China-Pakistan Economic Corridor: पहले पुचकारा फिर खींचे कान? चीन-पाकिस्तान का ये रिश्ता क्या कहलाता है?
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China-Pakistan Economic Corridor: पहले पुचकारा फिर खींचे कान? चीन-पाकिस्तान का ये रिश्ता क्या कहलाता है?

Pakistan China news:  चीन के सामने सीपैक पर वापसी की राह नहीं है लिहाजा वो धमकी देकर पाकिस्तानी सेना को चीनी इंजीनियरों की हिफाजत की सिर्फ ताकीद नहीं कर रहे बल्कि शी जिनपिंग खुलेआम कह रहे हैं कि पाकिस्तान ने बलूचों को रोका नहीं तो अंजाम भुगतना होगा. 

China-Pakistan Economic Corridor: पहले पुचकारा फिर खींचे कान? चीन-पाकिस्तान का ये रिश्ता क्या कहलाता है?

पाकिस्तान के मुस्तकबिल का कटोरा लिए पाकिस्तान के राष्ट्रपति आसिफ अली ज़रदारी चीन पहुंचे हैं. वो भी एक दो दिन नहीं पांच दिन के दौरे पर. लाहौर से कराची, रावलपिंडी से इस्लामाबाद तक पाकिस्तान की गलियों चौराहों के साथ-साथ पाकिस्तानी टीवी चैनलों पर आसिफ अली ज़रदारी की चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाक़ातों का ब्योरेवार ब्योरा छप रहा है. पाकिस्तान के राष्ट्रपति आसिफ अली ज़रदारी ने अपने चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात की है. जरदारी को चीन में गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया है. इस मुलाकात में पाकिस्तान में चीन के सीपैक को लेकर बात हुई. पाकिस्तानी मीडिया के मुताबिक प्रेसीडेंट आसिफ अली ज़रदारी का कहा है कि चीन हमारे सबसे करीब है. चीन और हमारी सरहद एक है बाकी 14 सौ से 16 सौ मील दूर हैं. 

पाकिस्तानी राष्ट्रपति ज़रदारी के चीन दौरे का असली कारण आपको बताते हैं कि कैसे खुद आसिफ अली जरदारी अपने से सौ गुना बड़े मुल्क में सम्मान पाकर गदगद हैं. बार बार चीन चालीसा पढ़ते हुए कह रहे हैं कि न कोई दोस्ती, ना कोई फलसफा, पहला साथी है चीन उसके बाद ही कोई दूसरा. इस तुकबंदी से इतर आसिफ अली ज़रदारी चीन में अनापेक्षित सम्मान मिलने के बाद मिशन मोड में लगे हैं. जरदारी, बीते कुछ दिनों में चीन और पाकिस्तान के साथ रिश्तों में आई खटास पर मिठास का घोल डालने आए हैं, इसके साथ ही आका कुछ मेहरबान हो तो लगे हाथ कुछ रियायत मांगने की कोशिश की जा सकती है. 

कुछ और दया पीटिशन शी जिनपिंग के दरबार में पेश करने के साथ कर्ज चुकाने की मियाद बढाने की गुजारिश भी हो सकती है. इस संभावित एपिसोड से पहले चीन ने जरदारी का रेड कार्पेट वेलकम किया. फिर द ग्रेट हॉल ऑफ पीपल में सलामी दी गई और फिर टेबल पर ज़रदारी को बैठाकर शी जिनपिंग ने जो कहा उसने ज़रदारी की पेशानी पर बल डाल दिया, वो बिलबिलाते हुए परेशान हो उठे और एकदम से खड़े हो गए. दरअसल ग्रांड वेलकम के बाद आदमी कम से कम किसी तरह के तनाव की अपेक्षा नहीं करता, यानी किसी बात का लोड तो बिलकुल नहीं लेता. ऐसे में चीनी आका अगर इस तरह से इज्जत उतार लेंगे ये तो छोटे शरीफ ने सोचा भी न था. 

ऐसी फजीहत की उम्मीद तो कतई नहीं होगी

चीन ने कहा बंद कर देंगे पाकिस्तान में चल रहे अपने प्रोजेक्ट्स. ताला लगा देंगे उन निवेश के दरवाज़ों पर जिसके बूते पाकिस्तान पलता है. चीन की आर्मी को पाकिस्तान में उतरने दो वरना दोस्ती की बातें रहने दो. शी की ये डिमांड पाकिस्तान को हंटर की माफिक लगी तो सारा मुल्क सकते में आकर बीजिंग की ओर बेबस निगाहों से ताकता रह गया. कहां चमचमाते कटोरे में कर्ज वाली भीख की गुंजाइश बन रही थी, इससे इतर जो कुछ पहले दिया है, बड़े मालिक ने उसे भी छीन लेने की धमकी खुड डायरेक्ट शी जिनपिंग ने दे डाली.

