देश का पहला हाईप्रोफाइल जासूसी कांड, जब नेहरू के कहे पर नेताजी के घरवालों के पीछे लगी रही आईबी!

Subhash Chandra Bose Jayanti: साल 2015 में आईबी की कुछ फाइलें सार्वजनिक हुईं, इनमें देश के पहले हाईप्रोफाइल जासूसी कांड का खुलासा हुआ. स्वतंत्रता सेनानी सुभाषचंद्र बोस के परिवार की कांग्रेस शासन के दौरान 20 साल तक जासूसी की गई थी. हालांकि, कांग्रेस ने इन आरोपों को खारिज किया था.

Written by - Ronak Bhaira | Last Updated : Jan 23, 2025, 12:13 PM IST
  • बोस के परिवार की 20 साल हुई जासूसी
  • नेहरू सरकार के दौरान लगाई गई थी IB
देश का पहला हाईप्रोफाइल जासूसी कांड, जब नेहरू के कहे पर नेताजी के घरवालों के पीछे लगी रही आईबी!

नई दिल्ली: Subhash Chandra Bose Jayanti: 'बीते कुछ समय से मुझे लग रहा है कि आप मुझे नापसंद करने लगे हैं. मैं 1937 में जेल से बाहर आया हूं, तभी से निजी और सार्वजनिक जीवन में मैंने हमेशा आपका सम्मान किया. मैंने आपको अपना बड़ा भाई माना. अक्सर आपकी सलाह ली. लेकिन मेरे प्रति आपका रवैया हमेशा अस्पष्ट रहा है...' ये 27 पन्नों के उस पत्र का एक छोटा-सा हिस्सा है, जो सुभाषचंद्र बोस ने पंडित जवाहरलाल नेहरू को लिखा था. इससे स्पष्ट है कि दोनों के बीच गहरे मतभेद थे. इतना ही नहीं, जवाहरलाल नेहरू ने 1948 से 1968 तक यानी 20 सालों तक बोस के परिवार की जासूसी कराई थी.

देश का पहला हाईप्रोफाइल जासूसी कांड
यह देश का पहला हाईप्रोफाइल जासूसी कांड माना जाता है. इसका खुलासा साल 2015 में हुआ, जब इंटेलिजेंस ब्यूरो (IB) की कुछ फाइलें सार्वजनिक हुई थीं. 20 साल तक चली जासूसी में से 16 साल तक जवाहरलाल नेहरू ही प्रधानमंत्री थे. फिर लाल बहादुर शास्त्री पीएम बने, शास्त्री के बाद इंदिरा गांधी सत्ता पर काबिज हुईं. साल 1968 में इंदिरा के कार्यकाल में ही ये जासूसी बंद हुई. 

नेहरू ने क्यों कराई बोस परिवार की जासूसी?
नेताजी सुभाषचंद्र बोस स्वतंत्रता सेनानी थे, उनके निधन के बाद उनके परिवार पर निगरानी रखी जा रही थी. वे 25 साल तक जवाहरलाल नेहरू के सहकर्मी भी रहे. ऐसे में सवाल ये उठता है कि नेहरू ने बोस के परिवार की जासूसी कराई ही क्यों? इस पर  नेताजी के भतीजे के बेटे चंद्र कुमार बोस ने कहा- 'जासूसी उनकी की जाती है, जिन्होंने अपराध किया हो या आतंकी गतिविधियों में शामिल हों. नेताजी सुभाषचंद्र बोस और उनके परिवार ने देश की आजादी की लड़ाई लड़ी. फिर उनकी जासूसी करने की क्या जरूरत थी?'

'बोस होते तो कांग्रेस को हरा देते' 
इस जासूसी कांड के खुलासे के बाद ये सवाल हर किसी के जेहन में था कि नेहरू ने बोस के परिवार की जासूसी क्यों कराई, आखिरकार नेताजी के परिवार से नेहरू को कैसा खतरा था? इस पर तब तात्कालीन भाजपा प्रवक्ता और पूर्व में पत्रकार रह चुके एमजे अकबर ने कहा- नेहरू सरकार आश्वस्त नहीं थी कि नेताजी की मौत हो चुकी है. सरकार को लगता था कि यदि बोस जिंदा हैं, तो वह कोलकाता में रह रहे अपने परिवार से जरूर संपर्क साधेंगे. दरअसल, बोस इकलौते ऐसे नेता थे जो सत्ताधारी कांग्रेस के खिलाफ विपक्ष को एकजुट करने की क्षमता रखते थे. यदि वे जिंदा होते तो 1957 के चुनाव में वे कांग्रेस के सामने कड़ी चुनौती खड़ी कर सकते थे.' एमजे अकबर ने आगे दावा किया- 'विपक्षी गठबंधन ने पहली बार कांग्रेस को 1977 में हराया, यदि बोस जिंदा होते तो ये 1962 के चुनाव में ही कर देते.'

कांग्रेस ने आरोप खारिज किए
दूसरी ओर, कांग्रेस ने बोस की जासूसी के आरोप को खारिज किया. कांग्रेस के तत्कालीन महासचिव दिग्विजय सिंह ने कहा- 'जिस दौर में जासूसी शुरू हुई, तब सरदार पटेल गृह मंत्री हुआ करते थे. क्या उन्हें इस बात की जानकारी थी? पटेल के बाद शास्त्री, गोविंद वल्लभ पंत और कैलाश नाथ काटजू ने गृह मंत्रालय संभाला. क्या ये सब भी इस तथाकथित जासूसी कांड के बारे में जानते थे?'

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