US elections: संयुक्त राज्य अमेरिका में लाखों मतदाता मतदान के लिए घरों से निकल चुके हैं. राष्ट्रपति चुनाव पर वैश्विक शेयर बाजार, खासकर भारतीय स्टॉक मार्केट की भी नजर है और निवेशक चिंतित भी हैं. अमेरिकी राष्ट्रपति चुनावों को लेकर जारी अनिश्चितता के कारण सेंसेक्स और निफ्टी में गिरावट आई है. ऐसा इसलिए क्योंकि विश्लेषकों ने भारतीय शेयर बाजार के लिए डोनाल्ड ट्रंप के नेतृत्व वाली रिपब्लिकन की जीत vs कमला हैरिस के नेतृत्व वाली डेमोक्रेटिक की जीत के संभावित परिणामों पर मिले जुले विचार व्यक्त किए हैं.
नोमुरा इंडिया के अनुसार, ट्रंप की जीत जापान को छोड़कर एशिया के लिए बिलकुल नकारात्मक साबित हो सकती है, जबकि हैरिस की जीत अधिक अनुकूल हो सकती है. वहीं, सट्टा बाजार दिखाता है कि ट्रंप और हैरिस अब लगभग बराबर की टक्कर में हैं.
नोमुरा ने कहा, 'हमारी अमेरिकी अर्थशास्त्र टीम ने पाया है कि चुनाव की रात को अमेरिकी स्विंग स्टेट पर नजर रखी जाएगी, जहां शुरुआती परिणामों से यह संकेत मिलेगा कि किस उम्मीदवार के चांस अधिक है.' आगे कहा गया, 'ट्रंप की जीत के तहत एक एकीकृत सरकार के पूरे चांस हैं, जबकि हैरिस की जीत एक विभाजित सरकार बन सकती है.'
अगर ट्रंप की पार्टी रिपब्लिकन जीतती है तो...
एमके ग्लोबल ने संकेत दिया कि शेयर बाजार अमेरिकी इक्विटी में उछाल के कारण रिपब्लिकन स्वीप मारती है तो जश्न थोड़े समय के लिए हो सकता है. क्योंकि वैश्विक और घरेलू स्तर पर जीत का स्वाद लंबे समय बनाए रखना चुनौती हो सकती है. उन्होंने कहा, 'हमारी इक्विटी रणनीति टीम का मानना है कि रेड स्वीप शायद शॉर्ट टर्म ट्रिगर करेगा, लेकिन इसका बने रहना आय की गति और मूल्यांकन पर निर्भर करता है, जो दोनों ही कमज़ोर हैं.'
गिरावट का एक और खतरनाक दौर शुरू होगा
एप्रिसिएट के सह-संस्थापक और सीओओ श्लोक श्रीवास्तव ने वैश्विक बाजारों के लिए ट्रंप की जीत के संभावित प्रभावों पर प्रकाश डाला. उन्होंने कहा, 'ट्रंप की जीत से वैश्विक बाजारों पर अमेरिकी बाजार के प्रभुत्व के अगले चरण की शुरुआत होनी चाहिए. यह बॉन्ड मार्केट यील्ड, खासकर 10 साल के ट्रेजरी में वृद्धि में भी योगदान देगा. मजबूत अमेरिकी बॉन्ड यील्ड भारतीय बाजारों से पूंजी के आउटफ्लो को बढ़ाएगी, जिससे गिरावट का एक और खतरनाक दौर शुरू हो जाएगा.'
उन्होंने ट्रंप के पिछले कार्यकाल की याद दिलाने वाली संरक्षणवादी नीतियों के फिर से उभरने की संभावना की ओर भी इशारा किया, जो विशेष रूप से आईटी क्षेत्र को प्रभावित कर रही हैं.
श्रीवास्तव ने कहा, '2017 और 2020 के बीच, एच-1बी वीजा की अस्वीकृति दर में वृद्धि हुई, जिससे आईटी कंपनियां मुश्किल में पड़ गईं. ट्रंप के सत्ता में आने के साथ, कर्मचारी और कार्यप्रवाह में व्यवधान हो सकता है, जिससे आईटी कंपनियों की शीर्ष पंक्तियों में अस्थायी, मामूली गिरावट आ सकती है. हालांकि, इस कदम के पीछे प्रतीकात्मक मुद्रा भारत जैसे देश के लिए गंभीर होगी, जहां एक विशाल कार्यबल अपने कौशल को विदेशों में भेजना चाहता है.'
अगर कमला हैरिस जीतीं?
दूसरी ओर, अगर कमला हैरिस जीतती हैं, तो इसका तत्काल प्रभाव कम हो सकता है, क्योंकि उनकी नीतियों के मौजूदा प्रशासन की नीतियों से निकटता से जुड़े होने की उम्मीद है.
विभिन्न घरेलू क्षेत्रों पर अमेरिकी चुनावों के प्रभाव का आकलन करने वाली एक रिपोर्ट में, जेएम फाइनेंशियल ने कई संभावित परिदृश्यों को सामने रखा. बैंकों और एनबीएफसी के लिए, डेमोक्रेटिक परिणाम भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा दरों में कटौती की ओर ले जा सकता है, जिससे उन एनबीएफसी को लाभ होगा जिनके शेयरों में यूएस फेड दरों में कटौती की प्रत्याशा में तेजी आई थी. इसके विपरीत, रिपब्लिकन की जीत अमेरिका में ब्याज दरों को सख्त कर सकती है, जिससे संभावित रूप से भारत में दरों को कम करने की आरबीआई की क्षमता में बाधा आ सकती है.
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