India China News in Hindi: पिछले 4 साल से एलएसी पर चल रहे सैन्य तनाव से भारत के रणनीतिकारों में यह समझ तेजी से बनती जा रही है कि चीन के साथ आने वाले भविष्य में जंग तय है. इसलिए भारत भी अब तेजी से ड्रैगन के मुंह तोड़ने की तैयारियों में जुटा है.
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India's military capability in Eastern Ladakh: क्या चीन ने गलवान झड़प के बाद मौके का फायदा उठाकर पूर्वी लद्दाख में सैन्य अड्डा बना लिया है? यह सवाल कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने उठाया है. उन्होंने कहाकि चीन पैंगोंग त्सो के पास उस जमीन पर सैन्य अड्डा कैसे बना सकता है, जो मई 2020 तक भारत के कब्जे में था? वहीं इस मुद्दे पर रक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि चीन द्वारा तैयार किया गया इंफ्रास्ट्रक्चर एलएसी से करीब 5 किलोमीटर की दूरी पर है. वहीं, बॉर्डर एरिया में भारत ने अपना इंफ्रास्ट्रक्चर मजबूत किया है.
बुनिया ढांचे पर चार गुना बढ़ा बजट
गौरतलब है कि हाल ही में विदेश मंत्री एस. जयशंकर भी बता चुके हैं कि पीएम मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद से चीन से सटी सीमा पर बुनियादी ढांचे के निर्माण के लिए भारत के बजट में बढ़ी वृद्धि हुई है. विदेश मंत्री के मुताबिक नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बने तो चीन से सटी सीमा पर बुनियादी ढांचे का बजट केवल 3,500 करोड़ रुपए था, जो अब 14,500 करोड़ रुपए हो गया है.
डॉक्टर जयशंकर के मुताबिक विदेश मंत्री कह चुके हैं कि 1962 के युद्ध से सबक लेना चाहिए था. लेकिन, 2014 तक सीमा पर बुनियादी ढांचे के विकास में प्रगति नहीं हुई. मोदी सरकार ने सत्ता में आते ही इस ओर ध्यान देना शुरू किया और इंफ्रास्ट्रक्चर बढ़ाने के लिए बजट 14,500 करोड़ रुपये कर दिया.
पटेल की बातों पर ध्यान होता तो...
कांग्रेस पर तंज कसते हुए विदेश मंत्री ने कहा कि 1950 में तत्कालीन गृह मंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल ने पंडित जवाहरलाल नेहरू को चीन के प्रति आगाह किया था. लेकिन, नेहरू ने उनकी बात को खारिज कर दिया. उस समय नेहरू की सोच थी कि चीन भारत पर हमला करने के लिए हिमालय पार नहीं करेगा.
न्योमा में बनाया जा रहा एयरफील्ड
उधर, रक्षा विशेषज्ञ इस बात से सहमत हैं कि भारत के सीमावर्ती इलाकों में इंफ्रास्ट्रक्चर पर लंबे समय तक ध्यान नहीं दिया गया. हालांकि, अब इसमें बड़े स्तर पर बदलाव देखा जा रहा है. उत्तरी सीमा पर यदि भारतीय बुनियादी ढांचे की बात की जाए, तो बॉर्डर रोड ऑर्गेनाइजेशन (बीआरओ) ने पूर्वी लद्दाख के न्योमा में एयरफील्ड का काम शुरू किया है.
भारतीय सेनाओं को मिलेगी अहम बढ़त
रक्षा विशेषज्ञों के मुताबिक इसे लद्दाख में अग्रिम चौकियों पर तैनात सैनिकों के लिए स्टेजिंग ग्राउंड के रूप में विकसित किया जा रहा है. यह दुनिया के सबसे ऊंचे हवाई क्षेत्रों में से एक होगा, जो हमारे सशस्त्र बलों के लिए एक गेम चेंजर जैसा होगा. न्योमा इलाके में बनाई जा रही यह एयरफील्ड विश्व का सबसे ऊंचा लड़ाकू हवाई क्षेत्र होगा. इसके अलावा कश्मीर, उत्तराखंड व उत्तर पूर्वी राज्यों से लगे सीमावर्ती इलाकों में भी बॉर्डर एरिया के आसपास सैन्य सुविधाओं में इजाफा किया गया है.
(एजेंसी आईएएनएस)