जज ने रेपिस्ट युसूफ को सजा देते हुए क्यों सुनाई सीता और लक्ष्मण की कहानी; शर्म से मर जाएंगे मर्द!
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जज ने रेपिस्ट युसूफ को सजा देते हुए क्यों सुनाई सीता और लक्ष्मण की कहानी; शर्म से मर जाएंगे मर्द!

Barely News: उत्तर प्रदेश के बरेली में एक जज ने अपनी भाभी से रेप के मुजरिम यूसुफ खान को उम्रकैद की सजा सुनाते हुए रामायण के किरदार सीता और लक्ष्मण की कहानी सुनाई. इसके साथ ही एक कविता का पाठ भी किया, जिसे हर पुरुष को सुनना और पढ़ना चाहिए.. जज की ये टिपण्णी आपका स्त्रियों को लेकर नजरिया बदल सकता है. यहाँ पढ़ें पूरी खबर और जज की टिप्पणी..

प्रतीकात्मक तस्वीर

बरेली: बरेली की एक अदालत ने अपनी भाभी से रेप के एक मुस्लिम मुजरिम यूसुफ खान को सजा देते वक़्त न सिर्फ रामायण के राम- लक्ष्मण और सीता का चरित्र सुनाया, बल्कि एक माँ की अपनी बेटी को दी गयी हिदायत का भी जिक्र किया, जो पूरे समाज के लिए न सिर्फ आँखें खोल देने वाला है बल्कि मर्दों के लिए शर्म से डूब मरने वाली बात है..
दरअसल, बरेली के सीबीगंज थाना इलाके में रहने वाली एक पीड़ित औरत ने 15 जून 2023 में अपने देवर के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था. उसने अपनी शिकायत में लिखा था कि शादी के १० साल बाद भी उसे औलाद का सुख नहीं हासिल हो पाया था. इस बात का उसका देवर फायदा उठाते हुए, उसके साथ बलात्कार करता था.  विरोध करने पर उसे और उसके पति को जान से मारने की धमकी देता था.. और उसके पैसे- जेवर भी उसने छीन लिए थे. महिला ने अपने देवर के जुल्म से आजिज़ आकर उसके खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज कराई, जिसके बाद उसे गिरफ्तार कर लिया गया. 

कोर्ट ने इस मामले में डेढ़ साल से भी कम मियाद के अंदर आरोपी देवर को मुजरिम करार देते हुए उसके खिलाफ सजा का ऐलान कर दिया. अपर सत्र न्यायाधीश प्रथम फास्ट ट्रैक रवि कुमार दिवाकर ने इस ऐतिहासिक फैसला को सुनाते हुए मुजरिम यूसुफ खा को आखिरी सांस तक जेल में रहने की सजा सुनाई.  साथ ही एक लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया है. ये सजा बुधवार को यानी 22 जनवरी को सुनाई गयी. इस फैसले के साथ जज ने जो टिप्पणी की और मुजरिम को रामायण कथा और एक माँ की अपनी बेटी को दी हुई हिदायत सुनाई, वो किसी भी सभ्य समाज के मुंह पर किसी जोरदार तमाचे से कम नहीं है.. खासकर उस मुजरिम के लिए जो मुसलमान है, और इस्लाम में अपनी भाभी को माँ की तरह दर्ज़ा दिया गया है.. 

जज ने क्यों किया सीता और लक्ष्मण का जिक्र ? 
जज रवि कुमार दिवाकर ने अपने आदेश में लिखा, " यह काबिल ए जिक्र है कि भारतीय समाज में पारिवारिक संस्था को शायद जितनी अहमियत दी गयी है, उस समाज का आदर्श पारिवारिक संस्था की मिसाल रामायण या रामचरित मानस से बेहतर कहीं और नहीं मिल सकता है. एक आदर्श पुरुष को कैसा होना चाहिए, इसकी मिसाल मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम हैं. आदर्श पत्नी या भाभी को कैसा होना चाहिये, इसकी मिसाल माता सीता हैं. आदर्श भाई या आदर्श देवर की मिसाल लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न हैं. रामचरित मानस के मुताबिक, भगवान राम जब अगवा की गयी सीता माता की तलाश करते हुए मलय पहाड़ पर पहुंचे, जहाँ पर राजा सुग्रीव बाली के डर से अपने मंत्रियों के साथ विराजमान थे. वहां सुग्रीव ने माता सीता के गहने मर्यादा पुरूषोत्तम श्री राम के हवाले कर दिया. इन गहनों को देखकर मर्यादा पुरूषोत्तम श्री राम ने अपने भाई लक्ष्मण से पूछा कि तुम सीता के बाजूबंद, कर्णफूल, हार और पायलों को पहचानते हो ?" 

मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम और अपने बड़े भाई के इस सवाल को सुनकर लक्ष्मण ने रोते हुये कहा, " मैं नहीं जानता कि ये गहने किसके हैं ? ये कानों की बालियाँ किसकी है? मैं तो हमेशा माता सीता के चरणों में झुककर उन्हें प्रणाम किया है, उनका आशीर्वाद लिया है. हे प्रभु, मैं न तो माता सीता के बाजूबंद को पहचानता हूँ, न ही उनके कुण्डल को पहचानता हूँ. मेरी नज़र तो हमेशा माता सीता के चरणों में रहती है, इसलिए मैं सिर्फ माता सीता के चरणों में रहने वाली पायलों को पहचानता हूँ." 

जज जे कहा, "लक्ष्मण अपनी भाभी सीता को मां मानते थे. उन्होंने कभी उनका चेहरा तक नहीं देखा था. सिर्फ उनके पाँव देखे और आज के समय में देवर ने अपनी भाभी से ही रेप कर दिया." 
 

जज ने आगे एक कविता का जिक्र करते हुए कहा, " 

माँ ने कहा था,
तुम एक लड़की हो,
अकेले कहीं मत जाना,
रात- बिरात देर से मत आना 
बात- बेबात मत खिलखिलाना 
ज़मान खराब है
किसी को कुछ मत बताना 
और लड़की ने सब माना 
पर जब उसका बलात्कार हुआ 
तो न तो, वह घर से बाहर थी
न खिलखिला रही थी
बेटी तो घर पर ही थी 
और बेटी का बलात्कार हो गया! 

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