी को इजराइल के पीएम बेंजामिन नेतन्याहू ने साफ कहा कि सऊदी अरब को अपने देश में फिलिस्तीन राज्य की स्थापना करनी चाहिए, जहां सभी फिलिस्तीनी बस सकें. नेतन्याहू के इस बयान की चौतरफा आलोचना हो रही है. इसी कड़ी में इजरायल का दोस्त मिस्र ने इजरायली पीएम के सुझाव की निंदा की है.
मिस्र ने की इजरायल की निंदा
मिस्र के विदेश मंत्रालय ने एक बयान जारी कर सऊदी अरब की जमीन पर फिलिस्तीनी राज्य स्थापित करने के सुझाव वाले इजरायल के बयान को 'गैर-जिम्मेदाराना' करार दिया. मिस्र के विदेश मंत्रालय ने इस सुझाव को 'सऊदी अरब की संप्रभुता का सीधा उल्लंघन' माना.
इजरायली पीएम ने क्या कहा था
इजरायली मीडिया के मुताबिक वाशिंगटन दौरे पर गए नेतन्याहू ने एक चैनल से इंटरव्यू के दौरान कहा, "सऊदी अरब में एक फिलिस्तीनी राज्य बन सकता है. उनके पास वहां बहुत जमीन है." उनका बयान ऐसे समय में आया जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के 'गाजा प्लान' पर बहस जारी है.
गाजा प्लान का नेतन्याहू का समर्थन
नेतन्याहू पहले ही ट्रंप के गाजा प्लान का समर्थन कर चुके हैं जिसे अमेरिकी राष्ट्रपति ने मंगलवार (4 जनवरी) को उनके साथ एक संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान पेश किया. ट्रंप ने कहा कि संयुक्त राज्य अमेरिका युद्ध से तबाह गाजा पट्टी पर कब्जा करेगा और फिलिस्तीनियों को कहीं और बसाए जाने के बाद इसे आर्थिक रूप से विकसित करेगा. उन्होंने गाजा का विकास करने का प्रस्ताव रखते वक्त यह स्पष्ट कहा था कि फिलिस्तीनियों का विस्थापन स्थायी होगा. हालांकि बाद में व्हाइट हाउस में इस पर सफाई दी थी कि गाजा से कोई भी विस्थापन अस्थायी होगा.
अमेरिका को सौंप दिया जाएगा इजरायल
ट्रंप ने गुरुवार को ट्रूथ सोशल प्लेटफॉर्म पर एक बार फिर अपना विचार दोहराया. उन्होंने लिखा, "लड़ाई के अंत में इजरायल गाजा पट्टी को संयुक्त राज्य अमेरिका को सौंप दिया देगा." उन्होंने यह भी दावा किया कि इस क्षेत्र के पुनर्निर्माण के लिए ज़मीन पर किसी अमेरिकी सैनिक की ज़रूरत नहीं होगी.