दलितों के बीच मजबूत पकड़ बनाने की कोशिश में भाजपा, जानिए 2024 के लिए क्या है तैयारी

'सामाजिक न्‍याय सप्ताह' के जरिये दलितों के बीच मजबूत पकड़ बनाने की कोशिश में भाजपा जुट गई है. ऐसा दावा मीडिया रिपोर्ट्स में किया जा रहा है.

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Apr 6, 2023, 05:42 PM IST
  • लोकसभा चुनाव के लिए क्या है भाजपा का प्लान?
  • 'दलितों के बीच मजबूत पकड़ बनाने की कोशिश'
दलितों के बीच मजबूत पकड़ बनाने की कोशिश में भाजपा, जानिए 2024 के लिए क्या है तैयारी

नई दिल्ली: लोकसभा चुनाव 2024 के मद्देनजर भाजपा ने दलित समुदाय में पैठ मजबूत करने की अपनी कोशिशें तेज कर दी हैं. पार्टी अपने स्थापना दिवस 'छह अप्रैल' से बाबा साहब की जयंती 14 अप्रैल तक 'सामाजिक न्‍याय सप्ताह' के रूप में मना रही है. इस दौरान उसका विशेष जोर उत्तर प्रदेश की करीब 22 फीसदी आबादी वाले दलित समुदाय को साथ लाने पर होगा.

दलित समुदाय में अपनी पैठ जमाने की कोशिश
राज्य में इसी महीने नगरीय निकाय चुनावों की घोषणा होनी है और भाजपा की कोशिश इस बहाने दलित समुदाय में अपनी पैठ का आकलन करने की है. भाजपा ने बताया कि पार्टी ने आज बूथों पर पार्टी का ध्वज फहरा कर ‘सामाजिक न्‍याय सप्ताह’ का शुरुआत किया. इस दौरान चिकित्सा शिविर, सहभोज कार्यक्रम, अनुसूचित जनजाति (एसी) युवाओं के लिए सम्मेलन, जैविक खेती पर जनजागरण, एसी महिलाओं के साथ सहभोज, महात्मा ज्योतिबा फुले की जयंती पर संगोष्ठी, स्वच्छता अभियान, जलाशयों की सफाई एवं पौधरोपण और डॉक्टर भीमराव आंबेडकर जयंती पर सभी बूथों पर संगोष्ठी का आयोजन होना है.

कौशांबी से भाजपा सांसद और पार्टी की अनुसूचित जाति मोर्चा के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष विनोद सोनकर ने सात से नौ अप्रैल तक कौशांबी महोत्सव का आयोजन किया है जिसमें गृहमंत्री अमित शाह भी शामिल हो सकते हैं. भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष व एमएलसी विजय बहादुर पाठक ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, 'भाजपा साल के 365 दिन, चौबीसों घंटे काम करने वाली पार्टी है.'

क्या लोकसभा चुनाव 2024 में होगा भाजपा को फायदा?
उन्होंने ने दावा किया, 'भाजपा जनता के सुख-दुख में उनके लिए काम करने वाली अकेली पार्टी है. उसे निकाय चुनाव और 2024 लोकसभा चुनाव में इसका लाभ मिलेगा.' हालांकि, राजनीतिक विशेषज्ञों का कहना है कि दलितों की पैरोकार बहुजन समाज पार्टी (बसपा) को विधानसभा चुनाव 2022 में, सिर्फ एक सीट मिलने के बाद भाजपा और समाजवादी पार्टी (सपा) की नजर इस वोट बैंक पर टिकी है.

निकाय चुनाव के मद्देनजर सभी दलों में दलितों को साधने की होड़ मची है. प्रदेश में दलित आबादी 22 प्रतिशत से ज्यादा है. भाजपा ने हाल में दलित समाज के प्रमुख नेता लालजी निर्मल को विधान परिषद भेजा है. आंबेडकरवादी नेता लंबे समय तक कर्मचारी हितों के आंदोलन से जुड़े रहे हैं. इस बीच बसपा प्रमुख मायावती ने विरोधियों पर दलितों को गुमराह करने का आरोप लगाते हुए लोगों को सावधान किया. वहीं सपा अध्यक्ष दलित महापुरुषों के प्रति लगातार आदर भाव प्रकट करते दिख रहे हैं. 

अखिलेश यादव ने मिठाई लाल को सौंपी कमान
अखिलेश यादव ने पार्टी में समाजवादी बाबा साहब आंबेडकर वाहिनी का गठन कर उसकी कमान कभी मायावती के करीबी रहे अनुसूचित जाति के नेता मिठाई लाल को सौंपी है. वहीं, कांग्रेस ने भी दलितों को साधने के लक्ष्य से प्रदेश का नेतृत्व उसी समाज के बृजलाल खाबरी को दिया है. पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे भी दलित समाज से ही हैं.

उप्र प्रदेश भाजपा अनुसूचित जाति मोर्चा के अध्यक्ष रामचंद्र कनौजिया ने 'पीटीआई-भाषा' से कहा, 'बाबा साहब की जयंती पर 14 अप्रैल से पांच मई तक प्रदेश में संगोष्ठियां होंगी. उसमें हम बताएंगे कि कैसे 1995 में भाजपा ने मायावती की जान बचाई और उन्हें सपा के गुंडों से छुड़ाया.'

कन्‍नौजिया ने आरोप लगाया, 'अखिलेश अब कांशीराम की प्रतिमा का अनावरण कर छद्म राजनीति कर रहे हैं. उनकी कारगुजारियों के कारण दलित समाज उन्हें अपना सबसे बड़ा विरोधी मानता है.'' गौरतलब है कि राज्‍य निर्वाचन आयोग के अनुसार, उत्तर प्रदेश में 760 नगरीय निकायों के कुल 14,684 पदों पर इसी महीने चुनाव की घोषणा होने की संभावना है.
(इनपुट- भाषा)

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