नई दिल्लीः महाराष्ट्र के जालना जिले में शुक्रवार को मराठा आरक्षण आंदोलन के दौरान हिंसा हुई थी. इसमें पुलिसकर्मियों समेत कई लोगों को चोट आई थी. लेकिन अब इस मुद्दे पर कई तरह के सियासी सवाल खड़े होने लगे हैं. दरअसल, लोकसभा चुनाव नजदीक हैं. अब मराठा आरक्षण को लेकर हो रहे इस आंदोलन को भी चुनाव से जोड़कर देखा जा रहा है. मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो महाराष्ट्र के जालना में आंदोलन के दौरान हुई हिंसा के तार कहीं न कहीं विपक्ष से जुड़ते दिख रहे हैं.
महाराष्ट्र सरकार में भी दो फाड़!
एक तरफ महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे किसी भी तरह की हिंसा को रोकने की बात कर रहे हैं. दूसरी तरफ विपक्ष इस हिंसा को मुद्दा बना रहा है. राज्य के डिप्टी सीएम और हाल ही में सरकार में शामिल हुए अजीत पवार का रुझान भी इस मामले में मुख्यमंत्री शिंदे से अलग है.मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक,इसमें NCP सुप्रीमो शरद पवार का भी बड़ा रोल लग रहा है.
कांग्रेस पर भी उठ रहे सवाल
जानकारों का कहना है कि विपक्षी कांग्रेस और NCP किसी भी तरह मराठाओं का समर्थन हासिल करना चाहते हैं. फिलहाल राज्य के समीकरण ऐसे हैं कि मराठा राज्य के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के साथ नजर आ रहे हैं. हिंसा में कांग्रेस का नाम आने से इसके तार विपक्षी गठबंधन I.N.D.I.A की बैठक से भी जुड़ते दिख रहे हैं. जिस दिन (शुक्रवार 1 सितंबर 2023) जालना में हिंसा हुई थी, उसी दिन महाराष्ट्र में विपक्षी गठबंधन I.N.D.I.A की बैठक भी हुई थी.
इस आंदोलन का नेतृत्व मनोज जारांगे पाटिल ने किया था. उनके नेतृत्व में हाल ही में भूख हड़ताल भी शुरू हुई थी. साल 2014 के बाद जारांगे पाटिल मराठा समुदाय के लिए आरक्षण की मांग को लेकर काफी सक्रिय रहे हैं.
कैसे भड़का मामला
मराठा आरक्षण की मांग को लेकर 29 अगस्त से मराठा मोर्चा के संयोजन मनोज जारांगे सहित 10 लोग धरने पर बैठे थे. दरअसल शुक्रवार 1 सितंबर को पुलिस ने भूख हड़ताल पर बैठे प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तार करने की कोशिश की थी. विरोध करने पर पुलिस ने वहां लाठीचार्ज कर दिया. प्रदर्शनकारियों की तरफ से पुलिस पर पथराव किया गया. भीड़ को तितर-बितर करने के लिए पुलिस ने आंसू गैस के गोले भी छोड़े. ग्रामीणों का तो यहां तक दावा है कि पुलिस ने हवा में कुछ राउंड फायरिंग की थी.