Gaza Ceasefire: गाजा में सीजफायर पर पूरी दुनिया की निगाहें टिकी हुई हैं, अब मामला नेतन्याहू सरकार के हाथों में हैं. जहां इस डील को लेकर फूट पड़ने लगी है. पढ़े पूरी खबर
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Gaza Ceasefire: गाजा में सीजफायर को लेकर उथल पुथल चल रही है. हमास ने इस ड्राफ्ट पर हामी भर दी है, अब मामला इजराइल के पाले में है और देखना होगा कि नेतन्याहू सरकार इस पर क्या फैसला लेती है. सीजफायर डील को नेतन्याहू सरकार की कैबिनेट से पास होना है. लेकिन इससे पहले दो मंत्री बगावत पर उतर गए हैं. दोनों का कहना है कि सीजफायर डील पर हामी भरना हमा के सामने घुटने टेकने जैसा है.
टाइम्स ऑफ इजराइल के मुताबिक, वित्त मंत्री बेजालेल स्मोत्रिच ने बुधवार को जोर देकर कहा कि गाजा पट्टी में जंग जारी रहना चाहिए, लेकिन उन्होंने साफ तौर से यह नहीं कहा कि वह फिलीस्तीनी इलाके में हमास के जरिए बंधक बनाए गए लोगों को रिहा करने के लिए उभरते युद्ध विराम समझौते का समर्थन करेंगे या विरोध करेंगे.
नेतन्याहू और उनके सहयोगियों के साथ बैठकों सहित एक दिन पहले कई परामर्शों के बाद, धार्मिक ज़ायोनिज़्म पार्टी का नेतृत्व करने वाले स्मोत्रिच ने सोशल मीडिया पर एक वीडियो बयान जारी कर कहा, "हम इज़राइल राज्य की सुरक्षा, भविष्य और अस्तित्व के लिए एक महत्वपूर्ण और भाग्यवान पल में हैं."
उन्होंने अपने बयान में कहा कि उनका मकसद जंग के टारगेट्स को पूरी तरह से हासिल करना, पूरी तरह से जीत हासिल करना, हमास की पूरी तरह से तबाही और तथा बंधकों को घर वापस लाना है." उन्होंने आगे कहा कि मैं जब तक चुप नहीं बैठूंगा तब तक हम इस गोल को अचीव नहीं कर लेते हैं.
इससे पहले नेतन्याहू के दूसरे मंत्री बेन ग्विर ने बगावत कीक की थी और फाइनें मिनिस्टर से कहा था कि वह उन्हें ज्वाइन करें और इस डील को रिजेक्ट करें. बेन ने बीते रोज कहा था कि इस डील को फाइनल करने का मतलब है हमास के सामने घुटने टेकना.
बेन ग्विर की अपील के बाद फाइनेंस मिनिस्टर स्मोत्रिच उनके समर्थन में आए हैं. हालांकि इससे गाजा के सीजफायर ड्राफ्ट के पास होने पर कोई असर नहीं पड़ने वाला है, लेकिन, माना जा रहा है कि ये लोग और मंत्रियों को मुतास्सिर कर सकते हैं और अपने साथ ले सकते हैं. अगर ऐसा हुआ को नेतन्याहू के खिलाफ बगावत के सुर और तेज हो जाएंग और सीजफायर डील कई और दिनों के लिए टल जाएगी.
टाइम्स ऑफ इजराइल ने सूत्रों के हवाले से रिपोर्ट किया है कि स्मोत्रिक इस समझौते को सपोर्ट करने के लिए नेतन्याहू कई मांगें रखी हैं. इनमें बंधकों को वापस लाने और हमास को तबाह करने के सरकार के घोषित युद्ध लक्ष्यों में कोई बदलाव नहीं होना शामिल है. रिपोर्ट में कहा गया है कि मंत्री चाहते हैं कि इन लक्ष्यों को बनाए रखने के लिए एक सिस्टम बनाया जाए.