सवाल है चीन ने पाकिस्तान को नई धमकी क्यों दी है?

उस चीन ने जिसे पाकिस्तान अपना ऑल वेदर फ्रेंड मानता है. असल में चीन परेशान है, चिंतित है. चूंकि सीपैक जैसे महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट पर चीन ने अरबों का निवेश किया है और इसी सीपैक को लेकर टीटीपी और बलूच ख़ून का दरिया बहा रहे हैं. चीन के इंजीनियरों का क़त्ल कर रहे हैं. सीपैक पर खूनी साया चीन के आर्थिक हितों को भारी नुकसान पहुंचा रही है. 

चीन ने CPEC में 50 अरब डॉलर से ज्यादा का निवेश किया है. हमलों ने प्रोजेक्ट को खतरे में डाल दिया है. तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान यानी TTP और बलूच लिबरेशन आर्मी दोनों लगातार चीन के तमाम प्रोजेक्ट्स को लगातार ध्वस्त कर रहे हैं. 

नाराज चीन ने अपने प्रोजेक्ट और नागरिकों की सुरक्षा के लिए पाकिस्तान में अपने सैनिकों को भी भेजने की पेशकश की है. हालांकि कहा जाता है कि चीनी आर्मी PLA के कई सैन्य अधिकारी इस वक्त भी पाकिस्तान में मौजूद हैं. चीन बलूचों के लगातार हमले से परेशान है और बलूचों का हमले के पीछे दलील है कि प्राकृतिक संसाधनों पर पहला हक़ उनका है लेकिन इसका दोहन चीन कर रहा है और इनमें उनकी कोई हिस्सेदारी तय नहीं की जा रही. 

चीन के महत्वाकांक्षी CPEC प्रोजेक्ट का एक बड़ा हिस्सा बलूचिस्तान में है. पाकिस्तानी सेना ने सैकड़ों बलूचों को मौत के घाट उतार दिया है और सैकड़ों बलूच हमेशा के लिए गायब कर कर दिए गये हैं. विरोध में बलूच चीन के इंजीनियरों पर हमले कर उन्हें निपटा रहे हैं. आप पर बम मार रहा है. आप पर अटैक कर रहा है क्योंकि पांच दशकों से उसका आपने हक़ मारा है. जो बलूच है वो नाराज़ है आपसे उसके लिए क्या टेक्नोलॉजी है. उनकी सामूहिक कब्र खोदते हैं उसे ज़िंदा दफ्न कर देते हैं उसे गायब कर देते हैं.

CPEC का मकसद है पाकिस्तान को चीन के पश्चिमी क्षेत्र शिनजियांग से जोड़ना  ताकि अरब सागर से कारोबार का आसान रास्ता बनाया जा सके.
चीन ने जितना बड़ा निवेश ख़ैबर पख़्तुनख्वां और बलूचिस्तान में किया है. चीन ने सारे दहशतगर्दों को नुकसान पहुंचाया है. अभी तो कुछ अरसे से कम लेकिन हर हफ्ते पाकिस्तान में काम करने वाले चीन के कर्मचारियों पर हमले होते हैं. चीन के सामने सीपैक पर वापसी की राह नहीं है लिहाजा वो धमकी देकर पाकिस्तानी सेना को चीनी इंजीनियरों की हिफाजत की सिर्फ ताकीद नहीं कर रहे बल्कि शी जिनपिंग खुलेआम कह रहे हैं कि पाकिस्तान ने बलूचों को रोका नहीं तो अंजाम भुगतना होगा. 

ज़रदारी की चीन यात्रा का सीक्रेट एजेंडा या कुछ और है?

ये एजेंडा है भारत के खिलाफ चीन को भड़काना. अमेरिका के साथ ट्रंप के जमाने में नए रिश्तों का चैप्टर ओपन करना. कहा तो ये भी जा रहा है कि ज़रदारी की चीन यात्रा तब हो रही है जब भारत के विदेश सचिव विक्रम मिसरी 26-27 जनवरी को चीन का दौरा कर चुके हैं. 

भारत, चीन-पाकिस्तान रिश्ते को लेकर अब चिंतित नहीं है. उसे पता है कि दोनों एक हैं. भारत ने चीन के साथ, सीमा विवाद सुलझा लिए हैं. अमेरिका उससे खुश नहीं है क्योंकि वो अमेरिका चीन के खिलाफ भारत का इस्तेमाल करना चाह रहा है, खासकर साउथ चाइना सी और तमाम मुद्दे पर. वहीं ये भी तय है कि भारत किसी का पिठ्ठू नहीं बनेगा.

पाकिस्तान वाले ट्रंप के आने से सशंकित है. मुल्क बदहाली के उस दौर से गुजर रहा है जहां दूर-दूर तक उम्मीद की कोई किरण नजर नहीं आ रही है.

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