UCC in Uttarakhand: उत्तराखंड में यूसीसी लागू होने के मुसलमानों के लिए काफी कुछ बदलने वाला है. अगर यह कानून लागू होता है तो पर्सनल कानून लागू नहीं होगा. पूरी खबर पढ़ें
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UCC in Uttarakhand: उत्तराखंड में मुसलमानों के लिए काफी कुछ बदलने वाला है. दरअसल, पुष्कर सिंह धामी की सदारत में हुई कैबिनेट की बैठक में यूसीसी नियामावली को मंजूरी मिल गई है. 26 जनवरी को उत्तराखंड में यूसीसी लागू किया जा सकता है. हालांकि अभी तक इसकी आधिकारिक जानकारी सामने नहीं आई है. ऐसा करने के बाद उत्तराखंड यूसीसी लागू करने वाला भारत का पहला राज्य बन जाएगा.
यूसीसी की नियमवाली को चार हिस्सों में बांटा गया है.
- शादी और तलाक
- लिव इन रिलेशनशिप
- ज़िंदगी और मौत
- उत्तराधिकारी
उत्तराखंड में यूीसीसी लागू होने के बाद तलाक, शादी और प्रोपर्टी के डिस्ट्रीब्यूशन में बदलाव हो जाएगा. राज्य सरकार की नजरों में इस्लामिक तरीके से की हुई ये चीजें मान्य नहीं रह जाएंगी. आसान भाषा में समझें तो इन मामलों में मुस्लिम पर्सनल लॉ नहीं लागू होगा, बल्कि उसकी जगह पर सरकार का सामान्य कानून लागू होगा.
तलाक होने पर पंजीकरण करना जरूरी होगा. इसके साथ ही गुजारा भत्ता वगैरा राज्य के कानून के हिसाब से दिया जाएगा. अगर कोई कपल तलाक लेते हैं तो इसकी जानकारी उन्हें प्रशासन को देनी होगी. बता दें, तीन तलाक को पहले ही सरकार गैर कानूनी करार दे चुकी है. तलाक के बाद एक्स पत्नी को गुज़ारा भत्ता देना मुसलमानों के लिए भी अनिवार्य अमल होगा..
इस्लाम में लड़का और लड़की की तरफ से दो-दो गवाहों की मौजूदगी में निकाह होता है. इस दौरान निकाहनामे पर दस्तखत होते हैं. लेकिन, अब निकाह को सरकार के पास रजिस्टर्ड कराना जरूरी होगा. सिर्फ काजी के मौजूदगी में निकाह करना कानूनी तौर पर सही नहीं माना जाएगा.
इस्लामिक नियम के मुताबिक प्रोपर्टी में बेटी का एक तिहाई हिस्सा होता है. अब अगर 26 जनवरी को यूसीसी लागू होता है तो यह नियम मुसलमानों में लागू नहीं हो पाएगा और बेटियों को बरारबर का अधिकार मिलेगा.