ऐप बेस्ड कैब सर्विस प्रोवाइडर उबर एक बार फिर विवादों में है. पूरी दुनिया में उबर फाइल्स लीक के चर्चे हो रहे हैं. आइए जानते हैं कि आखिर कौन है वो शख्स जो पूरी दुनिया के सामने कंपनी की इस हकीकत को लेकर आया है.
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Mark MacGann Behind source of the Uber Files leaks: ऐप बेस्ड कैब सर्विस प्रोवाइडर उबर एक बार फिर विवादों में है. पूरी दुनिया में उबर फाइल्स लीक के चर्चे हो रहे हैं. हर कोई इस फाइल्स में मौजूद चीजों पर बात कर रहा है, लेकिन इसी के साथ ही लोग यह भी जानना चाह रहे हैं कि आखिर इसे लीक करने के पीछे किसका हाथ है, कौन है जिसकी वजह से यह फाइल बाहर आ पाई. इन उठते सवालों के बीच सोमवार को मार्क मैकगैन नाम सामने आया. मार्क मैकगैन पूर्व में उबर में टॉप पोस्ट पर रह चुके हैं. सोमवार को उन्होंने खुद को उबर फाइल्स लीक के स्रोत के रूप में पेश किया. बता दें कि उबर फाइल्स लीक से खुलासा हुआ है कि कंपनी ने दुनियाभर में खुद को स्थापित करने और जांच से बचाने के लिए कैसे-कैसे हथकंडे अपनाए.
कई देशों में कंपनी को कर रहे थे लीड
उबर के वैश्विक स्तर पर प्रभुत्व हासिल करने की खबर के अगले दिन ही मैकगैन ने ब्रिटिश अखबार द गार्जियन के जरिये कंपनी से जुड़े वो दस्तावेज लीक कर दिए, जिसमें उसके द्वारा की गई सारी गड़बड़ियों का जिक्र था. मैकगैन ने 2014 और 2016 के बीच यूरोप, अफ्रीका और मध्य पूर्व में उबर की पैरवी के प्रयासों की अगुवाई की थी. मैकगैन ने यूके के इस अखबार को बताया कि, उन्होंने कंपनी के खिलाफ जाकर सच बोलने का फैसला इसलिए किया क्योंकि उनका मानना था कि उबर ने दर्जनों देशों में कानून तोड़ा है और लोगों को गुमराह किया है. कंपनी ने लोगों को अपने बिजनेस मॉडल को लेकर गलत जानकारी दी है.
इसलिए अचानक सच बताने का किया फैसला
द गार्जियन को दिए इंटरव्यू में 52 साल के मैकगैन ने बताया कि, "मैं ही सरकारों से बात कर रहा था, मैं ही मीडिया के साथ चीजों को डील कर रहा, मैं लोगों से भी कह रहा था कि उन्हें नियम बदलना चाहिए क्योंकि ड्राइवरों को लाभ मिल रहा था. लेकिन जब यह मामला नहीं निकला तो मुझे लगा कि सच सामने लाना चाहिए. हमने वास्तव में लोगों को झूठ बेच दिया था. ऐसी स्थिति में अगर आप खड़े नहीं होते हैं तो आप अपना योगदान नहीं दे सकते हैं?"
क्या है उबर फाइल्स
दरअसल, उबर फाइल्स एक 182GB का डेटा लीक है जो ब्रिटेन के अखबार ‘द गार्जियन’ को मिला है. ये डाटा 2013 से 2017 के बीच का है और इसमें कंपनी के आंतरिक ईमेल, मेमो, वॉट्सएप चैट और प्रजेंटेशन आदि से संबंधित 1.24 लाख रिकॉर्ड मौजूद हैं. इन दस्तावेजों से खुलासा हुआ है कि कैसे उबर ने अपना बिजनेस दुनिया में बढ़ाने के लिए अनैतिक तरीके अपनाए और कानूनों का उल्लंघन किया. यह डेटा 30 देशों का है. इन दस्तावेजों के अनुसार, कंपनी ने शुरुआत में संबंधित देश में सरकार का समर्थन हासिल करने और नियामक अधिकारियों से बचने के लिए ड्राइवरों के खिलाफ टैक्सी उद्योग की कभी-कभी की गई हिंसक प्रतिक्रिया का भी लाभ उठाया. हालांकि उबर ने इस तरह के सभी आरोपों का खंडन किया है. कंपनी का कहना है कि यह सारी चीजें पूर्व बॉस ट्रैविस कलानिक के जाने के बाद से बदल गई थीं.
पहले भी विवादों में रही है कंपनी
बता दें कि कंपनी पहले भी कई बार अलग-अलग वजहों से विवादों में रह चुकी है. कंपनी पर कई तरह के आरोप पहले लग चुके हैं. नीचे हम कुछ ऐसे ही मामले बता रहे हैं.
1. प्रतिद्वंद्वियों पर जासूसी: 2017 में अमेरिका ने संदिग्ध भ्रष्टाचार और प्रतिद्वंद्वियों की जासूसी करने या अधिकारियों के नियंत्रण से बचने के लिए अवैध सॉफ्टवेयर के उपयोग को लेकर उबर की जांच की थी.
2. सेल्फ ड्राइविंग मोड के लिए भी आलोचनाः कंपनी ने 2017 में सेल्फ ड्राइविंग मोड कॉन्सेप्ट पर काम करने की शुरुआत की, लेकिन मार्च 2018 में एरिज़ोना में एक पैदल यात्री के मारे जाने के बाद उबर ने संयुक्त राज्य में कई स्थानों पर अपने स्वायत्त ड्राइविंग परीक्षण को अस्थायी रूप से निलंबित कर दिया.
3. डेटा हैकिंगः उबर पर डेटा हैकिंग के आरोप भी लग चुके हैं. साल 2017 में यह सामने आया कि उसके 57 मिलियन राइडर्स और ड्राइवरों का डेटा पिछले वर्ष हैक कर लिया गया था.
4. ड्राइवरों से टकराहटः हाल ही में, जिन ड्राइवरों ने उबर के साथ वर्षों तक काम किया था, उन्हें कंपनी ने अचानक से बाहर निकाल दिया. उबर ने इसमें कई तरह के बहाने बताए थे.
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